जबलपुर। जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने वाले विश्व हिंदू परिषद के नर्मदा डिवीजन के जिलाध्यक्ष सरबजीत मोखा पर रासुका की कार्रवाई की गई है। सरबजीत मोखा सिटी अस्पताल का डायरेक्टर है। उसने अस्पताल में भर्ती संक्रमितों को गुजरात से नकली इंजेक्शन मंगवा कर लगवाए थे। मोखा के अलावा दवा कर्मी देवेश चौरसिया के खिलाफ मंगलवार देर रात रासुका की कार्रवाई की गई। देवेश जहां पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। वहीं, मोखा को बुधवार 12 मई को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
सीएम ने एक दिन पहले तल्ख लहजे में कहा था कि ऐसे नरपिशाच समाज के दुश्मन हैं, सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा और कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को कार्रवाई संबंधी निर्देश भी दिए थे। गुजरात के थाना बी डिवीजन जिला मोरबी में एक मई को नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन की फैक्टरी का भंडाफोड़ हुआ था। वहां नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन जब्त किए गए थे। उसी फैक्टरी में बने नकली रेमडिसिविर इंजेक्शन इंदौर से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से सिटी अस्पताल जबलपुर के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा ने मंगवाए थे।
11 मई को गिरफ्तार हुआ मोखा
सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा, देवेश चौरसिया और सपन जैन सहित अन्य के खिलाफ ओमती में नौ मई को धारा 274, 275, 308, 420,120 बी भादवि, 53 आपदा प्रबंधन अधिनियम, 3 महामारी अधिनियम का प्रकरण दर्ज किया गया था। इस मामले में देवेश चौरसिया निवासी न्यू रामनगर अधारताल को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है, जबकि 11 मई को नाटकीय ढंग से बचने की कोशिश कर रहे सरबजीत मोखा को उसके ही अस्पताल के कोविड वार्ड से गिरफ्तार किया गया।
हर झूठ बेनकाब होता चला गया
गुजरात में प्रकरण सामने आने और 6 मई की देर रात अधारताल से सपन जैन की गिरफ्तारी के बाद ही सरबजीत अपने अस्पताल में माइनर अटैक का दावा करते हुए भर्ती हो गया। नौ मई को FIR दर्ज होने के बाद वह फरार हो गया। 10 मई की देर रात अचानक अपने ही अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती हो गया। पुलिस ने उसका रैपिड और आरटीपीसीआर टेस्ट किया। रिपोर्ट निगेटिव मिलते ही 11 मई की सुबह पुलिस ने सरबजीत सिंह मोखा निवासी 1112 पचपेढी साउथ सिविल लाईन को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आए तथ्यों के आधार पर प्रकरण में और धाराओं का इजाफा किया जा रहा है।
11 मई की देर रात NSA का वारंट हुआ जारी
ओमती पुलिस ने 11 मई को गिरफ्तारी के बाद देवेश चौरसिया और सरबजीत मोखा के खिलाफ एनएसए का प्रतिवेदन तैयार किया। एसपी के माध्यम से रात 10 बजे के लगभग उसे कलेक्टर के समक्ष पेश किया गया। जिला दंडाधिकारी ने रात में ही एनएसए प्रकरण में दस्तखत करते हुए गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। ओमती पुलिस ने रात में ही एनएसए में के वारंट में मोखा को गिरफ्तार कर लिया। वहीं उसके कर्मी देवेश चौरसिया को बुधवार 12 मई को जेल में एनएसए वारंट में गिरफ्तार किया जाएगा।
सपन जैन की गिरफ्तारी ने मोखा का धोखा उजागर कर दिया
सरबजीत मोखा के सिटी अस्पताल में कोविड मरीजों का इलाज सबसे महंगा है। वहां एक मरीज से पांच से आठ लाख रुपए तक बिल बनाया जाता है। 6 मई की देर रात गुजरात पुलिस ने अधारताल के आशानगर निवासी सपन जैन को गिरफ्तार किया। 8 मई को अधारताल और ओमती क्षेत्र में सत्येंद्र, सत्यम और भगवती फार्मा की दुकान को सील कर दिया। तीनों ही दुकान में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मिलने की खबर थी। पर पूछताछ में पता चला कि गुजरात में भंडाफोड़ होने के बाद ही सपन जैन ने नर्मदा में रेमडेसिविर इंजेक्शन फेंक दिया था।
एसआईटी टीम की जांच में मिला सबूत
एसपी के निर्देश पर ट्रेनी आईपीएस रोहित काशवानी की अगुवाई में गठित एसआईटी टीम में शामिल सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज, टीआई ओमती एसपीएस बघेल, टीआई रांझी आरके मालवीय, टीआई घमापुर दिलीप श्रीवास्तव, टीआई भेड़ाघाट शफीक खान, टीआई खमरिया निरूपा पांडे और क्राइम ब्रांच की टीम ने भगवती फार्मा के लाइसेंस धारी सत्यम जैन और सिटी अस्पताल में दवा सप्लाई का काम देखने वाले कर्मी देवेश चौरसिया से पूछताछ की।
देवेश ने बताया कि उसने मोखा के कहने पर इंदौर से अम्बे ट्रेवल्स से आए दो कार्टून नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन 23 व 28 अप्रैल को सिटी अस्पताल में पहुंचाया था। इन दवाओं का भुगतान सपन जैन ने किया था और ये गुजरात के नकली फैक्ट्री से ही इंदौर लाए गए थे।