भोपाल में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 1704 है। इसके बाद भी हेल्थ सिस्टम की कुछ नाकामियां संक्रमण को बढ़ावा दे रही हैं। शहर में जगह-जगह खोले गए फीवर क्लीनिक पर एंटीजन रेपिड किट से कोरोना की जांच की जाती है। आधे घंटे केे भीतर यह पता लग जाता है कि मरीज संक्रमित है या नहीं। ऐसे में जो मरीज यहां जांच के दौरान पॉजिटिव मिलते हैं उन्हें डॉक्टर अस्पताल भेजने के बजाय घर जाने की सलाह दे देते हैं। ये लापरवाही यहीं नहीं रुकती...इन मरीजों को कोविड अस्पताल और कोविड केयर सेंटर में भर्ती होने के लिए दो से तीन दिन इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में इन दो दिनों में मरीज कितने लोगों के संपर्क में आकर उन्हें संक्रमित कर रहा है यह कहना मुश्किल ही है।
हकीकत... 15 को पॉजिटिव, 17 को किया अस्पताल में भर्ती
चार इमली में एक आईपीएस के बंगले पर काम करने वाली महिला ने 15 सितंबर को प्रियदर्शिनी नगर स्थित फीवर क्लीनिक में जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। डॉक्टर ने दवाएं देकर घर भेज दिया। 16 को दूसरे अस्पताल जांच कराने पहुंची। 17 सितंबर को उसे कोविड सेंटर में भर्ती किया गया है।
गेंहूखेड़ा निवासी 61 वर्षीय बुजुर्ग को बुखार हुआ तो उन्होंने 15 सितंबर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के फीवर क्लीनिक में जांच कराई। रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उन्हें बुखार की दवाई देकर घर भेज दिया। 17 सितंबर की शाम पांच बजे तक वो भर्ती नहीं हो पाए।
परेशानी और संक्रमण दोनों साथ-साथ|
- जिन लोगों के घरों में अलग-अलग रहने की व्यवस्था नहीं है वे परिवार के लोगों के संपर्क में रहते हैं।
- कुछ मरीज दोबारा जांच कराने के लिए ना सिर्फ दूसरे अस्पताल पहुंचते हैं, बल्कि इधर-उधर भी जाते हैं।
- कोरोना संक्रमित होने का पता चलने पर कुछ लोग दहशत में आ जाते हैं। मानसिक तनाव झेलना पड़ता है।
मरीज मोबाइल बंद कर लेते हैं, इसलिए होती है देरी - सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी बताया कि कोशिश रहती है कि मरीज को 24 घंटे में अस्पताल पहुंचा दिए जाए। कुछ मरीज डर के चलते मोबाइल बंद कर लेते हैं, इसलिए समय लग जाता है।