सही जानकारी न होने पर सुनहरे अवसर की परख नहीं हो पाती है और नुकसान उठाना पड़ता है। इसीलिए लगातार ज्ञान बढ़ाते रहना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा शिकार के लिए गया। राजा अकेले ही वन में गया था। शिकार की तलाश में राजा वन में ज्यादा आगे तक पहुंच गया। शाम हो गई थी, अंधेरा होने की वजह से राजा रास्ता भटक गया था।
भूख-प्यास से राजा की हालत खराब हो रही थी। तभी राजा को एक छोटी सी कुटिया दिखाई दी। राजा तुरंत ही उस कुटिया में पहुंच गया। वहां एक वनवासी रहता था। राजा ने उस वनवासी को अपना परिचय दिया। राजा को अपनी कुटिया में देखकर वनवासी ने भोजन-पानी की व्यवस्था कर दी।
भोजन के बाद वनवासी ने राजा के लिए रात में सोने की जगह दी। राजा उस वनवासी से बहुत खुश था। सुबह उठकर राजा ने वनवासी से कहा कि हम तुम्हारे आतिथ्य से बहुत प्रसन्न हैं। अभी हमारे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन तुम हमारे दरबार आना हम तुम्हें उपहार देंगे।
वनवासी ने राजा को राज्य लौटने का रास्ता बताया और उस रास्ते से राजा अपने महल पहुंच गया। अगले दिन वनवासी भी राजा के दरबार में पहुंच गया। राजा ने वनवासी को पहचान लिया और मंत्री से कहकर उसे चंदन के पेड़ों का एक बाग उपहार में दे दिया।
वनवासी को चंदन की कीमत, उसके गुण और उसके महत्व की जानकारी नहीं थी। वह चंदन की लकड़ी जलाकर उसका कोयला बाजार में बेचने लगा। धीरे-धीरे बाग के सभी चंदन के पेड़ खत्म हो गए। सिर्फ एक पेड़ बचा था। वनवासी अंतिम पेड़ को काटता, उससे पहले बहुत बारिश होने लगी। बारिश की वजह से वह लकड़ी जलाकर कोयला नहीं बना पाया। तब उसने सोचा कि आज लकड़ी ही बेच आता हूं।
जब वनवासी चंदन की लकड़ी लेकर बाजार में गया तो चंदन की महक बाजार में फैल गई। बाजार में उसकी सभी लकड़ियां बहुत अधिक धन में बिक गई। यह देखकर वनवासी आश्चर्यचकित था। उसे समझ आ गया कि उसने बहुमूल्य लकड़ी को जला-जलाकर कोयला बनाकर बेचा। जबकि, इससे तो बहुत ज्यादा धन प्राप्त किया जा सकता था।
कथा की सीख
इस कथा की सीख यह है कि अगर किसी काम की जानकारी नहीं है तो पहले उससे संबंधित पूरा ज्ञान अर्जित कर लेना चाहिए। तभी कोई नया काम शुरू करना चाहिए। जानकारी के अभाव में नुकसान होने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं।