चार दोस्तों ने नौकरी छोड़ ऑनलाइन कोर्स प्लेटफॉर्म शुरू किया, दो साल में 7 करोड़ पहुंचा टर्नओवर

Posted By: Himmat Jaithwar
12/25/2020

नई दिल्ली। संदीप सिंह, अनिरुद्ध सिंह, विजय सिंह और गौरव कक्कड़ चारों दोस्त हैं और पेशे से इंजीनियर। चारों एक ही कंपनी में काम करते थे। दो साल पहले चारों ने मिलकर एक ऑनलाइन कोर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। आज एक हजार से ज्यादा इनके कस्टमर्स हैं। पिछले 2 साल में 200 करोड़ से ज्यादा की सर्विसेज सेल की हैं। 6-7 करोड़ रुपए इनका सालाना टर्नओवर है। चार दोस्तों की सक्सेस स्टोरी को लेकर हमने संदीप सिंह से बात की...

संदीप सिंह कंप्यूटर इंजीनियर हैं। 2011 में IMS गाजियाबाद से बीटेक करने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में उनका कैम्पस प्लेसमेंट हो गया। पैकेज अच्छा था। वहां सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर तीन साल काम किया। इसके बाद उन्होंने खुद का काम शुरू करने का मन बनाया और 2014 में नौकरी छोड़ दी। अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर संदीप ने एक ई बुक पब्लिशिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, जो आगे चलकर ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर प्लेटफॉर्म में तब्दील हो गया।

संदीप सिंह कंप्यूटर इंजीनियर हैं। 2011 में IMS गाजियाबाद से बीटेक के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में उनका कैम्पस प्लेसमेंट हो गया था।
संदीप सिंह कंप्यूटर इंजीनियर हैं। 2011 में IMS गाजियाबाद से बीटेक के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में उनका कैम्पस प्लेसमेंट हो गया था।

31 साल के संदीप कहते हैं कि अनिरुद्ध सिंह और विजय सिंह मेरे बैचमेट थे और हमारा साथ में प्लेसमेंट भी हुआ था। यहां हमारी दोस्ती गौरव कक्कड़ से हुई, वो भी इंजीनियर थे। यहां काम करने के दौरान अक्सर खुद का काम शुरू करने का ख्याल मन में आता रहता था। फिर हम चारों ने तय किया कि खुद का बिजनेस शुरू किया जाए।

संदीप कहते हैं कि उस समय ई बुक पब्लिशिंग मार्केट में ग्रो कर रहा था और इसके लिए बहुत कम ही प्लेटफॉर्म उपलब्ध थे। हमने प्लान किया कि एक ऐसा प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जाए जिस पर लोग ऑनलाइन और आसानी से बुक पब्लिश कर पाए। 2014 में हमने इसे लॉन्च भी कर दिया। लोगों का ठीक-ठाक रिस्पॉन्स मिला और हम अपना दायरा बढ़ाते गए। कई बड़े ऑर्गनाइजेशन और कोचिंग वाले हमारे कस्टमर्स बने।

संदीप बताते हैं कि 2016 में जियो लॉन्च हुआ और 2017 तक पूरे देश में छा गया। तब हमने रियलाइज किया कि अब लोग ई बुक की बजाय ऑनलाइन कंटेंट खासकर वीडियो कंटेंट देखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसलिए हमें भी अब वीडियो कंटेंट प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट होना चाहिए। हमने 2018 में स्पेई (Spayee) नाम से कोर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। सही मायने में कहा जाए तो हमारा काम यहीं से शुरू हुआ।

आज एक हजार से ज्यादा उनके कस्टमर्स हैं। साथ ही 30 लोगों की टीम इनके साथ काम करती है।
आज एक हजार से ज्यादा उनके कस्टमर्स हैं। साथ ही 30 लोगों की टीम इनके साथ काम करती है।

मार्केटिंग को लेकर संदीप कहते हैं, 'हमें इसको लेकर बहुत दिक्कत नहीं हुई। क्योंकि हम पहले से मार्केट में थे, बस काम थोड़ा अलग था। जो कस्टमर्स पहले से हमें जानते थे, उन्हीं से होते हुए नए कस्टमर्स बढ़ते गए। इसके साथ ही हमने गूगल पर एड्स लगाए और SEO की मदद से अपना दायरा बढ़ाया। आज आर्ट ऑफ लिविंग, रचना रानडे, कैरियर लॉन्चर जैसे ब्रांड्स ने हमारी सर्विसेज ली है। संदीप सेल्स और मार्केटिंग का काम देखते हैं। गौरव प्रोडक्ट और स्ट्रेटेजी, अनिरुद्ध मोबाइल टेक्नोलॉजी तो विजय प्रोडक्ट ऑर्किटेक्ट का काम संभालते हैं। साथ ही 30 लोगों की टीम है, जो इनके साथ काम करती है।

संदीप कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान हमें काफी फायदा हुआ। बड़ी संख्या में हमारे नए ग्राहक बने। जो काम हम एक साल में नहीं कर सके थे, वो काम हमने पिछले चार-पांच महीनों में कर दिया। इस दौरान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की डिमांड बढ़ गई थी। हमने कई नए फीचर लॉन्च किए, ऑनलाइन लाइव क्लासरूम की सुविधा हमने कस्टमर्स को प्रोवाइड की।

कैसे काम करता है स्पेई

संदीप सेल्स और मार्केटिंग का काम देखते हैं। गौरव प्रोडक्ट और स्ट्रेटेजी, अनिरुद्ध मोबाइल टेक्नोलॉजी तो विजय प्रोडक्ट ऑर्किटेक्ट का काम संभालते हैं।
संदीप सेल्स और मार्केटिंग का काम देखते हैं। गौरव प्रोडक्ट और स्ट्रेटेजी, अनिरुद्ध मोबाइल टेक्नोलॉजी तो विजय प्रोडक्ट ऑर्किटेक्ट का काम संभालते हैं।

संदीप बताते हैं हम कस्टमर्स को कंप्लीट ऑनलाइन कोर्स प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराते हैं। जैसे किसी को अपना कोई कोर्स ऑनलाइन सेल करना है, कोई कंटेंट या वीडियो ट्यूटोरियल ऑनलाइन सेल करना है, तो हम उसे सही प्लेटफॉर्म देते हैं ताकि वह अपना प्रोडक्ट सेल कर सके। वह हमारी वेबसाइट पर जाकर अपनी पसंद के मुताबिक सब्सक्रिप्शन ले सकता है।

वो बताते हैं कि जैसे आपको किसी सब्जेक्ट का कोर्स मटीरियल चाहिए, तो आप उसे गूगल पर ढूंढते हैं। जिसके बाद कुछ लिंक्स दिखते हैं, उनमें से किसी पर आप क्लिक करते हैं। फिर उसके बारे में पढ़ते हैं और अगर उसकी सर्विस पसंद आई, तो सब्सक्रिप्शन भी लेते हैं। ये जो पूरी प्रोसेस होती है उसे बैक एंड से मैनेज करने का काम हम करते हैं।

इस तरह के आइडिया पर काम करने को लेकर संदीप कहते हैं कि अपने इंडिया में बहुत कम ही प्लेटफॉर्म थे जहां ये सुविधा कस्टमर्स को मिलती थी। ज्यादातर कंपनियां विदेशी हैं। तो हमने सोचा कि क्यों न ग्लोबल मार्केट में एक भारतीय कंपनी को उतारा जाए, ताकि लोगों के पास ये विकल्प रहे कि वो अपने देश की कंपनी को चुन सकें।



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