भिंड। जिले पिछले 20 साल से कई स्कूल भवन, अब तक पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हो सके। जिले में अधूरे स्कूल भवनों की संख्या 72 बताई जा रही है। इन स्कूलों में पढ़ाई उधारी की बिल्डिंगों में कराई जा रही है। हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों के छात्रों को मिडिल या प्राइमरी स्कूलों के भवनों कक्षाएं लगाई जाती है। जगह कम पढ़ने पर एक कक्ष में दो- दो या अधिक क्लासें लगवााते हैं। यह सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है।
प्रदेश सरकार, पिछले सालों में करोड़ों रुपए शिक्षा विभाग की बिल्डिंग बनाने के लिए स्वीकृत कर चुकी है। यह बिल्डिंग तैयार किए जाने को लेकर कागजी मसौदा तैयार किया गया। टेडरिंग की प्रक्रिया पूरी की गई। एजेंसी निर्धारित की गई। इसके बाद चला लापरवाही का खेल। आधा अधूरा निर्माण कार्य करके ठेकेदारों द्वारा कई स्कूलों भवनों का पैसा निकाल लिया है। हालांकि इस बात की पुख्ता जानकारी कोई नहीं दे पा रहा है कि कितने राशि अब तक गोलमोल हो चुकी है।
इन स्कूलों में पढ़ाई करने वाले हजारों छात्रों को बैठने के लिए जगह नहीं है। इस मुद्दे पर शिक्षा विभाग का कोई भी अफसर बात नहीं करना चाहता है। इसके पीछे कारण यह है कि अधिकांश बिल्डिंगों के ठेकेदार, स्थानीय स्तर के दबंग है। वे राजनीति में अच्छी दखल करते है। अधिकतर विधायक, मंत्री या फिर अन्य राजनेता के सगे-संबंधी है। शिक्षा विभाग के अफसरों को डर है कि इन ठेकेदारों के खिलाफ लिखने या फिर बोलने पर वे हानि पहुंचाएंगे।
अधूरी बिल्डिंग भी हुई हैंडओवर
जिले में ऐसी कई बिल्डिंग है जोकि अधूरी है। उन्हें हैंडओवर किया गया है। यह हैंडओवर, ठेकेदार के दबाव में आकर कराए जाने की बात शिक्षा विभाग से जुड़े अफसर कहते आ रहे है। हैंडओवर की गई बिल्डिंगों में कई जगह बॉउंड्रीवॉल नहीं है तो कई जगह लैटबाथ का निर्माण नहीं है। इसके अलावा कुछ ऐसी बिल्डिंग है जिसका नक्शा ठेकेदार द्वारा बदलकर निर्माण करा दिया गया है। ऐसी बिल्डिंगों की मॉनीटरिंग करने को लेकर शिक्षा विभाग के पास पर्याप्त समय नहीं है। आधी अधूरी बिल्डिंग को हैंडओवर किए जाने में भी खेल चला है। प्रशासनिक अफसर ऐसे शिक्षा विभाग के अफसरों पर कार्रवाई किए जाने की बात कह रहे हैं।
बैठक में अधूरे बिल्डिंग मुद्दा उठा
बीते रोज कलेक्टर डाॅ सतीश कुमार एस द्वारा शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ बैठक की गई। इस बैठक में स्कूल भवनों की अधूरी बिल्डिंगों पर चर्चा की गई। कलेक्टर डॉ सतीश कुमार द्वारा ऐसे भवनों की जानकारी ली है। उनका कहना है कि जल्द ही ठेकेदार से राशि रिकवर कराई जाएगी।
मंत्री जी के गांव के स्कूल का निर्माण भी अधूरा
केस:-1
- प्रदेश के राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया का पैतृक गांव अकलोनी। यहां पिछले तीन साल से हाईस्कूल बिल्डिंग का निर्माण अधूरा है। इस भवन का निर्माण कराने वाले पास के ही गांव माहढ़न के ठेकेदार थे। हाईस्कूल के छात्रों को मिडिल स्कूल के भवन में बैठाकर पढ़ाया जाता है।
केस:-2
- जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर आलमपुर कस्बा। यहां हायर सेकंडरी स्कूल भवन का निर्माण करीब सात साल से अधूरा है। यह भवन में अब तक एक हॉल, दो कमरे और एक प्रयोगशाला कक्ष का निर्माण किया गया है। जबकि यहां नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाएं लगाई जानी है। इस अधूरी बिल्डिंग में स्कूल का सामान रखा है। छात्रों की कक्षाएं मिडिल स्कूल में लगाई जाती हैं।
केस:- 3
- इसी तरह मेहगांव कस्बे में भी हायर सेकंडरी स्कूल की बिल्डिंग पिछले सालों से नहीं बन सकी है। यह स्कूल भवन का काम अधूरा है। यहां छात्र संख्या अधिक होने की वजह से दूसरे स्कूल में क्लास लगाई जाती है।
केस:- 4
- ग्राम कनावर में भी यही हाल देखने को मिलता है। यहां हाईस्कूल की बिल्डिंग पिछले चार साल में बनकर तैयार नहीं हो सकी है। यहां पढ़ाई करने वाले नौवीं और दसवीं के छात्रों को मिडिल स्कूल में कक्षाएं लगाई जाती है।
नोटिस देकर ठेकेदारों से करेंगे रिकवरी
इस मामले में कलेक्टर डॉ सतीश कुमार का कहना है कि बीते रोज स्कूल भवन के अधूरे निर्माण की जानकारी समीक्षा बैठक में मिली है। ऐसे स्कूलों का निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा। ठेकेदारों को नोटिस जारी होगा। ठेकेदारों से रिकवरी कराई जाएगी।