नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के चार जांबाज फाइटर पायलट 2022 में अंतरिक्ष में जाने वाले गगनयान मिशन के लिए मॉस्को में प्रशिक्षण ले रहे हैं। यूरी गागरिन सेंटर में सालभर चलने वाली इस ट्रेनिंग का एक चौथाई हिस्सा पूरा होने ही वाला था कि कोरोनावायरस के कारण रूस में 30 अप्रैल तक लॉकडाउन हो गया। लॉकडाउन के बावजूद बंद कमरे में सभी अंतरिक्ष यात्री प्लान के हिसाब से ट्रेनिंग ले रहे हैं।
ट्रेनिंग देने वाली एजेंसी ग्लावकोसमोस जेएससी के महानिदेशक दिमित्री लोसकुतोव ने कहा, ‘भारतीय पायलटों के हौसले बुलंद हैं। कोरोना महामारी से उनके चेहरे पर शिकन भी नहीं है। थ्योरी की परीक्षा की तैयारी उन्हें वैसे भी कमरे में बैठकर करनी थी, लेकिन लॉकडाउन खत्म होते ही असली ट्रेनिंग यानी सर्वाइवल मैराथन शुरू हो जाएगी। यह ट्रेनिंग अंतरिक्ष यात्रियों को उन विपरीत हालात के लिए तैयार करती है, जब धरती पर लौटते वक्त उनका यान किसी ऐसी जगह उतर जाए, जहां कोई इंसान न हो। वहां हिंसक पशु, समुद्र, जंगल, रेगिस्तान, बर्फ के अंतहीन ग्लेशियर या नदी के मुहाने हो सकते हैं।’
हफ्तेभर बाद स्पेसक्राफ्ट की फ्लाइट थ्योरी की परीक्षा देंगे
लोसकुतोव ने कहा कि लॉकडाउन से पहले ही हमने कर्मचारियों और ट्रेनिंग ले रहे पायलटों को कोरोना से बचाने के लिए रिस्पाॅन्स ग्रुप गठित कर दिया था। 19 मार्च से कर्मचारियों को रिमोट वर्क के लिए भेज दिया गया। फिलहाल कंपनी के सभी कर्मचारी घरों से ही काम कर रहे हैं। चारों पायलट सेहतमंद हैं। उनका रोजाना फिटनेस टेस्ट होता है। पिछले सप्ताह उन्होंने मानव स्पेसक्राफ्ट के ऑनबोर्ड सिस्टम की जानकारियों के बारे में परीक्षा पास कर ली। अब हफ्तेभर बाद उन्हें स्पेसक्राफ्ट की फ्लाइट थ्योरी की परीक्षा देनी है।
यह परीक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन पर सरकार क्या फैसला लेती है? नियमित कक्षाएं भी 30 अप्रैल से ही शुरू होंगी। ट्रेनिंग के पहले चरण में गगनयान के यात्रियों को 3 दिन 2 रात की सर्वाइवल मैराथन से गुजारा जाएगा। बर्फ से ढंके पहाड़ों, हिंसक जानवरों वाले जंगली इलाकों और दलदली क्षेत्रों में उनकी ट्रेनिंग कराई जाएगी, ताकि वे कठिन हालात का मुकाबला करने की मानसिक स्थिति हासिल कर सकें।