गुरुवार 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व रहेगा। इस दिन पौष महीने के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा यानी पहली तिथि पर 9 घंटे के पुण्यकाल का संयोग बन रहा है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक, गुरुवार के अधिपति देव गुरु बृहस्पति हैं। बृहस्पति के अधिपत्य में आने वाले शिक्षा और धर्म से जुड़े लोगों के लिए ये शुभ समय है। मकर संक्रांति का संयोग बनने से संक्रांति का पुण्य सुबह 8:32 से शाम 5:45 बजे तक रहेगा।
सुबह उत्तरायण हो रहे सूर्य की पूजा, नदियों में स्नान, देव दर्शन और दान से विशेष पुण्य फल मिलेगा। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक मकर संक्रांति का वाहन सिंह, उप वाहन हाथी होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पराक्रम बढ़ेगा। देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। इस बार एक संयोग ये भी बन रहा है कि संक्रांति देव वर्ण की है। इससे देश में धार्मिक गतिविधियां बढ़ेंगी। सभी धार्मों में आपसी सामंजस्य बना रहेगा।
माता गायत्री की आराधना के लिए सबसे बेहतर समय
पं. मिश्र बताते हैं कि मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और देवताओं का प्रात:काल भी शुरू होता है। सत्यव्रत भीष्म ने भी बाणों की शैय्या पर रहकर मृत्यु के लिए मकर संक्रांति की प्रतीक्षा की थी। मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में मृत्यु होने के बाद मोक्ष मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी दिन से प्रयाग में कल्पवास भी शुरू होता है। धर्म ग्रंथों में माता गायत्री की उपासना के लिए इससे अच्छा और कोई समय नहीं बताया है।
तिल-गुड़ और वस्त्र दान से मिलेगा पुण्य
इस बार संक्रांति देवी के हाथ में नागकेसर का फूल रहेगा। इससे संकेत मिलता है कि देवी आराधना से फायदा होगा। इस साल राजनीतिक हलचल तेज होगी। तिल, गुड़ और कपड़ों का दान करने से अशुभ ग्रहों का बुरा असर कम होगा। 2017 और 2018 में भी 14 जनवरी को मकर संक्रांति थी। अब 2021 और 2022 में भी 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनेगी।