मप्र में लोकसभा चुनाव-2019 से पहले आयकर छापों के बाद लेन-देन से जुड़े लोगों पर कार्रवाई का दबाव अब बढ़ गया है। केंद्रीय चुनाव आयोग के उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मप्र सरकार के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा को दिल्ली बुला लिया है।
आयोग इनसे 5 जनवरी को बात करेगा। मुख्य सचिव को पहुंचे पत्र में यह साफ कर दिया गया है कि केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड की जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसी संबंध में बात होगी। मप्र को बताना होगा कि वह आगे क्या कार्रवाई करेगा।
बैठक सुबह 11 बजे रखी गई है, इसलिए मुख्य सचिव बैंस पांच जनवरी को दिल्ली जाएंगे। इस चिट्ठी के बाद से ही मप्र सरकार की सक्रियता बढ़ गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्य सचिव ने चिट्ठी के साथ पूरे विषय की जानकारी दी। अप्रेजल रिपोर्ट के तथ्य भी बताए गए हैं।
राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा और तीन आईपीएस अधिकारी बी मधुकुमार, संजय माने और सुशोभन बैनर्जी के साथ मप्र सरकार के कुछ मंत्रियों, विधायकों और कांग्रेस के नेताओं व विधायकों के नाम हैं। मुख्यमंत्री-मुख्य सचिव ने कानूनी पक्ष भी लिया है कि जांच के बिंदू और कार्रवाई की दिशा क्या होगी। ईओडब्ल्यू को केस सौंपने के बाद की संभावनाओं पर भी विचार किया गया।
उप चुनाव आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने मुख्य सचिव के साथ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मप्र को भी पत्र लिखकर जानकारी दी। आयोग ने मुख्य सचिव से कहा है कि वे इस तैयारी के साथ आएं कि यह बताएं कि अब तक क्या किया, क्या करने वाले हैं और आगे कार्रवाई कब की जाएगी। आयकर छापों के मामले में क्या-क्या कार्रवाई करनी है, इसका समयबद्ध प्लान लेकर भी साथ आएं।
सीबीडीटी की रिपोर्ट के साथ चिट्ठी आए हो गए सात दिन
चुनाव से पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार के करीबियों पर आयकर छापे से जुड़ी सीबीडीटी की रिपोर्ट और चुनाव आयोग की चिट्ठी मप्र सरकार को 16 दिसंबर को मिली थी। तब से लेकर अभी तक सात दिन हो गए हैं। इस बीच सरकार ने आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट का परीक्षण करने के साथ कानूनी राय ले ली है। अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि एकाध हफ्ते में कार्रवाई की रूपरेखा पर सहमति बन जाएगी।