राजधानी के चूना भट्टी निवासी अभिषेक सराफ ने यूपीएससी में ऑल इंडिया 8वीं रैंक हासिल की है। अभिषेक फिलहाल असिस्टेंट कमिश्नर (आईआरएस) हैं और फरीदाबाद में ज्वाइनिंग देने के बाद एक साल की छुट्टी लेकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद उनका सलेक्शन आईएएस के लिए हुआ है। अभिषेक का ये चौथा अटेंप्ट था। इससे पहले 2017 में 402वीं रैंक, जिसमें इंडियन डिफेंस एकाउंट्स सर्विसेस मिली थी। 2018 में 248वीं रैंक और वह आईआरएस में सेलेक्ट हो गए।
आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग पढ़ने वाले अभिषेक ने बातचीत की। उन्होंने बताया कि आईआईटी में पढ़ाई के दौरान ही तय कर लिया था कि आईएएस बनना है। इसलिए आईआरएस की ज्वाइनिंग के साथ ही एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव ले ली, जिससे तैयारी कर सकें। अभिषेक ने कभी कोचिंग नहीं की, लेकिन इंटरव्यू की तैयारी के लिए मॉक इंटरव्यू देने जरूर जाते थे। एक्स्ट्रॉ ऑर्डिनरी लीव सिर्फ यूपीएससी में चुने गए प्रतिभागियों को मिलती है। यह अवैतनिक अवकाश होता है।
अपनी मां और बड़े भाई अनिमेष के साथ अभिषेक। बड़े भाई गूगल में गुरुग्राम में डेवलपमेंट मैनेजर हैं।
पर्यटन को बढ़ाने के लिए डिजिटली क्या कर सकते हैं?
अभिषेक सराफ का यूपीएससी का इंटरव्यू 31 जुलाई को हुआ था, उनके पांच सदस्यीय बोर्ड के चेयरमैन टीसीए अनंत थे। अभिषेक ने बताया कि इंटरव्यू की तैयारी इस बार थोड़ी ज्यादा थी।मैंने इस बार करंट अफेयर्स पर फोकस किया था। मुझे दो सवाल याद हैं, एक उन्होंने पर्यटन को डिजिटली कैसे आगे बढ़ाएंगे, क्योंकि कोरोना काल चल रहा है। दूसरा सवाल मेरे पेटेंट को लेकर था। मैंने 'इम्पैक्ट ऑफ बिहैवियर कन्क्रीट'। इस विषय पर मैंने कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर सुधीर मिश्रा के साथ पेटेंट फाइल किया है। उस पर उन्होंने सवाल पूछे।
पूरे देश में कहीं भी सेवा करने को तैयार हूं
अभिषेक ने कॉडर को लेकर कहा कि वह कहीं भी काम कर सकते हैं, जनसेवा करनी है। कहीं भी कर लूंगा। अभिषेक काम करने को लेकर कहते हैं, 'समाज में यूं तो बहुत सारी कमियां और क्षेत्र हैं, जहां काम किया जा सकता है, लेकिन अगर मुझे मौका मिले तो मानव संसाधन के विकास पर काम करना चाहूंगा। क्योंकि ये ऐसा विषय है, जिसमें चाइल्ड एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक। हेल्थ केयर, जिसमें प्राइमरी हेल्थ सेंटर आते हैं, उनमें सुधार की काफी गुंजाइश है। इसके साथ स्किल डेवलपमेंट।
आईएएस बनने का भरोसा था, इसलिए प्लेसमेंट में नहीं बैठे
अभिषेक ने बताया कि "आईआईटी कानपुर में सेलेक्ट और फोर्थ ईयर में पहुंचने के बाद ही आईएएस के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। मेरा फोकस यही था, इसलिए मैं कैंपस तक में नहीं बैठा। 2014 में एग्जाम दी और ऑल इंडिया में 6वीं रैंक लाकर असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव आर्किटेक्ट बन गया। जॉब के दौरान मैंने देखा कि दुनिया में करने और सीखने के लिए बहुत कुछ नया है। आईआईटी में पढ़ाई के दौरान मैंने वर्जीनिया, अमेरिका और कनाडा से इंटर्नशिप कर इंजीनियरिंग फील्ड में नई चीजें सीखी।
