प्रशासन के डेंगू कंट्रोल के दावे खोखले, न दवा का छिड़काव किया जा रहा न फागिंग हो रही

Posted By: Himmat Jaithwar
10/28/2022

ग्वालियर। डेंगू और मलेरिया शहरभर में अपने पैर पसार रहा है। प्रतिदिन इनकी चपेट में आने वालों की संख्या चिंता बढ़ा रही है। जिन्हें यह बीमारी घेरे है, वह तो परेशान हैं ही। साथ ही वे शहरवासी भी परेशान हैं जिनके घर के आसपास पानी भरा रहता है और वहां मच्छर अधिक होते हैं। इस बीमारी का खतरा बढ़ने की सीधी जिम्मेदारी नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की है। इनका काम शहर में साफ-सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखना है, लेकिन अधिकारी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े बैठे दिख रहे हैं।

शहर में कई क्षेत्रों में डेंगू-मलेरिया के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें डीडी नगर, सिकंदर कंपू, गुड़ा-गुड़ी का नाका, गोले का मंदिर, हजीरा, पिंटो पार्क, मुरार और सिटी सेंटर सहित कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि उनकी टीमें लगातार फागिंग और लार्वा नष्ट करने के लिए दवा का छिड़काव लगातार कर रही हैं। इन दावों की हकीकत जब शहरवासियों से जानना चाही तो सच कुछ और ही सामने आया। वहीं जब जनता के जवाब के आधार पर संबंधित अधिकारियों से सवाल किए तो कोई संतुष्टिजनक जवाब नहीं मिला। एमडी डा. मुकेश तोमर का कहना है कि वर्तमान में स्थिति भयाभय नहीं है, लेकिन समय रहते हालात नहीं सुधारे गए तो स्थिति बिगड़ सकती है। अक्टूबर माह तक डेंगू के लगभग 280 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें लगभग 125 बच्चे शामिल हैं। डेंगू और मलेरिया के मरीजों में ग्वालियर जिले के अलावा आसपास के क्षेत्रों के लोग भी शामिल हैं।

आज मैं आवश्यक काम से शहर से बाहर आया हूं, तो आज का पता नहीं है, लेकिन हमारी टीमें नियमित तौर पर शहर भर में सर्वे कर दवाओं का छिड़काव कर रहीं हैं। जहां जलजमाव की स्थिति होती है, वहां तो विशेष रूप से दवा डाली जा रही है।

डा. विनोद दोनेरिया, जिला मलेरिया अधिकारी

जिन क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं या जिन क्षेत्रों से शिकायतें मिलती हैं, वहां हम प्राथमिकता के तौर पर फागिंग करवाते हैं। क्षेत्रवार दिन फागिंग के दिन बांटे गए हैं, कभी किसी कारणवश कोई क्षेत्र छूट जाए तो वहां बाद में फागिंग करवाते हैं।

डा. वैभव श्रीवास्तव, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

पिछले कई सालों से मैं नई सड़क पर रह रहा हूं। यहां मच्छर परेशान करते हैं। यहां अधिकारी फागिंग कराने की बात कर रहे हैं तो गलत है। दो महीने से क्षेत्र में कोई अधिकारी-कर्मचारी आया नही। न ही कोई फागिंग नहीं हुई है।

अंकित जैन, निवासी नई सड़क

तीन महीने पहले ही घर बदलकर परिवार सहित यहां शिफ्ट हुए हैं। घर में एक छोटा बच्चा भी है। डेंगू मलेरिया का डर भी है। जबसे यहां आए हैं तबसे आज तक हमने तो क्षेत्र में कहीं भी फागिंग होते हुए नहीं देखी।

शिवानी बांदिल, निवासी सिटी सेंटर

मच्छर हमारे क्षेत्र में ज्यादा तो नहीं हैं, लेकिन फिर भी दिखते तो हैं। लंबे समय से यहां रह रहा हूं, पर मैंने कभी कोई फागिंग होते नहीं देखी। न ही मच्छरों की रोकथाम के अन्य कोई प्रयास करते अधिकारी-कर्मचारी दिखे।

डा. शिव गुप्ता, निवासी अल्कापुरी

मैं मच्छरों से बहुत परेशान हूं, घर में दिन-रात मंडराते रहते हैं। घर के पास एक दो जगह जलजमाव भी रहता है, जहां मच्छर पनपते हैं। कभी नगर निगम वाले मच्छरों को मारने के लिए फागिंग करने नहीं आते हैं।़-ि ललित गुधैनिया, निवासी- गोविंदपुरी



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