भोपाल: कोरोना महामारी के बीच मप्र की 26 सीटों पर उपचुनाव(By Election) करवाना चुनाव आयोग (Election commission) के सामने बड़ी चुनौती है। आयोग ने राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे है। कांग्रेस की तरफ से सुझाव दिया गया है कि EVM से नहीं बैलेट पेपर से चुनाव करवाए जाए। जिससे संक्रमण का खतरा कम होगा।
लेकिन जिस तरीके से हर बूथ पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना है। उसे देखते हुए आयोग हर बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1000 कर सकता है। इसके लिए 4500 नए बूथ बनाने होंगे। ऐसे में इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ जुटाना होगा। अब सामान्य परिस्थिति में चुनाव करवाया जाता तो 21 करोड़ रुपए का खर्च आता है।
लेकिन अब हर बूथ पर हैंड सेनेटाइजर, ग्लव्स और मास्क के इंतजाम में ही 50 करोड़ का अतिरिक्त खर्च आएगा। ऐसे में 26 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 71 करोड़ रु. का खर्च होगा। 2018 में 230 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 180 करोड़ रु. खर्च हुए थे।
बता दें, इसी मार्च में कोरोना काल के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 कांग्रेस विधायकों ने अपनी विधायकी छोड़ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इसके बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई. शिवराज सरकार बन गई। उसके बाद दो विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया। बीजेपी का दामन थाम लिया।
ऐसे में सदन की खाली सीटों की संख्या बढ़कर 26 हो गई. और कोरोना संकट को ध्यान रखते हुए राजनीतिक दल सोशल मीडिया के जरिए चुनावी प्रचार कर रहे हैं।