भोपाल। सीधी बस हादसे ने कई परिवारों को गहरा जख्म दिया है। इन परिवारों को अपनों के खोने का दर्द और कभी न मिट सकने वाली टीस भी मिली है। रात में अंधेरा होने के कारण मंगलवार को सर्चिंग ऑपरेशन बंद कर दिया गया था, जिसे बुधवार सुबह 6 बजे फिर शुरू किया गया। पहले घंटे में दो और शव मिले। वहीं करीब तीन घंटे बाद हादसे वाली जगह से करीब 15 किमी दूर रीवा जिले में 19 साल की एक और युवती का शव मिल गया। अब 4 लापता लोगों की तलाश की जा रही है। इस हादसे में 51 लोगाें की मौत हो गई है।
आधिकारिक तौर पर 50 शव निकालने की पुष्टि हुई है। इनमें 47 शव कल जबकि तीन शव आज निकाले गए हैं। इनकी पहचान 22 साल के दीपेश प्रजापति, 23 साल की खुशबू पटेल और 19 साल की स्वाति प्रजापति के तौर पर हुई है। इनके अलावा 6 लोग ऐसे भी हैं, जो मौत को मात देकर बाहर निकल आए। इनमें 3 युवतियां और 3 पुुरुष हैं। इधर, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का सीधी दौरा टलने की खबर है। इसकी वजह मृतकों का अलग-अलग गांवों का होना है।
बस ड्राइवर को देर रात किया गया गिरफ्तार
रीवा के सिमरिया निवासी बस ड्राइवर 28 साल के बालेंद्र विश्वकर्मा को पुलिस ने मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। ड्राइवर ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसका एक ड्राइविंग लाइसेंस हादसे में बह गया जबकि दूसरा लाइसेंस रीवा में है, वही गाड़ी के दस्तावेज सतना में है। इसके बाद बालेंद्र के ड्राइविंग लाइसेंस और बस के डॉक्यूमेंट्स के लिए दो टीमें रीवा और सतना भेजी गई हैं। पुलिस आरोपी ड्राइवर से यह पता करने में जुटी है कि क्या वह पहले भी ओवरलोड कर बस चलाता था?
एएसपी अंजूलता पटले के मुताबिक बस में कुल 63 यात्री सवार थे। इनमें से तीन यात्री हादसे से पहले ही बस से उतर गए थे। वहीं 60 यात्रियों में छह की जान बचाई जा चुकी है। इन 60 यात्रियों में तीन मासूम बच्चों सहित 28 महिलाएं और 30 पुरुष यात्री सवार थे। इसमें से 49 के शव निकाले जा चुके हैं। इन शवों में 23 पुरुष, 22 महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं। वहीं लापता लोगों में एक पांच माह की बच्ची भी शामिल है जिनकी सर्चिंग आज सुबह शुरू हुई। इनमें से दो और शव मिले हैं। अब पांच लोगों की तलाश की जा रही है।
22 से 25 फीट गहरे नहर में एक घंटे तक बस ही नहीं तलाश पाए।
बस में 33 स्थानों से लोग हुए थे सवार
नहर में पलटने वाली सीधी-सतना रूट की बस एमपी 19 पी 1882 में कुल 33 स्थानों से लगभग 60 लोग सवार हुए थे। इसमें सबसे अधिक रामपुर नैकिन, कुसमी और बहरी वेलहा से तीन-तीन, बरौ खड्डी रामपुर, चुरहट, कुकुडीझर सीधी, देवसर तरका, सिहावल तिलवार, कठार बोदरहा गोपद बनारस, मुइमाड़ देवरी कुसमी से दो-दो और चदैनिया चुहरट के शामिल रहे। अन्य आसपास के जिलों और कस्बों में रहने वाले थे।
ये अब भी लापता
1. अरविंद विश्वकर्मा (29) निवासी कुकड़ीझर
2. योगेद्र शर्मा (28) निवासी पिपरोहर सीधी
3. रमेश विश्वकर्मा (29) निवासी नूतन कॉलोनी सीधी
4. सौम्या गौड़ (05 माह) निवासी देवसर सिंगरौली
500 मीटर तक ही लोग बह पाए थे
बस हादसे में जिंदा बच गए लोग इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। इस बड़े हादसे में छह लोगों को उनके जज्बे ने बचा लिया। इसमें तीन पुरुष और तीन युवतियां शामिल हैं। इस दौरान बहादुर बेटी शिवरानी और उसके परिजन ने इन छह लोगों को बचाने में गजब की हिम्मत और जज्बा दिखाया। इसमें से अधिकतर 200 से 500 मीटर तक बह गए थे।
इन्हें बचाया गया
- स्वर्णलता प्रभा (24)
- विभा प्रजापति- (21)
- अर्चना जायसवाल (23)
- सुरेश गुप्ता (60)
- ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी (50)
- अनिल तिवारी (40)
बस के आगे-पीछे का कांच तोड़कर निकले कुछ लोग।
हिम्मत से दी मौत को मात
अनिल तिवारी ने बताया कि जैसे ही बस नहर में डूबने लगी, उन्होंने बस की बंद खिड़की को जोर से हाथ मारा, जिससे खिड़की का कांच टूट गया। उन्हें तैरना आता था। अनिल ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए बगल में बैठे सुरेश गुप्ता को बचाने की कोशिश की और उनका हाथ पकड़कर खिड़की से बाहर खींच लिया। सुरेश गुप्ता 62 वर्ष के हैं, तैरना भी कम जानते थे लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नहर का किनारा पकड़ लिया। करीब 300 मीटर दूर जाकर एक पत्थर मिला, जिसके सहारे दोनों अपनी जान बचा पाए।
जज्बे से बचाई खुद की जान
ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी बस में सामने के कांच से आगे की ओर देख रहे थे। जैसे ही बस नहर में गिरने लगी तो उन्होंने खिड़की के कांच में पैर मारा और पानी में कूद गए। गनीमत यह रही कि वे बस के किसी हिस्से में नहीं फंसे। देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने ही बस धीरे धीरे डूब गई। वे नहर का किनारा पकड़कर तैरने लगे। तभी एक सीढ़ी मिली, जिसे पकड़कर ऊपर आ गए।