काेराेनाकाल में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बुधवार दाेपहर में 10वीं कक्षा की परीक्षा के परिणाम जारी किए। इस बार लड़कियाें में सूरतगढ़ की खुशी ने 98.6, श्रीगंगानगर शहर से इशिता व साैम्या ने 98.4, शैफाली ने 98.2 प्रतिशत अंक हासिल अंक हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है। लड़कियों ने परीक्षा परिणाम में इस बार भी लड़कों काे पीछे छाेड़ दिया है। सीबीएसई काेआर्डिनेटर व गुर हरकृष्ण पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य एमएस विग ने बताया कि जिले में 10वीं की परीक्षा के लिए करीब 4 हजार से अधिक विद्यार्थी पंजीकृत किए गए थे।
अजमेर रीजन में 2020 का पास पर्सेंटेज 96.93 प्रतिशत रहा है। सीबीएसई की ओर से जारी बयान के अनुसार इस वर्ष 10वीं कक्षा में कुल 91.46 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए, जबकि 2019 में 91.10 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए थे। यानी पिछले साल की तुलना में इस साल 0.36 प्रतिशत अधिक छात्र उत्तीर्ण हुए। इस बार के परिणाम में कुल लड़कियों का पास प्रतिशत 93.31 रहा, जबकि लड़कों का 90.14 प्रतिशत रहा है। इस तरह लड़कियां 3.17 प्रतिशत आगे रही हैं। पिछले साल की तुलना में लड़कियाें के प्रदर्शन में 0.9 तक सुधार हुआ है।
टाॅपर्स के अव्वल आने का राज...रोज 7-8 घंटे पढ़ी, रिवीजन पर भी फोकस रखा, जब भी नर्वस होती, अध्यापक ताकत देते
मुझे किताबें पढ़ाना और स्टोरी लिखना बहुत पसंद है। खासकर पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत एपीजे अब्दुल कलाम की किताबें बहुत पढ़ी है। उनकी हर किताब से एक प्रेरणा, एक शक्ति व आत्मविश्वास मिलता हैं। यह कहना है कि 10वीं सीबीएसई में जिला टॉपर खुशी तनेजा है।
सूरतगढ़ की ब्लॉसम एकेडमी स्कूल की छात्रा खुशी तनेजा पुत्री राकेश तनेजा ने 98.6 प्रतिशित अंक प्रााप्त कर श्रीगंगानगर जिले में प्रथम स्थान हासिल कर स्कूल व शहर का नाम रोशन किया। खुशी ने बताया कि सर अनिल चुघ, सुचित कोठारी व प्रधानाचार्य हेमा चुघ के मार्गदर्शन में केवल किताबों से पढ़ाई की। किताबों का बार-बार रिविजन करने के लिए प्रतिदिन 7 से 8 घंटे पढ़ाई करती थी। पहले थोड़ा नर्वस हो गई थी, लेकिन सर ने आत्म विश्वास जगाया। मै दूसरे को संदेश देना चाहती हूं कि अपने शिक्षक पर भरोसा करो उनके मार्गदर्शन से ही लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। बैटमिंटन खेलना बहुत प्रसंद है। मां नीरू तनेजा सरकारी स्कूल में शिक्षिका व पिता बिजनेस मेन हैं।
इशिता@98.4%: बैडमिंटन खिलाड़ी बेटी ने पूरे साल काेई भी ट्यूशन नहीं की...अव्वल रही
नाेजगे पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा इशिता जिंदल बताती है कि उन्हाेंने पूरे साल किसी भी विषय की काेई भी ट्यूशन नहीं की। सभी विषयाें की खुद तैयारी की और परीक्षा में 98.4 प्रतिशत अंक हासिल किए। परीक्षा की तैयारी के लिए स्कूल समय के अलावा राेजाना करीब 7 से 8 घंटे पढ़ाई करती थी। इशिता के पिता सतीश जिंदल आढ़त का काम करते हैं और माता रितिका जिंदल गृहिणी हैं। दादा प्यारेलाल व दादी पूर्णी देवी बताती है कि इशिता हंसमुख लड़की है। इशिता ने बताया कि उन्हें बैडमिंटन खेलना अच्छा लगता है। इशिता अपने जूनियर विद्यार्थियाें का मनाेबल बढ़ाते हुए कहा कि वे स्कूल व घर में जब भी पढ़ाई करें, पूरी इमानदारी और लगन के साथ करें। इससे उनका पढ़ाई के साथ जुड़ाव बढ़ेगा और नंबर भी अच्छे प्राप्त हाेंगे।
