प्रदेश में सिर्फ बेरोजगारों को ही नौकरी का इंतजार नहीं है, बल्कि जो परीक्षा देकर पास हो चुके हैं, उन्हें भी इंतजार है। यही वजह है कि प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति साल दर साल बिगड़ती जा रही है। तीन प्रमुख कैडर के करीब 35,000 युवा ऐसे हैं जिनका चयन तो हो गया, लेकिन नियुक्ति अब तक नहीं हुई है। इनमें से किसी को 2 साल से तो किसी को 5 साल से नियुक्ति का इंतजार है।
कोविड-19 की वजह से बने लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के हालात भी एक वजह है। साथ ही शिक्षक पदों पर चयनित उम्मीदवारों को अलग-अलग कैटेगरी के लिहाज से रिजेक्ट भी किया जा रहा है। अकाउंटेंट्स को 5 साल से, पटवारी परीक्षा पास कर चुके उम्मीदवारों को 3 साल से और शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके 35,000 युवा 2 साल से नियुक्ति पाने का इंतजार कर रहे हैं।
- 05 साल से अकाउंटेंट्स को इंतजार 03 साल से पटवारी परीक्षा पास कर चुके युवा वेटिंग में 02 साल से शिक्षक पात्रता वाले परेशान
इन कैटेगरी के कारण अटकी 2000 शिक्षकों की नियुक्ति
1 माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी और बायोकेमेस्ट्री को बायोलॉजी स्ट्रीम में नहीं माना जा रहा।
2 बीएससी में आईटी सब्जेक्ट वालों को मैथ्स स्ट्रीम में नहीं गिना जा रहा।
3 इंग्लिश लिट्रेचर विषय वालों को अंग्रेजी कैटेगरी में नहीं रख रहे।
4 डिस्टेंस मोड और रेगुलर मोड पर 1 साल में 2 डिग्री लेने वालों की डिग्री मान्य नहीं की जा रही।
कई उम्मीदवार परेशान होकर पहुंचे कोर्ट
1. लेखापाल परीक्षा का 2015 में रिजल्ट आया, ज्वाइनिंग अटकी
लेखापाल परीक्षा पास कर चुके विनोद धाकड़ बताते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्र ने 2208 पदों के लिए संविदा लेखपाल परीक्षा 5 अप्रैल 2015 को कराई। रिजल्ट 6 जुलाई 2015 को आया। 3 माह में नियुक्ति नहीं दी गई। कई आवेदक हाईकोर्ट पहुंच गए। अभी 330 लेखापाल के पद खाली हैं। इसके लिए 1018 उम्मीदवारों को इंतजार है।
2. 1150 से ज्यादा पटवारी की नियुक्ति के लिए वेटिंग में
पटवारी परीक्षा पास चुके संदीप पांडे बताते हैं दिसंबर 2017 में पटवारी के 9235 पदों के लिए हुई परीक्षा में 10 लाख शामिल हुए थे। 26 मार्च 2018 को रिजल्ट आया। पहली काउंसलिंग के बाद 7800 पद भरे गए। 1435 पद खाली रह गए। इसमें से सिर्फ 250 को ही नियुक्ति दी गई। 1150 से ज्यादा को अभी भी नियुक्ति का इंतजार है।
3. दो साल हो गए, अब तक नहीं मिली स्कूल में ज्वाइनिंग
चयनित शिक्षक जितेंद्र शर्मा बताते हैं कि सितंबर 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूलों में 30,594 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया। पीईबी ने फरवरी 2019 में उच्च माध्यमिक शिक्षक पदों के लिए पात्रता परीक्षा ली। अगस्त में रिजल्ट आया। मार्च में माध्यमिक शिक्षक पदों के लिए परीक्षा ली गई। अक्टूबर 2019 में रिजल्ट आया। पहले लोकसभा चुनाव, फिर विधानसभा चुनाव के कारण रिजल्ट अटके। 2 साल से हम नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
एलाइड सब्जेक्ट के मामले में बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं
चयनित शिक्षकों को अलग-अलग कैटेगरी में क्यों रिजेक्ट किया जा रहा है?
1 साल में 2 डिग्री एक साथ करना क्या मान्य करना चाहिए, बताएं। एलाइड सब्जेक्ट के मामले में बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है। कानूनी पहलू भी देख रहे।
क्या शासन के पास फंड की कमी है। इसी कारण नियुक्ति नहीं निकाली जा रही? ऐसा बिल्कुल नहीं है। डेढ़ साल से बने कोविड-19 के हालात के बावजूद ओवर ड्राफ्ट की स्थिति नहीं बनने दी।
बेरोजगारी से क्या सरकार निपट नहीं पा रही, इसे दूर करने के लिए शासन क्या कर रहा है? क्या रणनीति बनाई है? प्राइवेट सेक्टर की तुलना में सरकारी क्षेत्र में स्थिति बेहतर है। विभिन्न प्रकार से रोजगार के अवसर विकसित किए जा रहे हैं।