इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में बच्चों की खरीद-फरोख्त मामले में गिरफ्तार डॉ. भरत मौर्य ने मानसिक रूप से विक्षिप्त मूक-बधिर युवती के बच्चे को भी बेचना कुबूला है। 2 माह पूर्व डॉ. मौर्य ने अपने अस्पताल में युवती की डिलीवरी कराई थी और बच्चे को 1.20 लाख रुपए में बेच दिया।
बच्चे तस्करी के आरोपित रमाकांत शर्मा और भरत मौर्य को पुलिस ने रविवार दोपहर जिला कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया। पूछताछ में आरोपित डॉ. भरत मौर्य ने बताया कि उक्त बच्चा सिमरोल क्षेत्र में रहने वाली अविवाहित मूक-बधिर विक्षिप्त युवती का है। भरत ने अपने अस्पताल में उसकी डिलीवरी कराई थी। इसके बाद युवती बच्चे को छोड़कर चली गई। भरत ने रमाकांत की मदद से रीत ठाकरे से सौदा किया। पुलिस ने रविवार को युवती के स्वजन से संपर्क कर बयान दर्ज किए।
आरोपित भरत व रमाकांत ने बाणगंगा क्षेत्र निवासी आलोक भदौरिया का नाम कुबूला है। वह लैब टेक्निशियन है और कई बड़े अस्पतालों से संपर्क में है। क्राइम ब्रांच की टीम रविवार दोपहर उसके घर पहुंची तो स्वजन ने कहा कि आलोक की तबीयत खराब है और अस्पताल में भर्ती है। एएसपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया के मुताबिक पुलिस ने दो युवतियों से संपर्क कर लिया है। बच्चे उन युवतियों के हैं जिन्होंने बदनामी के डर से अस्पतालों में छोड़ दिए। आरोपितों ने इसका फायदा उठाया और उन लोगों को बेच दिए जिन्हें संतान की जरूरत थी।
पुलिस ने आरोपित रीत ठाकरे के घर छापा मारा। पूरे घर में दोनों बच्चों के फोटो मिले। वह मां की तरह बच्चों की परवरिश करती थी। पुलिस को झोला भरकर दूध की खाली बोतलें भी मिलीं। दो बैग में कपड़े और खिलौने भी थे। थाने लाने पर रीत बच्चों से मिलने के लिए रोने लगी। बड़ा बच्चा भी उससे दूर जाने के लिए तैयार नहीं था। रोने के कारण रीत की तबीयत खराब हो गई। पुलिस ने उसकी काउंसिलिंग कर समझाया कि उसने अवैध रूप से बच्चे खरीदे हैं। कानूनी रूप से गोद लेना था। इसलिए गिरफ्तारी करनी पड़ी है, कोर्ट से जमानत मिल जाएगी। गिरफ्तारी के बाद रीत के रिश्तेदार भी थाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि रीत ने उन्हें बताया था कि बच्चे कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद लिए हैं। उन्हें कभी एहसास ही नहीं हुआ कि वह बच्चों को खरीदकर लाई है।