इंदाैर में भी कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं। यह इतना घातक है कि बैंककर्मी संक्रमण से रिकवर हो रहा था, उसी दौरान फंगस की चपेट में आ गया। 5 दिन में ही एक आंख की रोशनी चली गई और दूसरी आंख पर खतरा मंडराने लगा है।
पिछले साल भी इस तरह के इक्का-दुक्का केस आते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ गई हैं। इंदौर में अब रोज चार-पांच केस आ रहे हैं। अभी इस पर ज्यादा स्टडी नहीं हुई है। भास्कर संवाददाता ने इस मरीज के परिवार से चर्चा की और इससे बचने के लिए बाजार में मौजूद दवाओं की जानकारी जुटाई। दवाएं बड़ी मुश्किल से बाजार में मिल रही हैं।
शहर के मालवा मिल क्षेत्र में रहने वाले देवेंद्र बेथेडा पंजाब नेशनल बैंक में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्य करते हैं। 23 अप्रैल को देवेंद्र ने RT PCR टेस्ट कराया। इसमें उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई। घर पर ही दवा और ऑक्सीजन उन्हें दी जा रही थी। वह धीरे-धीरे ठीक होने लगे थे। अचानक 3 मई को देवेंद्र के सिर में अचानक दर्द होने लगा। दर्द के कारण परिजन एक निजी अस्पताल में दिखाया गया। मई को एक डॉक्टरों ने उन्हें ऑर्बिट MRI कराने की सलाह दी।
इस टेस्ट से ब्रेन और आंख नाक सभी इंफेक्शन का पता चलता है। परिजनों सागर गोगड़े द्वारा जब यह टेस्ट कराया गया तो ब्रेन बिल्कुल नॉर्मल था। आंखों में कुछ इंफेक्शन था। डॉक्टरों ने सलाह दी कि नाक के इंफेक्शन के लिए सीटी स्कैन भी कराना होगा। जहां सीटी स्कैन में यह दिखाई दिया कि नाक में ब्लैक फंगस दिखाई दे रहा है। इन 5 दिनों में एक आंख की रोशनी चली गई और दूसरे पर संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
केस्पोकॉन इंजेक्शन
केस्पोकॉन इंजेक्शन की कमी
निजी अस्पताल में डॉक्टरों ने तुरंत केस्पोकॉन इंजेक्शन लगाने की सलाह दी यह इंजेक्शन 50 ग्राम में आते हैं और इसकी MRP 4100 रुपए है, जो बाजारों में 2900 रुपए के होलसेल रेट में मिल जाता है। यह मरीज को 7 दिनों तक लगाए जाने थे। सुबह और शाम को यह इंजेक्शन लगने थे। ये बड़ी मुश्किल से मिले। हालांकि देवेंद्र पर इस इंजेक्शन का कोई असर नहीं हुआ और उनकी तबीयत बिगड़ती गई।
अम्फोनेक्स इंजेक्शन
एम्फोटिसिरीन-बी 50एमजी इंजेक्शन की जरूरत
डॉक्टरों की मानें तो यह एम्फोटिसिरीन-बी 50एमजी इंजेक्शन देवेंद्र को इसलिए देना जरूरी था कि वायरस दिमाग में ना दाखिल हो सके। 2 दिनों में देवेंद्र किए एक आंख का पूरी तरह से खराब हो चुकी थी। इस का डोज भी 7 दिनों तक दिया जाता है और इसकी इंजेक्शन की कीमत 5 से 7 हजार रुपए है। यह इंजेक्शन लगने के बाद देवेंद्र की दूसरी आंख में इंफेक्शन अधिक नहीं हुआ है, लेकिन वह पूर्ण तरीके से ठीक भी नहीं हुए हैं। यह भी बाजार में बड़ी मुश्किल से मिल रहा है।
महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवायएच) की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. श्वेता वालिया ने बताया कि यह माइल्ड इलनेस वालों को भी हो रहा है। कुछ ऐसे भी थे, जिन्हें स्टेरॉयड भी ज्यादा नहीं दिया गया। वे सामान्य रूम एयर पर थे, लेकिन शुगर लेवल बढ़ने से म्यूकर फंगल का शिकार हो गए। मैंने करीब 35 ऐसे मरीजों का इलाज किया। ऐसे भी मरीज आए हैं जो भर्ती भी नहीं हुए। निजी अस्पताल के ऑर्बिट सर्जन डॉ. भाग्येश पोरे बताते हैं कि पिछले साल भी इस तरह के इक्का-दुक्का केस आते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ गई हैं। अब रोज चार-पांच केस आ रहे हैं। अभी इस पर ज्यादा स्टडी नहीं हुई है।
ब्लैक फंगस का कारण
इस ब्लैक फंगस वायरस होने का कारण इम्यूनिटी की कमी ही बताई जा रही है और शरीर में स्टेरॉयड की मात्रा से भी यह फंगस शरीर पर हावी हो रहा है। लेकिन इस जानकारी पर भी अभी शोध चल रहा है।
भोपाल में 7 मरीज आए, एक के 9 दांत, जबड़े की हड्डी निकालनी पड़ी
कोरोना का इलाज करा चुके मरीजों में फंगल इंफेक्शन (म्यूकरमायकाेसिस) बढ़ता जा रहा है। सोमवार को हमीदिया में इसके 6 और पालीवाल अस्पताल में एक मरीज भर्ती कराया। एम्स में एक 54 वर्षीय मरीज के ब्लैक फंगल से संक्रमित 9 दांत और ऊपरी-निचले जबड़े की हड्डी सर्जरी कर निकाल दी गई। एक अन्य मरीज की हमीदिया में आंख निकालनी पड़ी। मंगलवार को बंसल अस्पताल में चार मरीजों की सर्जरी की जाएगी।
गुजरात में भी तेजी से बढ़ रहे मरीज
गुजरात में कोविड-19 को मात देने के बाद ब्लैक फंगस संक्रमण या म्यूकोरमाइकोसिस की वजह से आंखों की रोशनी गंवाने के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है। सूरत स्थित किरण सुपर मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में कोविड-19 से तीन हफ्ते पहले ठीक हुए मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस (एक तरह का फंगल इंफेक्शन) का पता चला है।