भोपाल। अलहदा लहजे के शायर एवं पद्मश्री बशीर बद्र को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से 46 साल बाद पीएचडी की डिग्री मिली है। डिग्री मिलने पर किसी मासूम की तरह चहक उठे। डिग्री को सीने से लगा लिया। बशीर बद्र की सेहत इन दिनों काफी नासाज है। वे अपनी स्मरण शक्ति खो चुके है।
लेकिन कभी कुछ याद आने पर वे उसे दोहराने लगते हैं। वर्ष 1973 में उन्होंने आजादी के बाद की गजल का तनकीदी मुताला शीर्षक से अपनी थीसिस एएमयू में समिट की थी। पीएचडी की यह डिग्री उनकी पत्नी के प्रयासों से एएमयू ने डाक से भेजी है।
उनकी पत्नी राहत बद्र की मानें तो थीसिस समिट करने के बाद वे अध्यापन के क्षेत्र में चले गए। इसके साथ ही शायरी का सिलसिला उनका परवान चढ़ने लगा तो कामकाजी व्यस्तता के चलते उनका इस तरफ ध्यान नहीं गया। हालांकि वर्ष 1975 में डिग्री वितरण समारोह में मुशायरों की व्यस्तता से वह इस आयोजन में शिरकत नहीं कर सके।
वहीं, बशीर बद्र की डिग्री का ख्याल जब उनकी पत्नी को आया तो उन्होंने कोशिश शुरू की। डिग्री हासिल करने की प्रक्रिया कठिन थी। उसमें भी रिकॉर्ड तलाशना अहम था लेकिन, एएमयू के पीआरओ राहत अबरार ने राहत बद्र की काफी मदद की तो करीब दो-तीन साल की जद्दोजहद के बाद डिग्री मिल गई।
गौरतलब है कि वर्ष 1969 में बशीर बद्र ने एएमयू से स्नातकोत्तर की उपाधि भी ली थी। शायर बशीर बद्र ने मेरठ कॉलेज के उर्दू विभाग में 12 अगस्त 1974 को बतौर लेक्चरर ज्वाइन कर लिया था। वे यहां वर्ष 1990 तक रहे। वर्ष 1974-1990 का दौर बशीर बद्र के लिए काफी अहम रहा। तब वे शायरी के बुलंदी को छू रहे थे।