मुरैनाः मध्य प्रदेश की मुरैना नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार के कारण आगरा की एक विधवा महिला को भटकना पड़ रहा है. निगम ने विधवा के देवर से सांठगांठ कर उसका फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट बनवा दिया, जिससे महिला की अनुकंपा नियुक्ति रद्द हो गई. सर्टिफिकेट भी पति की मौत से चार साल पहले का. जांच कर रही टीम का कहना है कि नगर निगम कर्मचारियों से सांठगांठ कर युवक ने फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था, लेकिन कोई भी अधिकारी इस बात की जिम्मेदारी नहीं ले रहा. देवर के इस कृत्य से न सिर्फ उसकी भाभी को मानसिक पीड़ा हुई, बल्कि उसे सरकारी सहायता से भी वंचित रहना पड़ा.
बड़े भाई की जगह नौकरी करना चाहता था देवर
आगरा की रहने वाली महिला बीते कई महीनों से मुरैना पुलिस के चक्कर काट रही है. इसी बात को सिद्ध करने कि उसके पति की मौत के बाद उसने दूसरी शादी नहीं की. पुलिस जांच में सामने आया कि महिला के देवर ने अपने भाई की मौत के बाद रेलवे में अनुकंपा नियुक्ति के लिए विधवा भाभी का फर्जी विवाह प्रमाण पत्र बनवाया था. प्रमाण पत्र में महिला की शादी किसी 65 साल के वृद्ध युवक से होना बताया गया. जिससे कि मृतक की विधवा पत्नी को मिलने वाली नौकरी उसे मिल सके. महिला अपने ऊपर लगे इसी आरोप को हटाने के लिए पुलिस के चक्कर काट रही है.
प्रमाण पत्र से महिला की अनुकंपा नियुक्ति पर लगी रोक
7 मई 2009 को यूपी (Uttar Pradesh) के आगरा (Agra) में रहने वाली प्रेमलता की शादी लखनऊ (Lucknow) के अंकित शर्मा से हुई. अंकित रेलवे की एसएनटी विभाग में नौकरी करता था, लेकिन 15 अगस्त 2018 को एक दुर्घटना में उसकी मौत हो गई. पति की मौत के बाद विधवा पत्नी ने रेलवे में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया. आवेदन के बाद विधवा प्रेमलता के देवर राजा शर्मा ने रेलवे में आपत्ति दायर करते हुए कहा कि उसकी विधवा भाभी ने दूसरी शादी कर ली है.
देवर ने मुरैना नगर निगम में बनवाया गया फर्जी प्रमाण पत्र दिखाते हुए भाभी के स्थान पर उसी को नौकरी देने की बात कही. इसी आपत्ति पर रेलवे ने प्रेमलता की अनुकंपा नियुक्ति रोक दी.
पुलिस ने जांच में निकाली सर्टिफिकेट की असलीयत
अनुकंपा नियुक्ति रोके जाने पर साल 2019 में प्रेमलता ने पुलिस में शिकायत करते हुए पुलिस अधीक्षक से मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई. पुलिस ने जांच करते हुए मैरिज सर्टिफिकेट में लिखे गए नाम 65 साल के सुंदर लोधी से पूछताछ की. उसने बताया कि उसने किसी प्रेमलता से शादी नहीं की. जांच में पाया गया कि प्रेमलता के पति की मौत 2018 में हो गई थी, जबकि मैरिज सर्टिफिकेट 2014 का बना हुआ है. पुलिस को प्रमाण पत्र के फर्जी होने की जानकारी मिलते ही उन्होंने देवर से पूछताछ की.
देवर राजा से पता लगा कि वह अपने भाई की मौत के बाद सरकारी नौकरी हथियाना चाहता था. इसीलिए उसने मुरैना नगर निगम के बाबुओं से मिलकर नकली सर्टिफिकेट बनवा दिया. पीड़िता प्रेमलता का कहना है कि उसने कई महीनों पहले पुलिस में शिकायत की थी. लेकिन पुलिस जांच अभी तक पूरी नहीं हो सकी, इस कारण उसे नौकरी का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.
नगर निगम कर्मचारी व अधिकारी नहीं ले रहे जिम्मेदारी
मामले का खुलासा करते हुए मुरैना CSP आरएस रघुवंशी ने बताया कि फर्जी सर्टिफिकेट की जानकारी मिलते ही निगम कर्मचारियों व अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए. लेकिन कोई भी प्रमाण-पत्र बनवाने की जिम्मेदारी नहीं ले रहा. शक के दायरे में शपथ पत्र बनवाने वाले से लेकर गवाह और विवाह पंजीयन अधिकारी भी हैं. देखना महत्वपूर्ण होगा कि महिला को अनुकंपा नियुक्ति के लिए कितने समय तक और इंतजार करना पड़ेगा.