मुझे आपकी ताली नहीं चाहिए। मैं अपनी भलाई सुनिश्चित करने के लिए आपके वास्तविक और पूरे प्रयास चाहती हूं। मुझे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण चाहिए। मैं बेहतर सरकारी रणनीति चाहती हूं। मैं आपके कार्यों में विश्वास रखना चाहती हूं। बेहतर करें।
Coronavirus In India भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के अनुसार, रविवार को भारत में जनता कर्फ्यू लागू हो गया। जो सुबह 7 बजे शुरू हुआ और रात 9 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही 19 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा करते हुए, भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के आम लोगों से अपील की थी कि 22 मार्च काे, वे शाम 5 बजे अपनी बालकानियों में निकलकर ताली, बर्तन और घंटी बजाकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले लोगों (कोरोना रोगियों का उपचार कर रहे चिकित्सा पेशेवर और अन्य कर्मचारी) के प्रयासों की सराहना करें।
लेकिन भारत के चिकित्सा पेशेवर, जो कोरोनोवायरस के प्रसार के खिलाफ लगातार कड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं, पीएम मोदी की अपील से खुश नहीं हैं। कोरोना के खिलाफ कठिन लड़ाई के लिए लम्बे समय से संसाधनों की मांग कर रहे कई चिकित्सा पेशेवर ट्विटर पर सामने आए हैं।
ट्विट करते हुए एक सर्जन ने लिखा है कि मुझे आपकी ताली नहीं चाहिए। मैं अपनी भलाई सुनिश्चित करने के लिए आपके वास्तविक और पूरे प्रयास चाहती हूं। मुझे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण चाहिए। मैं बेहतर सरकारी रणनीति चाहती हूं। मैं आपके कार्यों में विश्वास रखना चाहती हूं। बेहतर करें।
@narendramodi I don't want your claps. I want your genuine and wholehearted effort in ensuring my wellbeing. I want personal protective equipment. I want better government strategies. I want to have faith in your actions. Do better.
— M (@unkittenish) March 21, 2020
इसके अलावा कई पेशेवरों चिकित्सकों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने के जरूरी संसाधनों की कमी पर चिंता व्यक्त की है।
Today, we spent hours figuring out how to re-structure healthcare facility in our hospital. Which wards and how many beds do we assign for #COVIDー19 patients? How many ICU beds? 1/3 of hospital beds and half the ICU beds. Someone said. The numbers send a shudder down the spine.
— SP Kalantri (@spkalantri) March 21, 2020
Challenging indeed. 17 steps for donning personal protective equipment and 11 steps for safely doffing it. Nurses, technicians and doctors are unable to voice their struggle as they care for ICU patients. #Covid19 #coronavirusindia
— SP Kalantri (@spkalantri) March 21, 2020
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में चिकित्सा पेशेवरों को कोविद -19 महामारी से निपटने में गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें गुणवत्ता वाले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी है, क्योंकि भारतीय निर्माताओं का कहना है कि वे नहीं जानते कि उनके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के विनिर्देशों के अभाव में क्या उत्पादन करना है।21 मार्च को प्रोटेक्शन वियर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ संजीव ने कहा कि हमने 12 फरवरी से स्वास्थ्य मंत्रालय को कई बार लिखा है और उनमें से कई लोगों से मिले भी, लेकिन आप उनकी समझदारी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वे एक महीने बाद भी विनिर्देश देने में कामयाब नहीं हुए हैं।
I can see a scramble for PPE since they are in such short supply in states like ours. We still have the advantage of being a few days behind on the upslope of this pandemic... Will we heed this advice from The Lancet? https://t.co/F4b4OVjWpm
— yogesh jain (@yogeshjain_CG) March 21, 2020
1,00,000 लोगों पर सिर्फ 2.3 क्रिटिकल केयर बेड उपलब्ध
क्रिटिकल केयर मेडिसिन जर्नल के एक पेपर के अनुसार, भारत में प्रति 1,00,000 लोगों पर सिर्फ 2.3 क्रिटिकल केयर बेड उपलब्ध हैं। जबकि कोरोनावायरस से अधिक मौतों की कगार पर पहुंचे इटली के पास प्रति 1,00,000 लोगों पर 12.5 आईसीयू बेड हैं।कई विशेषज्ञों ने भारत में वेंटिलेटर की कमी पर भी चिंता जताई है। क्योंकि कोविद -19 के इलाज के दौरान रोगी को गहन देखभाल इकाइयों की आवश्यकता होती है। जिसमें वेंटिलेटर भी शामिल है।उन्होंने आंशका जताई है कि यदि भारत में इटली की तरह संक्रमण बढ़ा तो वेंटिलेटर की कमी जैसे बड़े संकट का सामना भी करना पड़ेगा।
हालांकि भारत सरकार ने देश में वेंटिलेटर के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है, लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध और दुनियाभर में हो रहे शटडाउन के कारण भारत को इनके उत्पादन में अभी और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अन्य देशों में, सरकारों ने खुद वेंटिलेटर के लिए आदेश दिए हैं - जर्मनी ने 10,000 का ऑर्डर दिया है, जबकि इटली 5,000 खरीदने की उम्मीद कर रहा है।
In my hospital, 90% of the ventilators are occupied now, even when there are no confirmed COVID-19 case. Just imagine how the health system will cope up if the epidemic expands.
— Zeeshan Mhaskar (@MhaskarChief) March 20, 2020
चिकित्सक भी आए चपेट में
गौरतलब है कि भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे चिकित्सा पेशेवरों को बड़े पैमाने पर संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। संक्रमित मरीज के इलाज कर रहे चिकित्सक और चिकित्सा दल को संक्रमण से बचाव के लिए विशेष संसाधनों की आवश्यकता होती है, इसके बिना उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। हाल ही में लखनऊ में एक डॉक्टर का कोरोना के लिए सकारात्मक परीक्षण किया, जिसके बाद वह और उनकी पूरी टीम क्वारंटाइन की गई।