मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के रात्रि विश्राम में खलल सीधी जिला प्रशासन को महंगा पड़ सकता है। सर्किट हाउस में मच्छरों के उत्पात के कारण शिवराजसिंह वहां सो ही नहीं पाए। इतना ही नहीं, सुबह चार बजे पानी की टंकी ओवरफ्लो हो गई तो माेटर बंद कराने के लिए खुद उठकर जाना पड़ा। वहां पता चला कि मोटर बंद कराने का सिस्टम भी भगवान भरोसे ही छोड़ रखा है। सीएम की नाराजगी सामने आने के बाद आननफानन में सीधी के सर्किट हाउस के प्रभारी इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले में कलेक्टर और एसपी भी गाज गिर सकती है।
वाक्या दो दिन पहले का है जब सीधी में हुए बस हादसे के बाद पीड़ितों का हाल जानने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 17 फरवरी को वहां गए थे। उन्होंने रात्रि विश्राम सीधी के सर्किट हाउस में किया था लेकिन वे रात में सो नहीं पाए। उन्हें पूरी रात मच्छरों ने काटा। रात करीब ढाई बजे मच्छर मारने की दवा का उनके कमरे में छिड़काव किया गया। इसके बाद रात करीब साढ़े तीन बजे जैसे-तैसे उनकी नींद लगी, तो सुबह 4 बजे टंकी से पानी बहने की आवाज आने लगी। लगातार पानी बहने के कारण खुद उठकर मुख्यमंत्री ने मोटर बंद कराई। मुख्यमंत्री को हुई इस परेशानी की जानकारी गुरुवार को मंत्रालय पहुंची, सर्किट हाउस के प्रभारी सब इंजीनियर बाबूलाल गुप्ता को निलंबित कर दिया गया।
VIP रूम में ठहराया गया था शिवराज को
मुख्यमंत्री को सर्किट हाउस के वीआईपी रूम में ठहराया गया था। मुख्यमंत्री दिन भर मृतकों के परिजनों से मिलने उनके घर गए। रात करीब 10 बजे उन्होंने सीधी के कलेक्टर कार्यालय में संभाग के वरिष्ठ अफसरों की बैठक ली। इसके बाद मुख्यमंत्री रात करीब 11:30 बजे विश्राम करने सर्किट हाउस पहुंचे थे। बावजूद इसके कुछ नेता और अफसर उनके मिलने के लिए सर्किट हाउस पहुंच गए थे।
सीधी सर्किट हाउस के प्रभारी सब इंजीनियर बाबूलाल गुप्ता का निलंबन आदेश।
मच्छरदानी तक नहीं थी..
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री रात करीब 12 बजे विश्राम करने अपने कक्ष में चले गए थे। थोड़ी देर बाद ही मच्छरों ने धावा बोल दिया। इससे परेशान मुख्यमंत्री को शिकायत करनी पड़ी। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के कक्ष में मच्छरदानी तक नहीं थी। रात को ढाई बजे मच्छर मारने की दवाई बुलाई गई और उनके कमरे में छिड़काव किया गया।
मोटर बंद करने के लिए कोई सिस्टम था ही नहीं
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री रात करीब साढ़े तीन बजे सो पाए थे कि टंकी से पानी बहने की आवाज आने लगी। खासबात तो यह है कि मोटर को बंद करने का कोई सिस्टम नहीं था। ऐसे में लगातार पानी बहने से मुख्यमंत्री की नींद खुल गई। उन्होंने एक कर्मचारी से कहकर सीधे मोटर को ही बंद कराया। सुबह यह जानकारी आला अफसरों की मिली तो वे हरकत में आए। इसके बाद प्रभारी सब इंजीनियर बाबूलाल गुप्ता को निलंबित किया गया।
कलेक्टर-एसपी पर भी गिर सकती है गाज
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री अफसरों के रवैए से काफी नाराज हैं। मुख्यमंत्री ने बस हादसे के बाद पीड़ित परिवारों से मुलाकात की तब लाेगों में प्रशासनिक कार्य प्रणाली को लेकर आक्रोश था। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने अफसरों की बैठक में कहा था कि अगर सीधी का प्रशासन सतर्क रहता तो यह हादसा नहीं होता। ऐसा बताया जा रहा है कि सीधी कलेक्टर रवींद्र चौघरी और एसपी पकंज कुमावत पर गाज गिर सकती है।