महाराष्ट्र के ठाणे जिले में रहने वाली सुजाता पवार ने पिछले साल अगस्त में रियूजेबल और ऑर्गेनिक सैनिटरी पैड्स का स्टार्टअप शुरू किया। आज भारत के साथ ही नेपाल, सिंगापुर, न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी वे अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रही हैं। पिछले 10 महीने में सुजाता ने करीब 22 लाख रुपए का बिजनेस किया है। साथ ही 30 लोगों को उन्होंने रोजगार भी दिया है। अब वे ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही हैं।
33 साल की सुजाता बीफार्मा के साथ MBA ग्रेजुएट हैं। करीब 8 साल तक उन्होंने अलग-अलग फार्मास्यूटिकल कंपनियों में काम किया। इस लिहाज से मेडिकल फील्ड में उनका अच्छा-खासा अनुभव रहा है। सुजाता बताती हैं कि मैं अपने काम से खुश थी। मेरे पति अपूर्व अग्रवाल भी इसी सेक्टर में जॉब करते थे। सैलरी भी अच्छी थी। इस तरह के नए स्टार्टअप के बारे में पहले से कोई प्लान नहीं था।
लॉकडाउन के दौरान प्लास्टिक और केमिकल वाले सैनिटरी पैड्स पर रिसर्च करना शुरू किया
सुजाता की टीम के साथी अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी के बारे में लोगों को जानकारी देते हुए।
वे कहती हैं कि एक कॉमन लड़की की तरह मुझे पीरियड्स के दौरान पैड्स को लेकर कुछ दिक्कतें होती थीं। मार्केट में उपलब्ध पैड्स के इस्तेमाल से हेल्थ इश्यूज होते थे। जब कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा तो मुझे इन पैड्स पर रिसर्च करने और जानकारी जुटाने के लिए थोड़ा वक्त मिल गया। स्टडी के बाद मुझे पता चला कि इनमें यूज होने वाले प्लास्टिक और केमिकल हेल्थ के लिए सही नहीं होते हैं। महिलाओं को इससे स्किन रिलेटेड दिक्कतें होने लगती हैं। लॉन्ग टर्म यूज के बाद इंफेक्शन भी होने लगता है।
इसके बाद सुजाता ने इसके ऑल्टरनेटिव पर काम करना शुरू किया। तब उन्हें पता चला कि कॉटन एक बेहतर विकल्प हो सकता है। गांवों में लोग लंबे समय से कॉटन का इस्तेमाल करते रहे हैं। सुजाता कहती हैं कि मैंने खुद ही ऑर्गेनिक कॉटन के कुछ पैड्स तैयार किए। जिन्हें इस्तेमाल करने के बाद उनका एक्सपीरियंस बढ़िया रहा। उन्होंने कुछ रिलेटिव्स को भी ये पैड्स इस्तेमाल करने के लिए भेजे। उनका भी रिस्पॉन्स बढ़िया रहा।
हालांकि इस दौरान दो चीजों की दिक्कत हुई। पहली कि ये पैड साफ करने बाद सूखने में एक से दो दिन का वक्त लग जाता था। दूसरी दिक्कत ये कि साफ करने के बाद इस तरह के पैड्स का इस्तेमाल करना हेल्थ के लिए दिक्कत हो सकती है। अगर अच्छी तरह साफ नहीं हुआ तो इंफेक्शन का डर बना रहेगा।
मेरी तरह दूसरी महिलाओं को भी दिक्कत होती है, तो क्यों न सबके लिए बेहतर प्रोडक्ट तैयार किया जाए?
