तीन साल पहले कपड़ों का ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया, कोरोना आया तो लॉन्च की पीपीई किट, 5 करोड़ रु पहुंचा टर्नओवर

Posted By: Himmat Jaithwar
9/29/2020

दिल्ली की रहने वाली वंशिका चौधरी महिलाओं को ट्रेंड के हिसाब से लुक देने के साथ- साथ कोरोना से जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट मुहैया करा रही हैं। अब तक वो 200 से ज्यादा अस्पतालों में 6 लाख से अधिक पीपीई किट सप्लाई कर चुकी हैं। उनकी कम्पनी 200 से ज्यादा होटल्स, स्कूल और रेस्टोरेंट के लिए यूनिफॉर्म तैयार करती है। उनके साथ 200 से ज्यादा लोग जुड़े हैं। पिछले साल 5 करोड़ रुपए का टर्नओवर रहा है।

26 साल की वंशिका अभी मुंबई में रहती हैं। पिछले साल ही शादी बाद वो दिल्ली से यहां शिफ्ट हुई हैं। उन्होंने स्कूली एजुकेशन दिल्ली से पूरा करने के बाद सिंगापुर से फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन किया है।

वंशिका बताती हैं, 'ग्रेजुएशन के दौरान लास्ट ईयर में हमें एक ब्रांड और बिजनेस मॉडल तैयार करने का प्रोजेक्ट मिला। यह हमारे कोर्स वर्क का हिस्सा था। मैंने इसका नाम कन्या रखा था। इस दौरान मैंने महिलाओं के फैशन ट्रेंड को देखते हुए काफी रिसर्च वर्क किया। एक्सपर्ट्स की मदद ली, उनसे फैब्रिक और मार्केटिंग के बारे में जानकारियां हासिल की। प्रोजेक्ट का काम पूरा होने तक मुझे फैशन, फैब्रिक और मार्केट के बारे में अच्छी खासी समझ हो गई थी। जब मेरा बैचलर कंप्लीट हुआ तो मैंने तय किया कि अब इसी प्रोजेक्ट को फ्यूचर प्रोफेशन में कन्वर्ट करूंगी।

वंशिका अपने पति अभिजीत काजी के साथ। अभिजीत ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है, दोनों साथ मिलकर काम करते हैं।
वंशिका अपने पति अभिजीत काजी के साथ। अभिजीत ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है, दोनों साथ मिलकर काम करते हैं।

सिंगापुर से पढ़ाई के बाद 2015 में वंशिका दिल्ली आ गईं। यहां आकर उन्होंने रिसर्च वर्क किया, मार्केट और डिमांड के बारे में पता किया। उनके पिता टेक्सटाइल फील्ड से जुड़े थे तो वंशिका उनके साथ काम सीखने लगी। अगस्त 2017 में उन्होंने कन्या नाम से अपनी कंपनी बनाई और वेबसाइट लॉन्च की। तब उन्होंने करीब 1 लाख रुपए खर्च किए थे।

वंशिका बताती हैं कि रिसर्च वर्क के दौरान मुझे पता चला कि भारत में ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं के लिए वेस्टर्न ड्रेस के विकल्प बहुत कम हैं। अगर हैं भी तो क्वालिटी गैप बहुत ज्यादा है। मैंने तय किया कि क्यों न कुछ इस तरह के ड्रेस डिजाइन किए जाएं जिनकी कॉस्ट भी कम हो, क्वालिटी भी अच्छी हो और दस से पांच की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाएं उसे आराम से पहन भी सकें।

इसके बाद कुछ कपड़े हमने लॉन्च किए और ऑनलाइन उसे प्रमोट किया। लोगों का रिस्पॉन्स अच्छा मिला और ठीक ठाक कमाई हुई थी। उसके बाद हमने बड़े लेवल पर काम शुरू किया। अलग- अलग जगहों से फैब्रिक मंगाए और ट्रेंड्स के हिसाब से ड्रेस तैयार करने लगे। जैसे जैसे डिमांड बढ़ती गई वैसे-वैसे हमारा बिजनेस बढ़ता गया।

वंशिका ने महिलाओं के लिए कपड़ों का ऑनलाइन बिजनेस 2017 में शुरू किया था। आज देशभर में उनके ग्राहक हैं।
वंशिका ने महिलाओं के लिए कपड़ों का ऑनलाइन बिजनेस 2017 में शुरू किया था। आज देशभर में उनके ग्राहक हैं।

