मप्र विद्युत नियामक आयोग ने हाईकोर्ट से रोक हटने के बाद के लंबित 2021-22 की नई टैरिफ याचिका को मंजूरी दे दी। प्रदेश में बिजली की दरें 0.63% महंगी कर दी गई हैं। आयोग ने ये बढ़ोत्तरी रेट की बजाए घरेलू, कृषि और निकाय क्षेत्रों में पानी व रोड लाइट की फिक्स चार्ज में किया है। घरेलू बिजली के फिक्स चार्ज में 3 से 20 रुपए तक बढ़ोत्तरी की गई है। हालांकि नियामक आयोग ने एफसीए (फ्यूल कास्ट एडजस्मेंट) चार्ज को 1 पैसे से घटाकर माइनस 20 पैसे प्रति यूनिट कर दी है। इससे अगले तीन महीने तक उपभोक्ताओं का बिजली बिल घट कर आएगी।
नियामक आयोग ने इस बार बिजली के रेट बढ़ाने की बजाए फिक्स चार्ज में बदलाव कर भरपाई की कोशिश की है। छह महीने पहले ही नियामक आयोग ने 1.98 प्रतिशत बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी की थी। नई दरें 8 जुलाई से लागू होगी।
उपभोक्ता के बिजली बिल में ये चार बातें होती हैं शामिल
बिजली बिल में चार तरह के चार्ज उपभोक्ताओं से वसूला जाता है। पहला खपत का जो आप बिजली यूनिट के रूप में जलाते हैं। दूसरा फिक्स चार्ज का, जो यूनिट के अलावा हर महीने अनिवार्य रूप से देना होता है। तीसरा एफसीए जो माल भाड़ा और कोयले के घट-बढ़ रेट के अनुसार हर तीन महीने के लिए तय किया जाता है। इसके अलावा चौथा जीएसटी जोड़कर बिल जारी किया जाता है।
ये नई सुविधाएं दी गई है
- ई-वीकल चार्जिंग स्टेशन- नियामक आयोग ने इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित होने वाले ई-चार्जिंग स्टेशनों की बिजली दरों में बदलाव किया है। अब 120 रुपए प्रति केवीए स्थाई प्रभार को घटाकर 100 रुपए प्रति केवीए कर दी गई है। इसके अतिरिक्त बैटरी स्वेपिंग स्टेशन को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
- मौसमी टाईम ऑफ डे लागू किया- नियामक आयोग ने हाई वोल्टेज के अंतर्गत टाईम ऑफ डे में दी जा रही छूट में भी परिवर्तन किया है। अब इसके स्थान पर मौसमी टाईम ऑफ डे लागू किया गया है। मतलब अब अप्रैल से अक्टूबर तक ऑफ पीक में 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी। जबकि नवंबर से मार्च के दौरान 20 प्रतिशत की छूट जारी रहेगी।
- पीएम आवास और होमस्टे- पीएम आवास के अंतर्गत बनने वाले सस्ते हाउसिंग कॉम्प्लेक्स और मप्र होमस्टे योजना 2010 के अंतर्गत पंजीकृत होमस्टे के लिए भी बिजली की दरें घरेलू वाली ही रखी है।
- नदी लिंक-वे योजना-सिंचाई, जल प्रदाय और कृषि संबंधी अन्य उपयोग वाली श्रेणी में ही अब नदी संपर्क योजना को भी शामिल किया है। इसके लिए जरूरी बिजली की दरें सिंचाई के अनुसार ही लगेंगी।
आयोग ने 269 करोड़ रुपए ही राजस्व की और जरूरत मानी
प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों की ओर से पावर मैनेजमेंट कंपनी ने नियामक आयोग में बिजली की दरों में 6.23% बढ़ोत्तरी की मांग की थी। तर्क दिया था कि 2021-22 के लिए उन्हें कुल 44 हजार 814 करोड़ रुपए की जरूरत है। मौजूदा बिजली दर पर 2629 करोड़ रुपए और जुटाने के लिए उपरोक्त दर बढ़ाने की मांग की थी। पर नियामक आयोग ने कुल जरूरत 42 हजार 402 करोड़ रुपए ही मान्य किए और इस जरूरत को पूरा करने के लिए 264 करोड़ रुपए की और जरूरत बताई। इसकी भरपाई के लिए मौजूदा दर 0.63% बढ़ाने की अनुमति दी है।
एफसीए चार्ज घटा कर फिलहाल दी राहत
नियामक आयोग ने एक तरफ बिजली की दरों में 0.63% की बढ़ोत्तरी की है। वहीं जुलाई से सितंबर (तीन माह) के लिए FCA (फ्यूल कास्ट एडजस्मेंट) को एक पैसे प्रति यूनिट से माइनस 20 पैसे कर दिया है। इस कारण अगले तीन महीने तक हर श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली बिल में प्रति यूनिट 20 पैसे की राहत मिलेगी। एफसीए चार्ज हर तीन महीने में नियामक आयोग रिवाइज करता है। ऊर्जा विभाग की ओर से बताया गया है कि FCA चार्ज घटाने से लोगों को अगले तीन महीने जून की तुलना में घटा हुआ बिल मिलेगा।
इन दरों को यथावत रखा
- 100 वाट भार क्षमता वाले कनेक्शनधारी, जो 30 यूनिट तक बिजली खर्च करते हैं।
- 300 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ता।
- उद्योग, रेलवे, शादी-विवाह के अस्थाई कनेक्शन।
- उपभोक्ताओं को मीटर का किराया नहीं देना होगा।
- छूट और प्रोत्साहन भी लागू रहेगी
- प्रीपेड मीटरिंग, अग्रिम बिल भुगतान, ऑनलाइन भुगतान पर दी जा रही छूट जारी रहेगी।
- लोड फैक्टर व पावर फैक्टर के लिए दी जा रही छूट जारी रहेगी
- नए और वर्तमान बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं, केप्टिव पावर प्लांट, ओपन एक्सेस उपभोक्ता और रेलवे को दी जा रही छूट जारी रहेगी।
- विनियामक आयोग ने उपभोक्ता को स्वयं का मकान बनाने के लिए अस्थाई कनेक्शन दिए जाने की अवधि तीन साल यथावत रखा है।
- कृषि और कृषि से संबंधित अन्य गतिविधियों के लिए 10 एचपी तक 750 रुपए प्रति एचपी और इससे अधिक पर 1500 रुपए प्रति एचपी ही बिलिंग करने का दर रखा है।