प्रदेश की 6800 से ज्यादा अवैध काॅलाेनियां फिलहाल वैध नहीं होंगी। राज्य सरकार ने अवैध काॅलाेनियाें के नियमितीकरण का प्रावधान खत्म कर दिया है। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक 3 जून 2019 काे हाईकाेर्ट ने इस धारा पर आपत्ति जताते हुए अवैध काॅलाेनियाें के नियमितीकरण पर राेक लगा दी थी। इसके बाद नगरीय प्रशासन ने एडवाेकेट जनरल से राय ली और प्रावधान को विलोपित करने का फैसला लिया। सरकार अब इसके नए नियम बनाने जा रही है, जिसे विधानसभा में एक्ट के रूप में लाने के बाद लागू किया जाएगा। इसके बाद अवैध कॉलोनी को वैध करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
अब नियमितीकरण का काेई नियम नहीं : नगरीय प्रशासन के सूत्राें ने बताया कि इस धारा के विलाेपित हाेने बाद अब अवैध काॅलाेनियाें के नियमितीकरण का काेई प्रावधान अधिनियम में नहीं बचा है। काेर्ट ने सरकार की मंशा पर काेई विपरीत टिप्पणी नहीं की थी। उसने तकनीकी रूप से कहा था कि क्याेंकि ये प्रावधान अधिनियम में नहीं है, इसलिए नियम में भी नहीं हाे सकता।
धारा 15-ए अब विलोपित, नई प्रक्रिया बाद में
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मप्र नगरपालिका काॅलाेनी रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन व शर्त नियम 1998 की धारा 15-ए काे खत्म किया है। इसमें 30 जून 1998 तक की अवैध काॅलाेनियाें काे वैध करने का प्रावधान था। बाद में इसी धारा के तहत 30 जून 2002, 30 जून 2007, 21 दिसंबर 2012 और 31 दिसंबर 2016 तक की अवैध कॉलोनियों का नियमितीकरण हुआ। सरकार ने 6800 से ज्यादा अवैध काॅलाेनियाें काे वैध करने का फैसला लिया। 1800 काॅलाेनियाें से विकास शुल्क लेकर नियमितीकरण की कार्रवाई भी शुरू हुई। काेर्ट के फैसले के बाद इस पर राेक लग गई।