महाकालेश्वर मंदिर के स्ट्रक्चर की मजबूती की जांचने के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की की टीम 17 फरवरी को दो दिन के लिए उज्जैन आई। इससे पहले भी यह टीम दो बार मंदिर के स्ट्रक्चर की जांच कर चुकी है। जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी। महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग क्षरण को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के स्ट्रक्चर की केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की से जांच कराने के निर्देश दिए हैं। टीम ने मंदिर में पत्थरों के बने खंभों की जांच की।
मंदिर के ऊपरी हिस्से को देखती CBRI की जांच टीम
जांच दल के प्रमुख वैज्ञानिक अचल मित्तल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मंदिर की प्राचीनता बनाए रखने के लिए CBRI के साथ GSI और ASI को भी लगाया गया है। तीनों संस्थान अपनी-अपनी तरह से रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। CBRI की टीम मंदिर में तीसरी बार जांच करने पहुंची है। इससे पहले काफी टेस्टिंग और विजुअल इंस्पेक्शन कर चुके हैं। अब फाइनल रिपोर्ट बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मंदिर की प्राचीनता बनाए रखने के लिए और क्या उपाय हो सकते हैं, पत्थरों और शिवलिंग के क्षरण रोकने और मंदिर को किसी तरह का नुकसान ना हो, इसकी जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है।
पत्थरों पर एनेमल पेंट को हटाया गया
डॉ मित्तल ने बताया कि मंदिर में कई स्थानों पर पत्थरों को एनेमल पेंट से रंगरोगन किया गया था। जिसे ASI (ऑर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के निर्देश पर हटा दिया गया है। इससे पत्थरों की प्राचीनता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि टीम अपनी रिपोर्ट में पत्थरों और शिवलिंग के क्षरण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अपना सुझाव देगी। ताकि क्षरण को काफी हद तक रोका जा सके।