भोपाल. कांग्रेस सरकार में नदी न्यास समिति के अध्यक्ष बने कंप्यूटर बाबा से भाजपा सरकार ने सुविधाएं वापस लेना शुरू कर दी हैं। लॉकडाउन में अपने आश्रम में धूनी रमा रहे कंप्यूटर बाबा की गाड़ी और निजी स्टाफ जैसी तमाम सुविधा हटा दी गई हैं। केवल बतौर सुरक्षा गनमैन बचा है, जो संभवत: अध्यक्ष पद से हटाने के बाद वापस ले लिया जाएगा।
सरकार के फैसले के बाद कंप्यूटर बाबा ने कहा है कि उनकी सुविधा ले ली गई हैं। अगर पद से हटाया जाता है तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। नर्मदा नदी को बचाने के लिए वे हमेशा की तरह काम करते रहेंगे। लॉकडाउन के बाद से कंप्यूटर बाबा इंदौर के गोम्मट गिरी आश्रम में हैं। बाबा कहते हैं कि नर्मदा के किनारे अवैध खनन होने पर साधु-संतों के साथ धुनी रमाने बैठ जाएंगे।
आंदोलन की धमकी पर मिला था मंत्री का दर्जा
करीब तीन साल पहले अचानक से नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का एलान करने के बाद कंप्यूटर बाबा (नामदेव त्यागी) चर्चा में आए थे। कंप्यूटर बाबा के आंदोलन के ऐलान के बीच शिवराज सरकार ने उनके समेत 5 साधु-संत और बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया था। ऐन विधानसभा चुनाव के पहले कंप्यूटर बाबा ने कांग्रेस से नजदीकी बढ़ा ली थी। प्रदेशभर में चुनाव में प्रचार-प्रसार किया। कमलनाथ सरकार बनने के बाद तीन महीने तक कंप्यूटर बाबा ने पद नहीं मिलने पर तेवर दिखाए थे। इसके बाद नदी न्यास समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। उन्हें नर्मदा, शिप्रा और मंदाकिनी तीनों नदी के सरंक्षण की जिम्मेदारी मिली है। एक साल में कंप्यूटर बाबा का फोकस केवल नर्मदा नदी के किनारे अवैध रेत उत्खनन पर ज्यादा रहा है। इसके चलते सरकार के मंत्रियों से भी विवाद होता आया है।