इंदौर। इंदौर में बेड, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर को लेकर हालात हर दिन सुधरने की जगह बिगड़ते जा रहे हैं। मप्र में आईसीयू, एचडीयू सहित ऑक्सीजन बेड पर बुधवार तक 19172 मरीज भर्ती थे, इसमें से 6190 मरीज अकेले इंदौर के अस्पातलों में भर्ती है।
यह आंकड़ा प्रदेश का 32 फीसदी है। यहां के 110 सरकारी व निजी अस्पतालों में करीब 50 फीसदी मरीज बाहर के जिलों से आए हुए हैं। लेकिन इसके बाद भी इंदौर को डिमांड के अनुसार ऑक्सीजन और रेमडेसिविर दोनों नहीं मिल रहे हैं। हालात यह हैं कि अब तो अस्पताल भी नए मरीजों को भर्ती करने से कतरा रहे हैं। रात में जामनगर से 30 टन ऑक्सीजन का टैंकर आने के बाद अस्पतालों को सप्लाई की गई।
हर दिन 100 से 110 टन मांग
ऑक्सीजन की मांग हर दिन 100-110 टन पर पहुंच गई है और आपूर्ति केवल 75-80 टन के करीब है, जो मांग से 25-30 फीसदी कम है। इसके चलते हर दो-दो घंटे में ऑक्सीजन खत्म होने का संकट खड़ा हो रहा है। वहीं, रेमडेसिविर इंजेक्शन की हालत तो और भी खराब है। इंदौर को औसतन हर दिन दो हजार रेमडेसिविर मुश्किल से मिल रहे हैं और जरूरत छह हजार प्रतिदिन की है। मांग से 70 फीसदी कम इंजेक्शन मिल रहे हैं।
जामनगर से रात में आया टैंकर
भिलाई से आना वाला ऑक्सीजन टैंकर अब मप्र शासन ने अन्य जिलों में शिफ्ट कर दिया है। इसका कारण जामनगर से इंदौर को ऑक्सीजन की सप्लाय होना बताया जा रहा है। इसके चलते इंदौर में दो दिन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की किल्लत और बढ़ गई है। सोमवार को 120 टन ऑक्सीजन आने के बाद दो दिन से ऑक्सीजन की कमी चल रही है, इसके चलते गुरुवार को कई अस्पतालों ने मरीजोें को प्रवेश देने से ही मना कर दिया और लगातार प्रशासन को ऑक्सीजन के लिए फोन जाते रहे।
रात में 30 टन का एक टैंकर जामनगर से आया, इसके बाद आपूर्ति की गई। वहीं, देर रात एक और टैंकर जामनगर से आने वाला था। पीथमपुर व अन्य औद्योगिक प्लांट से 10-12 टन की आपूर्ति हो रही है। वहीं, राहत की बात यह है कि मित्तल का एक प्लांट शनिवार-रविवार से शुरू हो रहा है, इससे हर दिन चार हजार सिलेंडर ऑक्सीजन की आपूर्ति और बढ़ जाएगी, जिससे बड़ी राहत मिलेगी।