कोरोना काल में प्रदेश के अस्पतालों में हुई ऑक्सीजन की किल्लत फिलहाल आगे नहीं होगी। महाराष्ट्र द्वारा मप्र को मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई रोकने के बाद एक्टिव हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को सीएम उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। ठाकरे ने आश्वस्त किया कि ऑक्सीजन की समस्या महाराष्ट्र में भी है। फिर भी मप्र को आपूर्ति जारी रखेंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री निवास पर हुई बैठक में तय हुआ कि गुजरात और उत्तर प्रदेश से भी मप्र को जरूरत की ऑक्सीजन मिलेगी।
मप्र की बड़ी सप्लायर कंपनी आयनॉक्स यह काम करेगी। सितंबर अंत तक मप्र के पास हर रोज 150 टन ऑक्सीजन होगी। कोविड संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन मिलेगी। वहीं, महाराष्ट्र के रवैये से नाराज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों से कहा है कि वे किसी भी सूरत में किसी भी राज्य को ऑक्सीजन की सप्लाई न रोकें।
हर राज्य में कोविड मरीजों के इलाज के लिए इसकी जरूरत है। नियमों का हवाला देकर ऑक्सीजन उत्पादक कंपनियों से न कहें कि वह राज्य के ही अस्पतालों को ज्यादा सप्लाई दें। इससे बाकी के राज्यों में मरीजों को दिक्कत आ सकती है। केंद्र के इस दखल के बाद उम्मीद की जा रही है कि मप्र में ऑक्सीजन की सप्लाई में सुधार होगा।
सरकार की हर स्थिति पर नजर
मुख्यमंत्री ने मप्र के प्लांट्स की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ अन्य राज्यों से भी समन्वय किया है। अफसरों ने बताया कि मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर स्थिति पर नजर है। नए ऑक्सीजन प्लांट के लिए भी कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है।
मप्र में बढ़ेगी क्षमता : 120 टन होगी, बाबई में लगेगा 200 टन का प्लांट
- वर्तमान में मप्र के पास 50 टन ऑक्सीजन उपलब्ध है, जिसे 120 टन कर लिया गया है। आगामी 30 सितंबर तक यह क्षमता 150 टन हो जाएगी।
- यदि ये प्लांट 100 प्रतिशत क्षमता पर कार्य करेंगे तो अतिरिक्त ऑक्सीजन मिल जाएगी। उन्होंने ऑक्सीजन का दुरुपयोग रोकने के भी निर्देश दिए।
- आईनॉक्स का ऑक्सीजन प्लांट होशंगाबाद के मोहासा बावई में लगेगा। इसमें 200 टन ऑक्सीजन बनेगी। दो दिन में कंपनी प्लॉट का पैसा जमा करा सकती है।
महाराष्ट्र से आती है 20 टन ऑक्सीजन
बैठक में बताया गया कि प्रदेश को 20 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति महाराष्ट्र से है। यह आईनॉक्स कंपनी द्वारा की जाती है। अब यह कंपनी गुजरात और उत्तरप्रदेश के अपने प्लांट से मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगी। महाराष्ट्र सरकार ने 7 सितंबर को आदेश निकाला था कि 80% ऑक्सीजन महाराष्ट्र के ही अस्पतालों में दी जाए। गुजरात ने भी इसके बाद 10 सितंबर को आदेश निकाल दिया कि 50% ऑक्सीजन प्रदेश में ही दी जाए। इसी के बाद मप्र की मुश्किल बढ़ी।