इंजीनियरिंग को ही सब्जेक्ट रखा
अभिषेक का कहना है कि इंजीनियर ही मेरा फेवरेट सब्जेक्ट है। आमतौर पर यूपीएससी के दौरान प्रतिभागी सब्जेक्ट चेंज कर लेते हैं, मेरे साथियों ने भी मुझे यही सुझाव दिया। लेकिन मैंने तीनों ही बार इंजीनियर सब्जेक्ट से ही एग्जाम दिया। मुझे ये अन्य विषयों से आसान लगा, क्योंकि मैं इसमें बेहतर इंटरेक्ट कर सकता हूं।
अभिषेक ने आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान मैंने वर्जीनिया, अमेरिका और कनाडा से इंटर्नशिप कर इंजीनियरिंग फील्ड में नई चीजें सीखी।
डॉक्युमेंट्री देखना पसंद है
अभिषेक को डॉक्युमेंट्री देखना पसंद है। वह कहते हैं कि इससे मैं दुनिया की इंट्रेस्टिंग इंजीनियरिंग को देखता हूं। भोपाल सेंट्रल इंडिया का सेंटर है। यहां का कल्चर है, यहां की हरियाली और महिलाओं को बराबरी का दर्जा। उन्होंने यहां पर कई बेगमें हुई हैं, जिन्होंने भोपाल में सत्ता संभाली है। उनकी इज्जत है। भोपाल की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसालें दी जाती हैं।
मां ने मुझे चलना सिखाया, अब दौड़ रहा हूं
अभिषेक कहते हैं, "आर्किटेक्ट पिता अरविंद सराफ का 28 साल पहले देहांत हो गया। मां प्रतिभा सराफ ने ही परिवार की जिम्मेदारियां संभाली। मैं तो 10 महीने का था और अपने पैरों पर चल भी नहीं सकता था।जब पिता स्वर्गीय अरविंद सराफ गुजर गए। फिर मां ही मेरे लिए पिता भी बन गई। उन्होंने चलना सिखाया और अब दौड़ रहा हूं। मां के लिए क्या कहूं। मैं उनके पास ज्यादा रह सकूं, इसलिए सिविल सर्विसेज की तैयारी के समय मैं भोपाल ही रहता था।" अभिषेक के बड़े अनिमेष सराफ गूगल में बिजनेस डेवलमेंट मैनेजर हैं।
अभिषेक सराफ और अनमोल जैन एक ही स्कूल में पढ़े
यूपीएससी में 8वीं रैंक हासिल करने वाले अभिषेक सराफ और 14वीं रैंक हासिल करने वाले अनमोल जैन। दोनों कैंपियन स्कूल में साथ पढ़ें हैं। मंगलवार को यूपीएससी का रिजल्ट आया तो दोनों ने एक-दूसरे को बधाई दी है। टॉपिक्स पर कई बार दोनों डिस्कस करते थे, करंट अफेयर्स को लेकर भी चर्चा होती थी। अभिषेक ने बताया कि आज अगर बधाई न देते तो बात पूरी नहीं होती।
आंसर डेटा से देते हैं तो एक्जामिनर प्रभावित होता है
इतिहास और संस्कृति पर रुचि रखने वाले अभिषेक सराफ बताते हैं, 'यूपीएससी के एग्जाम में डेटा का ज्यादा यूज नहीं करना चाहिए। लेकिन मैंने डेटा का ज्यादा से ज्यादा यूज किया। इससे आंसर में फैक्ट आ जाता है, हां, ये जरूरी है कि आपका हर फैक्ट एक दम सही होना चाहिए। जो डेटा का यूज कर रहे हैं, वो बिल्कुल नए और एक्चुअल होना चाहिए। नंबर गेम एक्जामिनर को प्रभावित करते हैं।'
युवाओं से कहा- कंटेंट बैलेंस रखें
अभिषेक ने बताया, 'पिछले दोनों एग्जाम में मुझे ऐसे पेपर में कम माक्र्स मिले थे। मैंने अपने आईपीएस दोस्त सुधांशु जैन की मदद ली। ऐसे में कंटेंट बैलेंस होना चाहिए। दोनों पक्षों की बात आना चाहिए। मैंने लिख-लिखकर प्रैक्टिस की। इस बार भी प्रजेंटेशन पर फोकस किया। हर बार नया पढऩे की बजाए आपने जो पढ़ा है उसे स्ट्रॉन्ग बनाएं। उसमें क्या नयापन ला सकते हैं, इस पर फोकस करें।'