ये महिलाएं सुजाता की टीम में काम करती हैं। इसके लिए इन्हें ट्रेनिंग भी दी गई है।
सुजाता कहती हैं कि तब तक रिसर्च करते-करते मुझे इसके बारे में ठीक ठाक जानकारी हो गई थी। इसलिए आगे रिसर्च को लेकर मेरी दिलचस्पी और बढ़ती रही। मैंने तय किया कि अब इस काम को अगले लेवल तक लेकर जाना है, क्योंकि इस तरह की दिक्कतें और भी लड़कियों और महिलाओं को होती हैं। बस फिर क्या था, यहीं से सुजाता ने अपने स्टार्टअप का प्लान किया।
इसके बाद उन्होंने एक डिजाइनिंग पार्टनर से टाइअप किया और अगस्त 2020 में Avni नाम से रियूजेबल ऑर्गेनिक कॉटन के पैड्स तैयार किए। इसमें न तो लीकेज की दिक्कत थी, न ही सुखाने में। यह पैड हर तरह से सुरक्षित था और लंबे समय तक रीयूज भी किया जा सकता था।
घर से ही शुरू किया स्टार्टअप
स्टार्टअप शुरू करने के बाद सुजाता ने नौकरी छोड़ दी और पूरा फोकस अपने काम पर करने लगीं। उन्होंने शुरुआत के चार-पांच महीने घर से ही अपने बिजनेस को संभाला। जब ग्राहकों की डिमांड बढ़ने लगी तो उन्होंने ठाणे में ही एक ऑफिस खोल लिया। जहां अभी करीब 30 लोग काम करते हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं, जो पैड्स को तैयार करने और उनकी पैकेजिंग का काम करती हैं। अब उनके पति अपूर्व भी खुद की जॉब छोड़कर सुजाता के साथ काम कर रहे हैं।
सुजाता बताती हैं कि हमने करीब 25 लाख का इन्वेस्टमेंट किया है। जिसमें कुछ फंड इन्वेस्टर्स की तरफ से भी मिले हैं। जो मशीनों की खरीद और रॉ मटेरियल पर खर्च हुए हैं। कुछ फंड हमने मार्केटिंग स्ट्रैटजी और प्रमोशन पर भी खर्च किया है।
सुजाता ने करीब 8 साल तक फार्मास्यूटिकल सेक्टर में काम किया है। उनके पति भी इसी फील्ड से जुड़े रहे हैं।
कैसे करते हैं मार्केटिंग?
सुजाता कहती हैं कि हमने मार्केटिंग की शुरुआत सोशल मीडिया से की। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर पेज बनाए और अपने प्रोडक्ट के फोटो, वीडियो पोस्ट करने शुरू कर दिए। इससे रिस्पॉन्स तो बेहतर मिला, लेकिन तब मैंने महसूस किया कि लोगों को अवेयर करना भी उतना ही जरूरी है। इसके बाद मैं खुद भी वीडियो बनाकर पोस्ट करने लगी और लोगों को बताने लगी कि कैसे पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए और किन पैड्स से क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं। इसके बाद हमें ऑर्डर्स मिलने शुरू हो गए।
फिर हमने कुछ हेल्थ ब्लॉगर्स से कॉन्टैक्ट किया। उन्हें अपना प्रोडक्ट भेजा। जिसे इस्तेमाल के बाद उन लोगों ने बढ़िया रिव्यू लिखे। इससे भी लोगों को हमारे प्रोडक्ट के बारे में जानकारी मिली। साथ ही हमने कुछ सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को भी अपने प्रोडक्ट भेजे। जिसे यूज करने के बाद उन लोगों ने अपने अकाउंट से हमारे प्रोडक्ट्स के बारे में पोस्ट किए। इस तरह हमारा दायरा बढ़ता गया।
अभी सुजाता अपनी वेबसाइट के जरिए देशभर में ऑनलाइन अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रही हैं। साथ ही सिंगापुर, नेपाल, न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी उनके प्रोडक्ट्स की डिमांड है। फ्लिपकार्ट और अमेजन पर भी उनके प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं। उन्होंने साउथ इंडिया में करीब 25 बड़े रिटेलर्स से भी टाइअप किया है। जहां उनके प्रोडक्ट की बिक्री होती है। सुजाता बताती हैं कि हर महीने दो से ढाई हजार ऑर्डर्स आते हैं। अब तक 10 हजार से ज्यादा कस्टमर्स उनके साथ जुड़ चुके हैं।
महाराष्ट्र के ठाणे में सुजाता की यूनिट में ये महिलाएं सैनिटरी पैड्स तैयार कर रही हैं।
कैसे और किस तरह के प्रोडक्ट्स तैयार करती हैं?
