भोपाल। झारखंड के बाेकारो से मंगलवार देर शाम रवाना हुई ऑक्सीजन एक्सप्रेस बुधवार को भोपाल पहुंच गई है। बुधवार सुबह 9 बजे मंडीदीप पहुंची इस मालगाड़ी से भोपाल को 16-16 टनऑक्सीजन के दो टैंकर मिले। इससे पहले स्पेशल मालगाड़ी ने सागर के मकरोनिया में 3 और जबलपुर के भेड़ाघाट में 1 ऑक्सीजन टैंकर उतारा। भोपाल आए दोनों टैंकर मंडीदीप से सीधे अस्पतालों में भेजे जाएंगे।
भोपाल में एक्टिव केस इंदौर से ज्यादा हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भोपाल में 13,587 एक्टिव केस हैं, जबकि इंदौर में यह संख्या 13,354 है। ऐसे में भोपाल में ऑक्सीजन की अपूर्ति तेजी से की जा रही है। जानकारी के अनुसार भोपाल में एक्टिव केसों की संख्या के हिसाब से रोज 110 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है।
भोपाल में वीकेंड लॉकडाउन के दौरान ऑक्सीजन की प्रतिदिन 40 मीट्रिक टन मांग थी, वह अब बढ़कर 110 मीट्रिक टन से भी ज्यादा पहुंच गई है। इसके पीछे कारण यह है कि राजधानी में तेजी से कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं, जिन्हें हर दिन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। कोरोना कर्फ्यू लागू होने के बाद से अब तक 24 हजार से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं।
5 हजार मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर
भोपाल में 5 हजार मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, लेकिन इन्हें लगने वाली ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ गई है। इससे पहले सोमवार को भिलाई से 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आने के बाद अस्पतालों को पहुंचाई गई थी। 20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन चिरायु को और एम्स को 20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा बीएमएचआरसी, जेके व पीपुल्स अस्पताल को भी ऑक्सीजन सप्लाई की गई है।
हर 4 घंटे में 20 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति का प्लान
भोपाल जिला प्रशासन के मुताबिक ऑक्सीजन के लिए अब ऐसा शेड्यूल तय किया है कि हर चार घंटे में 20 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का एक टैंकर हमें प्राप्त होता रहे। अगर कहीं रुकावट नहीं होती है और समय पर ऑक्सीजन मिलती है तो कमी नहीं पड़ेगी।
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लाई जा रही ऑक्सीजन
संयुक्त कलेक्टर राजेश गुप्ता ने बताया कि सभी ऑक्सीजन के टैंकर ग्रीन कॉरिडोर बनाकर लाए जा रहे हैं। शहर में भी ऑक्सीजन के सिलेंडर बिना किसी रोक के पहुंच रहे हैं। इसके चलते परिवहन तेजी से हो रहा है। हालांकि ऑक्सीजन का संकट तो रहेगा, क्याेंकि शहर में अब ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है जबकि इसकी आपूर्ति कम है।
ऑक्सीजन स्टोर करने के लिए प्लांट नहीं
शहर में सिर्फ एक प्लांट को छोड़कर ऑक्सीजन के स्टोरेज की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए ऑक्सीजन के जो टैंकर आते हैं उसी से जगह-जगह सप्लाई कर दिए जाते हैं। ऑक्सीजन भी यहां नहीं बनती है, इसलिए अन्य राज्यों से ही ऑक्सीजन मंगवाई जा रही है।