सीबीएसई की बची हुई परीक्षाओं को लेकर आज कोई अहम फैसला हो सकता है। अभी सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की शेष परीक्षाएं 1 से 15 जुलाई के बीच प्रस्तावित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से पिछले सप्ताह कहा था कि वह 10वीं 12वीं की बची परीक्षाएं रद्द करने और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर रिजल्ट जारी करने के अनुरोध पर विचार करे। कोर्ट ने सीबीएसई को इसके लिए मंगलवार (23 जून) तक का समय दिया था। सीबीएसई ने कहा है कि वह स्थिति के मद्देनजर अपने दिशा-निर्देश देगा। मामले की सुनवाई मंगलवार यानी कल होगी।बताया जा रहा है कि अगर सीबीएसई 10वीं 12वीं की शेष परीक्षाएं रद्द करता है तो इंटरनल असेसमेंट के आधार पर स्टूडेंट्स को ग्रेड दिए जा सकते हैं। यह ग्रेडिंग सिस्टम पूरे देश में लागू होगा। ग्रेड देते समय उन पेपरों में स्टूडेंट्स का प्रदर्शन देखा जा सकता है जो हो चुके हैं।
शीर्ष अदालत ने स्टूडेंट्स के पेरेंट्स के एक समूह की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकताओं ने कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सीबीएसई से शेष बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने की मांग की है। पेरेंट्स का कहना है कि ऐसी स्थिति में एग्जाम देने से बच्चों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। उनकी मांग है कि परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए और इंटरनल असेस्मेंट के आधार पर स्टूडेंट्स का रिजल्ट घोषित किया जाए।
एचआरडी मंत्रालय का मंथन जारी
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने पिछले सप्ताह सीबीएसई बोर्ड के चेयरमैन और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के प्रमुख के साथ चर्चा की थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का रुख साफ है कि वह कोरोना के बीच छात्रों की सुरक्षा को खतरे में नहीं डालेगा।
सीबीएसई परीक्षा रद्द हुईं या टलीं तो आगे बढ़ सकती है NEET , JEE की डेट
बताया जा रहा है कि अगल सीबीएसई परीक्षा स्थगित करती है या रद्द करती है तो इसका असर मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षी JEE कि तिथियों पर भी पड़ेगा। जेईई के मैन एग्जाम 18 से 23 जुलाई के बीच, जबकि नीट 26 जुलाई को होनी है।
मनीष सिसोदिया ने की परीक्षा रद्द करने की मांग
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से 1 जुलाई से शुरू होने जा रही सीबीएसई 10वीं 12वीं की शेष परीक्षाओं को रद्द करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्टूडेंट्स को इंटरनल असेसमेंट (आंतरिक परीक्षा मूल्यांकन) के आधार पर पास कर दिया जाए।
कुछ बातों को लेकर अभी भी कंफ्यूजन
परीक्षा शुरू होने में करीब एक सप्ताह बाकी है लेकिन कुछ बातों को लेकर अभी भी कंफ्यूजन है। सवाल है कि कन्टेनमेंट जोन में रह रहे उन छात्रों का क्या किया जाए जो परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। अगर सीबीएसई कन्टेनमेंट जोन से स्टूडेंट्स को परीक्षा केंद्र बुलाने का फैसला करती है तो इसके लिए भी केंद्रीय गृह मंत्रालय से फैसला लेना होगा। कुछ अधिकारियों का यह भी कहना है कि दिल्ली जैसे बहुत से शहरों में कई स्कूलों को क्वारंटाइन सेंटर में बदल दिया गया है। केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय भी इसमें शामिल हैं।
टेंशन में स्कूल
सीबीएसई 10वीं 12वीं और आईसीएसई की परीक्षाओं से पहले दिल्ली के स्कूल टेंशन में हैं। वजह है राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों का तेजी से बढ़ना।
स्कूलों को चिंता है कि तेजी से फैलती कोविड-19 महामारी के माहौल में 1 जुलाई से बोर्ड परीक्षाएं कैसे आयोजित की जाएंगी। क्या ऐसे समय में हजारों बच्चों की परीक्षाएं कराना सही रहेगा? ग्रेटर कैलाश II स्थित केआर मंगलम स्कूल की प्रिंसिपल संगीता अरोड़ा कहती हैं, 'हम एसी बंद देंगे। इसकी जगह खिड़की खोली जाएंगी और पंखे चलाए जाएंगे। जुलाई की गर्मी में स्टूडेंट्स ने मास्क पहना होगा, ऐसे में उन्हें पेपर लिखने के दौरान गर्मी लग सकती है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर टेंपरेचर चेंकिंग के दौरान किसी स्टूडेंट्स का बॉडी टेंपरेचर सामान्य से अधिक आया तो क्या होगा?'
स्कूल प्रशासन भी इस बात को लेकर चिंता में हैं कि स्टूडेंट्स को स्कूल परिसर में आने के बाद एक दूसरे से दूर कैसे रखा जाएगा। पेपर के बारे में वह काफी एक दूसरे से विचार विमर्श करते हैं। बार बार सीटों को सैनिटाइज करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की भी जरूरत पड़ेगी।
अभिभावक बोले, रद्द हों CBSE 12वीं के बचे हुए पेपर, बच्चों पर कोरोना का खतरा, SC में याचिका
सरकारी स्कूलों की और भी ज्यादा चिंताएं हैं। बहुत से सरकारी स्कूल राशन वितरण केंद्र में तब्दील कर दिए गए हैं। अब स्कूल हेड की योजना है कि बच्चों और राशन लेने वालों की एंट्री अलग अलग गेट से हो। रोहिणि के सर्वोदय को-एड विद्यालय के प्रिंसिपल अवधेश कुमार झा ने कहा, 'परीक्षाओं का आयोजन कराना काफी मुश्किल होगा। क्वेश्नच पेपर लाना और उसे बांटना भी एक बड़ी चुनौती है। इसे संपर्क की आशंका बनी रहेगी। कोई स्टूडेंट अपनी परीक्षा नहीं छोड़ना चाहेगा, ऐसे में वह अपने लक्षण छुपाएगा। शिक्षक भी ऐसे माहौल में स्कूल आने से परहेज करेंगे।'
बहुत से प्रिंसिपलों ने शिकायत की है कि स्कूल की कई कर्मचारियों ने आने से मना कर दिया है।
इंडियन स्कूल की प्रिंसिपल तानिया जोशी ने कहा, 'कुर्सियां व टेबल साफ करते समय एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होगी। परीक्षकों के तौर शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के लिए भी ध्यान देना होगा। हम स्टूडेंट्स के लिए सैनिटाइजर, मास्क और ग्लोव्स का इंतजाम करने की योजना बना रहे हैं लेकिन जुलाई का मौसम काफी ऊमस वाला होता है, ऐसे में ग्लोव्स के साथ पेपर लिखना मुश्किल होगा। हमें ये सब बातें ध्यान में रखनी होगी।'