सौम्या@98.4%: रोज एक टॉपिक सेलेक्ट करती, तब तक पढ़ती...जब तक वह तैयार नहीं हो जाता
नाेजगे पब्लिक स्कूल की छात्रा साैम्या चावला बताती हैं कि मैंने कभी भी परिणाम के लिए पढ़ाई नहीं की। हमेशा खुद के लिए पढ़ी और इसका फल यह है कि परीक्षा में 98.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। साैम्या ने बताया कि वे राेजाना एक नया टाॅपिक पढ़ने के लिए तैयार करती थी। इस टाॅपिक काे तब तक नहीं छाेड़ती थी जब तक यह टाॅपिक पूरी तरह से पढ़ा न जाए। इसके बाद ही नए टाॅपिक काे तैयार करती। यह सिलसिला पूरे साल तक चला। साैम्या के पिता सीए नीरज चावला व माता रिंकू चावला बताती हैं कि वाे आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहती है। इसके लिए उसने अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है। उन्हाेंने बताया कि साैम्या अपनी पढ़ाई के साथ ही अपने दाेस्ताें काे भी परीक्षा की तैयारी करवाती थी। इसके अलावा उसे खेल में क्रिकेट व बैडमिंटन काफी पसंद है।
शैफाली@98.2%: जब भी तनाव होता गेम खेलती एक-एक सप्ताह का पढ़ाई का शेड्यूल बनाती
गुरहरकृष्ण पब्लिक स्कूल की छात्रा शैफाली बिश्नाेई बताती हैं कि परीक्षा के दाैरान उन्हें जब भी तनाव महसूस हाेता था ताे वाे अपने छाेटे भाई के साथ बातें करती और गेम खेलकर तनाव कम करती थी। इसी की बदाैलत परीक्षा में 98.2 प्रतिशत अंक लिए। शैफाली ने बताया कि कक्षा में जाे भी पढ़ाया जाता था उसका घर पर आकर रिवीजन जरूर करती थी। कभी रूटीन नहीं बनता था ताे पूरे सप्ताह की पढ़ाई का शेड्यूल बनाकर रिवीजन करती थी ताकि पढ़ाई लगातार हाेती रहे। शैफाली काे बुक पढ़ाना तथा आर्ट एंड क्राफ्ट बहुत पसंद है। पिता भवानी सिंह का रेस्टाेरेंट है और माता तरमा देवी गृहिणी हैं। दादा केवलराम बिश्नाेई व दादी सावित्री देवी बताती हैं कि साैम्या शुरुआत से अपने दाेस्ताें की पढ़ाई में मदद के लिए आगे रहती हैं।
एक्सपर्ट व्यू हरिकृष्ण आर्य, एजुकेशन आईटी एक्सपर्ट
कम नंबर वाले निराश न हों, अभिभावक ध्यान दें, जिसमें रुचि, वही सब्जेक्ट दिलवाएं
यह अच्छी बात है कि बच्चों ने कक्षा 10वीं और 12वीं के परिणाम में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। कक्षा 10वीं के बाद बच्चे पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है क्योंकि इसके बाद बच्चा परिपक्व होना शुरू हो जाता है। सब्जेक्ट के मामले में एक ही बात ध्यान रखने लायक है कि बच्चे को वही सब्जेक्ट लेना चाहिए जिसमें वह अच्छा परफॉरमेंस कर रहा है। माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने सपने बच्चों पर ना थोपें। जीवन में थोड़ा सा अलग करने की कोशिश भी करनी चाहिए। भेड़-चाल नहीं अपनानी चाहिए। जिन बच्चों के नंबर कम आए हैं उन्हें कभी निराश नहीं होना चाहिए। वे अगर मेहनत करें तो और अधिक नंबर ला सकते हैं। नंबर मायने नहीं रखते हैं यह बात हमेशा जहन में रखनी चाहिए।