जेईई मेन्स की परीक्षा के दूसरे दिन शहर के तीन सेंटरों में परीक्षा आयोजित की गई। देवास नाका स्थित आय ऑन डिजिटल जोन के साथ ही आईपीएस काॅलेज और ओरिएंटल यूनिवर्सिटी में भी एग्जाम हुए। इंदौर में 6 दिनों में करीब 8 हजार बच्चे परीक्षा देंगे। मुख्यमंत्री के फ्री परिवहन की घोषणा का मिला-जुला रिएक्शन दिखाई दिया। ग्वालियर से इंदौर एग्जाम देने पहुंचे मोहित शर्मा तो फ्री परिवहन की बात सुनते ही उखड़ से गए। उन्होंने कहा कहे का फ्री परिवहन। ऑनलाइन जानकारी सम्मिट की। ना तो शाम तक किसी का फोन आया ना कोई व्यवस्था की गई। इसके बाद खुद ही ट्रेवल वाले के पास गया। उसे पैसे दिए और रात 8 बजे वहां से निकला। यहां पहुंचकर सीधे परीक्षा देने सेंटर पर आया हूं। अभी साढ़े 8 बज रहे हैं। इसके बाद उन्होंने सेंटर के बाहर ही अपना बैग रखा और भीतर चले गए।
परिसर में ही सभी की थर्मल स्क्रीनिंग की गई।
धार से आए मुकेश मुकाती ने कहा कि मैंने 31 अगस्त को 181 के साथ ही ऑनलाइन जानकारी सम्मिट की थी। 2 अगस्त को 3 बजे जिला अधिकारी का कॉल आया कि आपके जाने की क्या व्यवस्था करें। इस पर मैंने उन्हें कहा कि अब तो आप काफी लेट हो गए हैं, मैं इंदौर के लिए निकल गया हूं। शाम को इंदौर पहुंचा और एक रिलेटिव के घर पर पहुंचा। सुबह 7 बजे बच्चे को लेकर सेंटर पर पहुंचा। यहां से पेपर दिलवाकर अपनी ही व्यवस्था से वापस लौट जाएंगे।
सैनिटाइजेशन के बाद ही छात्रों को भीतर जाने दिया गया।
वहीं, कांकरिया से आए गिरीश ने बताया कि जिला प्रशासन ने सुविधा तो दी थी, लेकिन मैं खुद बाइक से परीक्षा देने पहुंचा हूं। लॉकडाउन में पढ़ाई को लेकर कहा कि खुद ही घर में पढ़ाई की है। वहीं, इंदौर की आकांक्षा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण परेशानी तो हुई है। बसों की सुविधा पर कहा कि बसें दिखाई दी हैं बच्चों को लाते हुए। कसरावद के रोहन पाटीदार ने बताया कि मैं कोटा में तैयारी कर रहा था, लॉकडाउन के कारण घर आया जिससे रुटीन गड़बड़ा गया। हालांकि इसके बाद घर पर ही तैयारी की।
छात्रों की मदद के लिए कर्मचारियों को तैनात किया गया था।
मंगलवार की तरह ही बुधवार को भी दिखी वैसी ही व्यवस्थाएं
मंगलवार की तरह ही बुधवार को भी व्यवस्थाओं में कोई अंतर नजर नहीं आया। सुबह 6 बजे से ही बच्चे सेंटर में पहुंचने लगे थे। हालांकि इस बार भीड़ जैसी स्थित नजर नहीं आया। एक-एक कर बच्चे सेंटर पर पहुंच रहे थे। जिन्हें प्रशासन की सुविधा मिली वे उस अनुसार पहुंचे, जिन्हें नहीं मिली वे अपने वाहन से आए। परीक्षा केंद्र से करीब 400 मीटर की दूरी पर ही परिजनों को रोका जा रहा था। केवल बच्चों को ही भीतर जाने की परमिशन थी।
धार के मुकाती बोले - फ्री वाहन के लिए कॉल तो आया, लेकिन काफी देर हो गई थी।
एनटीए के निदेर्शों के अनुसार, सेंटर पर फ्लोर मार्किंग, क्यू मैनेजर, रस्सी, लाउडस्पीकर, सैनिटाइजर समेत अन्य कई प्रकार की व्यवस्थाएं नजर आईं। परिसर के बाहर और भीतर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया था। छात्रों को इलेक्ट्राॅनिक डिवाइस, मोबाइल फोन, केल्कुलेटर, लाॅग टेबल, पेजर, टेबलेट, लैपटाॅप, बुक, नोटबुक, पेपर, बैग, खाने पीने की चीजें, ईयरफोन, माइक्रोफोन, कैमरा या रिकाॅर्डर सब कुछ बाहर ही छोड़कर जाना पड़ा।
परिसर के बाहर छात्रों को निर्देश देते रहे कर्मचारी।
पूरे परिसर को हर आधे घंटे में सैनिटाइज किया जा रहा था
सुबह एग्जाम शुरू होने के पहले भीतर और बाहर पूरे परिसर और एग्जाम हाॅल को सैनिटाइज किया गया। इसके बाद परीक्षा शुरू होने के पहले सिटिंग एरिया को अच्छी तरह सैनिटाइज किया गया। माॅनीटर, की बोर्ड, माउस, वेब कैम, टेबल, कुर्सी भी सैनिटाइज हुए। इसके अलावा दरवाजों के हैंडल, सीढ़ियां, रेलिंग, व्हील चेयर को भी संक्रमण मुक्त किया गया। परिसर में प्रवेश द्वार के अलावा, हॉल के बाहर भी सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई थी।
छात्रों ने क्या किया
छात्र सुबह 6 बजे से ही आने शुरू हो गए थे। यहां पर कुछ समय से परिजनों के साथ खड़े रहे। इसके बाद जैसे ही सेंटर में जाने की अनुमति मिली एक-एक कर भीतर दाखिल होने लगे। इस दौरान वहां मौजूद कर्मचारी दूरी बनाए रखने के निर्देश देते रहे। यहां पर थर्मल स्क्रीनिंग के बाद नए मास्क दिए गए। सेंटर के बाहर क्यू मैनेजर, रस्सी और फ्लोर मार्क लगाए गए थे, जिस पर से होकर छात्र परीक्षा केंद्र के भीतर गए। सेंटर में प्रवेश से पहले हैंड सैनिटाइजर का उपयोग भी करना पड़ा।