कोरोना काल में पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ अभियान के तहत शिक्षकों को घर-घर जाकर या एंड्रॉयड फोन से बच्चों काे पढ़ाना है। खंडवा जिले के धनगांव के सरकारी कन्या स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम है और 90% पालकों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं हैं। ऐसे में शिक्षकों ने नया आइडिया निकाला। उन्होंने गांव के 12 ओटले चुने और यहां सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाई शुरू करा दी। इस काम में गांव के ग्रेजुएट युवाओं ने भी मदद की। इस स्कूल में कक्षा दूसरी से 5वीं तक 130 छात्राएं हैं। अब ये छात्राएं 10-10 की संख्या में गांव के ओटलों पर पढ़ाई कर रही हैं। गांव के ही 12 युवा स्वयंसेवक बनकर इन्हें हर दिन सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक पढ़ाकर इनका भविष्य संवारने में लगे हैं। ये 12 स्वयंसेवक संवार रहे बच्चों का भविष्य गांव के ग्रेजुएट खुश्याल सोलंकी, पंकज राठौर, संगीता सोनवरे, अयान अंसारी, आरती सोलंकी, कृष्णा पटेल, रजनी मुकेश, सारिका रायल, सुनीता रायल, सोनू डाकसे, अल्फीजा मंसूरी व रीना चित्रौड़े हर दिन अपनी दिनचर्या से तीन घंटे का समय निकालकर छात्राओं को ‘ओटला स्कूल’ में 15 जुलाई से पढ़ा रहे हैं। इनके शिक्षण से जहां बच्चे जिज्ञासु हो रहे हैं, वहीं स्वयंसेवकों को क्षेत्रवासियों व पालकों से सम्मान भी मिल रहा है। 12 हजार की आबादी, 3 हजार परिवार के पास माेबाइल नहीं कन्या शाला के शिक्षक राजेश चौरे ने बताया, यहां 90% अभिभावक किसानी करते हैं। इनके पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है। ऐसे में ‘ओटला स्कूल’ का प्रयाेग किया गया और यह सफल भी रहा।