आज की पॉजिटिव खबर दिल्ली के रहने वाले 23 साल के सनी गर्ग की। जिन्होंने ग्रेजुएशन सेकंड ईयर में पढ़ते हुए स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम को देखा और समझा। 2018 में महज 18 साल की उम्र में ‘योरशेल’ नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया। जहां वो स्टूडेंट्स को एक व्यवस्थित पीजी की सुविधा उपलब्ध कराते थे। तीन साल में ही उनकी कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
कोरोना की शुरुआत से पहले नवंबर 2019 में इसी सेक्टर में काम करने वाली एक बड़ी कंपनी स्टैंजा लिविंग ने उनकी कंपनी को खरीद लिया। इससे मिले पैसों से लॉकडाउन के दौरान ही साल 2020 में सनी ने अपनी दोस्त शेफाली जैन के साथ मिलकर एक नए स्टार्टअप ‘एई सर्किल’ की शुरुआत की है, जिसके जरिए वो स्टार्टअप शुरू करने वालों की मदद करते हैं।
पारंपरिक बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखने वाले सनी हमेशा से ही नए बिजनेस आइडिया की तलाश में रहते थे।
सनी कहते हैं, ‘स्टार्टअप का मतलब है, एक प्रॉब्लम को पहचानना, उसे सॉल्व करना और उसको मॉनिटर करना। मैंने कॉलेज के कई लोगों से उनकी परेशानियां पूछी तो एक कॉमन प्रॉब्लम सामने आई, वो थी पीजी की प्रॉब्लम। जब कोई बाहर का स्टूडेंट दिल्ली यूनिवर्सिटी आता है तो उसे सबसे पहले रहने का इंतजाम करना होता है और पीजी ढूंढना इतना आसान नहीं है। मैंने सोचा ये प्रॉब्लम तो हम लोग सॉल्व कर सकते हैं, लेकिन उस वक्त एडमिशन सीजन में सिर्फ 15 दिन बचे थे। अगर मैं ऐप, वेबसाइट बनाने में समय गंवाता तो ये मौका मेरे हाथ से निकल जाता।'
वो बताते हैं कि मैंने कुछ दोस्तों की मदद ली, कुछ इंटर्न हायर किए। फिर कुछ पीजी से टाई अप किया और कुछ पोस्टर्स छपवाकर सभी कॉलेज के बाहर लगवा दिए। हमने तय किया कि हम स्टूडेंट्स की एडमिशन में मदद करेंगे फिर वो अपने आप पूछेगा कि पीजी कहां लेना सही होगा। हमने स्ट्रैटजी बनाकर 20 से 25 दिनों तक ये काम किया, इस दौरान हमने 2500 से ज्यादा स्टूडेंट्स की मदद की। इनमें से करीब 300 लोगों को पीजी दिलाए। इन 20 दिनों में हमारा नेट प्रॉफिट था 7.5 लाख रुपए।
जिन बच्चों को पीजी दिलाया, उन्होंने खरी-खोटी सुनाई तो आया योरशेल का आइडिया
सनी बताते हैं, ‘जुलाई 2017 की बात है, मुझे बच्चों के फोन आने लगे कि पीजी दिलाते वक्त जो वादे किए गए थे, वो पूरे नहीं किए गए। इसके लिए लोगों ने मुझे बहुत खरी-खोटी सुनाई, तब मुझे अहसास हुआ कि पीजी ढूंढना प्रॉब्लम नहीं है, अच्छे पीजी का ना होना समस्या है। इसी समय पर मुझे योरशेल का आइडिया आया। इस बिजनेस के लिए मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘स्टैंडअप इंडिया-स्टार्टअप इंडिया’ स्कीम के तहत 35 लाख रुपए का लोन लिया। कुछ पैसा मार्केट से ब्याज पर उठाया और 150 बेड से योरशेल की शुरुआत की थी। पहले साल में बहुत अच्छा रिस्पांस रहा था। बिजनेस शुरू करने के 15 दिन के अंदर ही हमारे सभी सीटें फुल हो गई थीं।'
अपने बिजनेस मॉडल के बारे में सनी बताते हैं कि इसके लिए हम लीज पर बिल्डिंग और फ्लैट लिया करते थे। फिर उसे फर्निश्ड कराते थे, उसमें सर्विस प्रोवाइड करते थे और वो प्रति बेड के हिसाब से किराए पर देते थे। योरशेल में सनी के साथ शेफाली जैन, विशेष कु्ंगर और गौरव वर्मा भी फाउंडर थे। जब सनी ने अपना स्टार्टअप शुरू किया था, तब उनका एडमिशन इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद में हुआ था, लेकिन अपने स्टार्टअप की वजह से उन्होंने एडमिशन नहीं लिया। इस वजह से परिवार के लोग काफी नाराज भी हुए।
योरशेल बेचने के बाद सनी गर्ग अब नए स्टार्ट अप्स को फाइनेंशियल और लीगल प्रॉब्लम का सॉल्यूशन देते हैं।
‘लॉकडाउन में हम बहुत खुश थे कि हम बच गए’
सनी बताते हैं, ‘नवंबर 2019 की बात है, स्टैंजा लिविंग ने हमें कॉन्टैक्ट किया और कहा कि आप लोग अच्छा काम कर रहे हो। हम चाहते हैं आप हमारे साथ मिलकर काम करें। उस समय हम किसी के साथ काम तो नहीं करना चाहते थे, बस ये था कि हमारे खड़े किए वेंचर को प्रॉपर इज्जत और केयर मिलेगी और वो कंपनी हमसे बेहतर उसकी केयर कर सकते थे। जब हमने अपना स्टार्टअप बेचा था, तब हम खुश नहीं थे, लेकिन कहते हैं ना जब कोई काम अच्छी नीयत से करो तो भगवान भी आपको सपोर्ट करता है। लॉकडाउन में हम बहुत खुश थे कि हम बच गए। क्योंकि, स्टूडेंट हाउसिंग इंडस्ट्री, रियल इस्टेट और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के लिए 2020 बहुत खराब गया।
अब AE सर्किल के जरिए देते हैं स्टार्टअप में आने वाली हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन
अपने मौजूदा स्टार्टअप ‘AE सर्किल’ के बारे में सनी बताते हैं कि इसके जरिए वो एक सर्किल बना रहे हैं। AE का मतलब है एनीथिंग एंड एवरीथिंग। यानी एक स्टार्टअप शुरू करने में जो भी दिक्कत आती है मसलन, फाइनेंशियल और लीगल से जुड़ी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन देते हैं। इसके अलावा उन्होंने मार्केटिंग, प्रोडक्शन और प्रिंटिंग बिजनेस में भी इंवेस्टमेंट किया है।