वो कहती हैं कि कुछ दिन बाद हमें अलग अलग होटल्स और रेस्टोरेंट्स से ढेर सारे ईमेल्स और मैसेज आने लगे कि आप हमारे लिए यूनिफॉर्म तैयार करिए। शुरुआत में तो हम इन्हें इग्नोर करते रहे लेकिन फिर हमने महसूस किया कि इस सेक्टर में काफी स्कोप है। इसके बाद 2019 में हमने कन्या यूनिफॉर्म नाम से एक दूसरा सेटअप स्टार्ट किया। इससे हमें अलग ही पहचान मिली। 200 से ज्यादा होटल्स, रेस्टोरेंट्स और स्कूलों के लिए हम यूनिफॉर्म तैयार करने लगे। उसके बाद मेरी शादी हो गई और मैं मुंबई शिफ्ट हो गई। हमने अपनी कंपनी और सेटअप भी यहीं शिफ्ट कर दिया। सबकुछ ठीक चल रहा था तभी इस साल कोरोना आ गया।

वंशिका कहती हैं,' कोरोना के चलते जब लॉकडाउन लगा तो हमारे कई प्रोजेक्ट्स बंद हो गए, कई ऑर्डर कैंसिल हो गए। लेकिन सच कहूं तो उसके बाद भी नुकसान की बजाए और ज्यादा मजबूत हो गए हम। मेरे हसबैंड अभिजीत काजी ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। मार्केट और फाइनांस के सेक्टर में उनकी काफी अच्छी समझ है और उन्होंने इस फील्ड में काम भी किया है। इस साल की शुरुआत में जब चीन और दूसरे देशों में कोरोना फैला हुआ था तभी मेरे हसबैंड ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर पीपीई किट को लेकर बातचीत करना शुरू कर दिया था। उन्हें पता था कि कल को इसकी जरूरत इंडिया में भी होगी।

इसके बाद हमने इसको लेकर रिसर्च वर्क करना शुरू किया, एक्सपर्ट्स से जानकारियां जुटाईं, बेहतर क्वालिटी के फैब्रिक मंगाए। चूंकि पीपीई किट को लेकर पहले से ज्यादा आइडिया नहीं था तो गूगल से देखकर हमने कुछ सैंपल्स तैयार किया। फिर अपना नया वेंचर कन्या मेड नाम से शुरू किया। हमने अपनी तैयार की हुई पीपीई किट्स को डीआरडीओ के पास भेजा, वहां से अप्रूवल के बाद हम इसे मार्केट में लॉन्च कर दिया।

कोरोना के आने के बाद वंशिका ने पति के साथ मिलकर पीपीई किट बनाना शुरू किया। अभी ये लोग 6 लाख से ज्यादा पीपीई किट अलग अलग जगहों पर सप्लाई कर चुके हैं।
कोरोना के आने के बाद वंशिका ने पति के साथ मिलकर पीपीई किट बनाना शुरू किया। अभी ये लोग 6 लाख से ज्यादा पीपीई किट अलग अलग जगहों पर सप्लाई कर चुके हैं।

वो कहती हैं कि जब देश में पीपीई किट की डिमांड हुई तो हम पहले से इसके लिए तैयार थे, हमने अलग- अलग अस्पतालों में जाकर अप्रोच किया और अपने पीपीई किट के बारे में बताया। शुरू में तो वे डील नहीं कर रहे थे, हमें बार-बार कॉल, मैसेज करना पड़ा। लेकिन फिर जब डील पक्की हुई तो धीरे-धीरे हमारा नेटवर्क बढ़ता गया। अब तक हम 60 लाख से ज्यादा पीपीई किट सप्लाई कर चुके हैं। एक पीपीई किट की कीमत 400-600 रु तक के बीच में होती है। हमने बीएमसी को भी हजारों की संख्या में पीपीई किट दिए हैं। अभी गुजरात और मुंबई दोनों जगह हमारी कंपनी है।

वंशिका बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान पीपीई किट तैयार करने और उसकी सप्लाई करने में काफी दिक्कत हुई। तब न तो कहीं दुकानें खुलीं थी न ही कोई मजदूर काम करने को तैयार था। एक पॉली बैग के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी।

अभी वंशिका और उनके हसबैंड मिलकर तीन वेंचर्स यानी कन्या, कन्या यूनिफॉर्म और कन्या मेड पर काम कर रहे हैं। कन्या मेड की शुरुआत इसी साल कोरोना के बाद इन्होंने की है। वंशिका कहती है कि ये तीसरा वेंचर हमारे लिए सबसे बड़ा सेटअप है। आगे इसे और विस्तार करना है, हमारी कोशिश है कि मेडिकल फील्ड से जुड़े जितने भी फैब्रिक आइटम हों हम उसे तैयार करें। वो कहती हैं कि इस फील्ड में उतरने से पहले और उतरने के बाद भी रिसर्च वर्क ही सफलता का मूल मंत्र है।



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