80% लोग हुए बीमार, सब में दिखे कोविड जैसे लक्षण, किसी को नहीं मिली दवा, काढ़ा पी-पीकर कर रहे इलाज

Posted By: Himmat Jaithwar
5/17/2021

भिंड। सरकार ने किल कोरोना अभियान की शुरुआत की है। गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य विभाग को जांच करनी थी। कागजों में सब ठीक है। हकीकत इससे जुदा है। गांव-गांव में खांसी-बुखार फैला है। कोविड के सभी लक्षण हैं पर जांच नहीं हो रही है, इसलिए पता ही नहीं चल रहा है कि कोरोना है या नहीं। कुछ लोगों ने शहर जाकर जांच कराई, रिपोर्ट पॉजिटिव आई पर वे भी घर पर रहे। काढ़ा पीकर ही इलाज चल रहा हैं।

भिंड जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित गेंथरी गांव का यही हाल है। यह गांव, आलमपुर कस्बे से 5 किलोमीटर दूर है। यहां पिछले एक महीने से बुखार फैला है। घर- घर में बुखार, सर्दी, जुकाम, खांसी से लोग पीड़ित हैं। इस गांव में 80% लोगों को इस तरह के लक्षण थे जो कि कोविड से मिलते हैं। फिर भी किसी का बॉडी का तापमान भी जांचने के लिए गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं आई। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों से गांव के लोग, सर्दी, जुकाम व खांसी बुखारी की सामान्य दवा मांगते रहे, लेकिन कोई भी दवा देने के लिए गांव नहीं पहुंचा। गांव के रामू पटेल का कहना था कि गांव में बीमारी फैली होने के बाद कोई जांच शुरू नहीं हुई। सभी अपने स्तर पर इलाज लिया।

गांव की हकीकत जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गेंथरी पहुंची। यहां सबसे पहले सड़क किनारे रहने वाले लोगों से बातचीत की। यहां रिजवान खान हैडपंप पर पानी भर रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव में बीमारी फैली है। लोग खांसी, सर्दी, जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। इसके बाद जब उनसे पूछा कि आपने मास्क क्यों नहीं लगाया? यह प्रश्न के उत्तर में युवक का कहना था कि घर के बाहर हूं, इसलिए नहीं लगाया।

दो घंटे रखा स्कूल में फिर कहां काेई जरूरत नहीं घर जाओ
गेंथरी गांव में बाहर से लौटने वाले लोगों के लिए सरकारी स्कूल को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया। यहां रहने वाले राजवीर सिंह कौरव का कहना है कि मैं बीते दिनों ग्वालियर गया था। मैंने आकर सूचना दी। इसके बाद दो घंटे क्वारेंटाइन रखा फिर का आप जाओ घर।

यह क्वारेंटाइन सेंटर एक दिन भी नहीं खुला। जबकि गांव में सैकड़ों लोग दूसरे शहरों से कोविड काल में वापस लौटे हैं। वहीं सचिव श्रीकांत श्रीवास्तव का कहना है कि शासन के निर्देशानुसार गांव में सैनिटाइज कराया जा रहा है। आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं। क्वारेंटाइन सेंटर में बंद इसलिए है, क्योंकि इस बार बाहर से कोई नहीं आया।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कहती है, कोई पूछे तो बोल देना गोलियां मिल चुकी हैं
गांव के रतिराम का कहना है कि मैंने दबोह जाकर कोविड वैक्सीन लगवाई। यहां बुखार को लेेकर कोई दवा नहीं दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कहती है कि कोई पूछे तो बोल देना की गोलियां मिल चुकी हैं। गांव के कप्तान सिंह का कहना है कि भिंड में जांच कराने पर मेरा भाई पॉजिटिव हुआ था। अब स्वस्थ हो चुका है। गांव में दो लोगों ने भी जांच कराई तो वे पॉजिटिव निकले।

बुखार आने पर नहीं हो रही जांच, गोली तक नहीं दी गई

गांव के दीनदयाल का कहना है कि गांव में बुखार तेजी से फैल फैल रहा है। पिछले साल कोरोना के दौरान घर घर बुखार की जांच हुई थी। इस बार तेजी से बुखार फैला है। मैं बोल-बोल कर थक गया। किसी भी सरकारी कर्मचारी अधिकारी ने एक गोली तक नहीं दी।

मुैरना का छौंदा गांव: बाहर नहीं जाते, रिश्तेदारों से भी बनाई दूरियां, इसलिए गांव में एक भी संक्रमित नहीं

मुरैना के छौंदा गांव में घर के बाहर बैठीं महिलाएं।
मुरैना के छौंदा गांव में घर के बाहर बैठीं महिलाएं।

मुरैना शहर से 3 किलोमीटर दूर ग्वालियर मार्ग पर स्थिति छौंदा गांव की 3 हजार की आबादी है। यहां संक्रमण से बचने के लिए गांव के लोग सावधानियां बरतते हैं। गांव में नियमित रुप से सैनिटाइजेशन होता है। गांव के लोग मुंह पर हमेशा मास्क लगाए रहते हैं। अब, लोग एक दूसरे के पास अधिक नहीं बैठते हैं। अगर बात भी करते हैं तो दूरी बनाकर करते हैं।

कोरोना फैलने के बाद से ही रिश्तेदारियों में जाना पूरी तरह बंद कर दिया है। अगर किसी रिश्तेदार के यहां से बुलावा आता भी है तो इनकार कर देते हैं। इसके अलावा किसी रिश्तेदार को भी घर नहीं बुला रहे हैं। रिश्तेदारों से साफ कह रखा है कि जब तक कोरोना संक्रमण फैला है वे नहीं आ सकते हैं और न ही किसी को बुलाना चाहते हैं।

गांव में बाहर के आदमियों से रहते दूर
गांव के पूर्व सरपंच लोकेन्द्र सिंह दण्डौतिया ने बताया, गांव में अगर ग्वालियर या मुरैना से कोई आदमी आता है तो उससे गांव वाले दूर रहते हैं। इसके साथ ही उसे वापस जाने के लिए कहते हैं। गांव वालों का मानना है कि शहरों में अधिक संक्रमण फैला है।



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