सुजाता और उनकी टीम अभी तीन तरह के प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग कर रही है। इनमें एक ऑर्गेनिक कॉटन पैड है जो तीन लेयर का बना है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसकी कीमत 200 रुपए है और यह तीन साल तक रियूजेबल है। इसे ड्राय करने में भी दिक्कत नहीं होती है। नॉर्मल कपड़े की तरह इसे भी क्लीन किया जा सकता है। तीन से चार घंटे में यह ड्राय भी हो जाता है।
दूसरा प्रोडक्ट डिस्पोजेबल पैड है। एक पैड की कीमत 10 रुपए है। इसे इकोफ्रेंडली तरीके से तैयार किया जाता है। इसकी पैकेजिंग मटेरियल भी इकोफ्रेंडली ही होती है। जबकि तीसरा प्रोडक्ट मेंस्ट्रुअल कप है। यह सिलिकॉन का बना हुआ है। इसमें ब्लड सुखाने की जगह कलेक्ट किया जाता है। इसे चार साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इन प्रोडक्ट्स को तैयार करने के लिए सुजाता ने कुछ मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों से टाइअप किया है। उनके दो प्रोडक्ट्स महाराष्ट्र में बनते हैं जबकि तीसरा वे बेंगलुरु में तैयार करवाती हैं। महाराष्ट्र में उनकी खुद की भी यूनिट है जहां महिलाएं पैड्स तैयार करने का काम करती हैं।
वीमेन हेल्थ प्रोडक्ट का मार्केट
भारत में पिछले कुछ सालों से इस तरह के ऑर्गेनिक और इकोफ्रेंडली सैनिटरी पैड्स के कई स्टार्टअप शुरू हुए हैं। कुछ बढ़िया काम भी कर रहे हैं। जो लोग अवेयर हैं, वे ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। हालांकि रूरल एरिया और गरीब वर्ग की महिलाओं तक इसकी पहुंच न के बराबर है। इसके पीछे अवेयरनेस तो बड़ी वजह है ही, साथ ही कीमतों का ज्यादा होना भी प्रमुख कारण है।एक रिपोर्ट के मुताबिक इन प्रोडक्ट का मार्केट भारत में अभी करीब 32 अरब का है, जो 2025 तक 70 अरब पहुंचने का अनुमान है। यानी इस सेक्टर में तेजी से ग्रोथ हो रहा है।
सुजाता की टीम अलग-अलग जगहों पर महिलाओं को अवेयर करने के लिए प्रोग्राम भी आयोजित करती है।
आप इस तरह का स्टार्टअप प्लान कर रहे हैं तो इन चीजों का ध्यान रखें
सबसे पहले मार्केट रिसर्च करना जरूरी है। ताकि आपको यह जानकारी मिल सके कि आप क्या नया लॉन्च करने वाले हैं और मार्केट में किस तरह के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं। उनकी लागत और कीमत क्या है? इससे आपको बजट का अंदाजा हो जाएगा। चूंकि मसला हेल्थ से जुड़ा है तो बेहतर होगा एक हेल्थ एक्सपर्ट से भी टिप्स ले लें या उसकी देखरेख में काम शुरू करें। एक नॉर्मल स्टार्टअप के लिए कम से कम 4 से 5 लाख रुपए की जरूरत होगी। आप चाहे तो खुद इन्वेस्ट कर सकते हैं। या फिर लोन लेकर काम शुरू कर सकते हैं।
देश में कुछ मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियां हैं जो इस तरह के प्रोडक्ट्स बनाती हैं। आप उनसे टाइअप करके अपने हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करवा सकते हैं। अगर आपका बजट ज्यादा है तो आप अपने यहां भी मशीनें लगा सकते हैं। यूनिट शुरू कर सकते हैं। हालांकि ज्यादातर नए स्टार्टअप दूसरी कंपनियों से ही प्रोडक्ट तैयार करवाते हैं।
मार्केटिंग के लिए सबसे बेहतर और कारगर तरीका है सोशल मीडिया। इसके अलावा आप बड़े सेलिब्रिटी और चर्चित महिलाओं को इस तरह के प्रोडक्ट्स गिफ्ट कर सकते हैं। इससे आपके ब्रांड का प्रमोशन भी हो जाएगा। आप स्कूल, कॉलेजों में अवेयरनेस प्रोग्राम भी चला सकते हैं।