50 मरीजों की हालत बिगड़ी, कंपकंपी और उलटी होने लगी; इंदौर-सागर की खबर से अलर्ट डॉक्टर ने मामला बिगड़ने नहीं दिया

Posted By: Himmat Jaithwar
6/7/2021

जबलपुर। इंदौर-सागर के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भी ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों को एंफोटेरिसन-बी इंजेक्शन का रिएक्शन होने की बात सामने आई है। मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर पांच और 20 में भर्ती 60 मरीजों को इंजेक्शन लगने के 10 मिनट बाद तेज कंपकंपी, बुखार, उलटी और घबराहट होने लगी।

गनीमत ये रही कि दो वार्डो में भर्ती इतने ही मरीजों को इंजेक्शन नहीं दिया गया था। एक घंटे तक दोनों वार्डों में अफरा-तफरी मची रही। इंदौर और सागर की खबर से सतर्क एक डॉक्टर ने पहले ही अस्पताल के डॉक्टरों को सूचित कर दिया। इसके बाद 20 नर्सों को बुला लिया गया। एक घंटे में सभी को एंटी रिएक्शन इंजेक्शन और दवाएं दी गईं। इसके बाद मरीजों को आराम हुआ। अब सभी ठीक हैं।

मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के लगभग 126 मरीज हैं। मेडिकल के वार्ड क्रमांक 5 और 20 सहित कुल चार वार्डों में इन्हें भर्ती किया गया है। रविवार शाम को इन मरीजों को एंफोटेरिसन-बी का इंजेक्शन लगाया जा रहा था। वार्ड नंबर पांच व 20 में 60 मरीजों को लगा दिया गया था। 10 मिनट बाद ही रिएक्शन शुरू हाे गया। मरीजों को तेज कंपकंपी के साथ बुखार आ गया। कुछ को उलटी होने लगी तो कुछ को घबराहट होने लगी। 60 में 50 मरीजों को ही रिएक्शन हुआ था। दोनों वार्डों में अफरा-तफरी मच गई थी।

न्यूज ने बचा लिया दो वार्डो के मरीजों को
मेडिकल काॅलेज के दो और वार्डों के मरीजों को इंदौर और सागर में इस इंजेक्शन के रिएक्शन संबंधी न्यूज ने बचा लिया। दरअसल हुआ यूं कि मेडिकल कॉलेज की ईएनटी विभाग की एचओडी डॉक्टर कविता सचदेवा ड्यूटी समाप्त कर घर पहुंची थीं। वहां उन्होंने न्यूज पर जैसे ही इंदौर व सागर में रिएक्शन की खबर देखी। चौकन्नी हो गईं। तुंरत डीन डॉक्टर प्रदीप कसार और वार्ड के स्टॉफ को सतर्क किया। हालांकि पांच नंबर व 20 नंबर वार्ड के मरीजों को इंजेक्शन लग चुका था।

एक घंटे लगे मरीजों को नार्मल करने में
डॉक्टर कविता सचदेवा के मुताबिक वह घर से तुरंत मेडिकल पहुंची। तब तक वार्ड में एनेस्थीसिया के डॉक्टर गाडविल, डॉक्टर नारंग, मेडिसिन विभाग के डॉक्टर ललित जैन, डॉक्टर दीपक वरकड़े, डॉक्टर नीरज जैन और अधीक्षक डॉक्टर राजेश तिवारी पहुंच चुके थे। 20 नर्सों को भी बुला लिया गया। एक घंटे में सभी को एंटी रिएक्शन इंजेक्शन और दवाएं दी गईं। इसके बाद मरीजों को आराम हुआ। अभी सब कुछ नार्मल है। ऑक्सीजन। 20 नर्स आ गईं। एक घंटे में पांच व 20 नंबर वार्ड 60 को लोगों को लगा था। 50 को परेशानी आई थी। सभी को आराम है। मरीज को अभी कोई तकलीफ नहीं है।

बदलकर भेजे गए सस्ते इंजेक्शन लगाने से हुई समस्या
शासन स्तर से ही ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की खरीदी और सप्लाई की जा रही है। पहले जो इंजेक्शन लगाया जा रहा था, वो काफी मंहगा था। दो दिन पहले शासन स्तर से, जो एक हजार इंजेक्शन मिले, वो दूसरी कंपनी के थे। पहले लगाए गए इंजेक्शन का कोई साइड इफेक्ट नहीं आया था। यह इंजेक्शन जैसे ही ड्रिप के माध्यम से मरीजों के शरीर में पहुंचा, रिएक्शन होने लगा।

इंदौर-सागर में सबसे पहले बिगड़ी मरीजों की तबीयत
एमपी के इंदौर और सागर जिले में सबसे पहले इन इंजेक्शन का रिएक्शन सामने आया है। यहां के अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन लगते ही ठंड लगना शुरू हो गई यहां तक कि कुछ मरीजों को उल्टी-दस्त होने के भी शिकायतें प्राप्त हुई थी।


दो दिन पहले आए थे एक हजार इंजेक्शन
7 हजार रुपए कीमत के ब्लैक फंगस के इस इंजेक्शन को हिमाचल के बद्दी में एफी फार्मा ने 300 रुपये की कीमत में मध्यप्रदेश को दिए गए थे। एक हजार इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज जबलपुर को मिले थे। इन इंजेक्शनों को लगाने के बाद ही मरीजों की हालत बिगड़ी है।

एंफोटेरेसिन-बी का रिएक्शन सामान्य बात
मेडिकल कॉलेज जबलपुर में लगभग 50 मरीजों को रविवार को इसका कुछ रिएक्शन हुआ। कुछ को ठंड लगी, कुछ को कंपकंपी लगी, कुछ को घबराहट हुई। इसका तुरंत इलाज किया गया। वर्तमान में सभी मरीज ठीक हैं। इंजेक्शन पर तुरन्त रोक लगा दी गई है।
डॉ प्रदीप कसार, अधिष्ठाता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर



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