मेरा जन्म इंदौर के वल्लभ नगर में हुआ था। मां लक्ष्मी बाई और पिता बाबू सिंह हैं। मैं इकलौती संतान हूं। मैंने शादी नहीं की। मां सीहोर में कलेक्ट्रेट ऑफिस में कार्यरत थी, जबकि पिता बेंगलुरू में नौकरी करते हैं। मैं पुराना एमवाय अस्पताल सोचकर पहुंच गई थी। यहां तीन-चार दिन मुझे एडमिट नहीं किया। इसके बाद मैं पुलिस थाने के पास पहुंची। इसके बाद वे एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे। मैंने कलेक्ट्रेट के पास स्थिति ओल्ड जीडीसी से हिंदी साहित्य में डबल एमए किया है। मैं अभी वह रिकॉर्ड इसलिए नहीं दे सकती कि मेरा एक ट्रक सामान भोपाल के बैरागढ़ में एक व्यक्ति के यहां रखा है। वहां एक पेटी में मेरे दस्तावेज रखे हुए हैं। मां और मैं सीहोर में रहते थे, लेकिन दो महीने पहले उनका निधन हो गया। मेरी मां जिन्हें बैंक बैलेंस बताकर गई है, वे लोग मुझसे नहीं मिल रहे हैं।
डबल एमए करने के बाद मैंने नौकरी भी की थी, लेकिन मेरा मन नहीं लगा, क्योंकि मेरी इच्छा देशसेवा की थी। मैं आर्मी या पुलिस में जाना चाहती थी। यहां से ठीक होने के बाद मैं किराए से मकान लूंगी। इसके बाद सीहोर से पूरा सामान लेकर आऊंगी। मेरी मां ने जो किया है वे सभी कागजात सीहोर से लेकर आऊंगी। मेरे परिवार के कुछ लोग और कुछ गुंडा तत्वों की मेरी संपत्ति पर नजर पड़ गई थी। मेरी मां मेरे लिए बहुत कुछ कर गई है।
अरबिंदो अस्पताल में पुष्पा के पैर से कीड़े निकाले गए हैं।
पैर में कीड़े लगने के बाद सड़क किनारे पड़ी पुष्पाबाई का अब अरबिंदो अस्पताल में इलाज चल रहा है। हालांकि उसने एमवाय में सही इलाज नहीं मिलने का आरोप लगाया, लेकिन एमवाय प्रबंधन के पास उसके भर्ती से लेकर डिस्चार्ज तक होने तक के दस्तावेज मौजूद हैं, जिनके अनुसार उसके पांव में संक्रमण हो गया था और ऐसे में उसकी जान काे खतरा था।
23 दिन तक महिला का एमवाय में चला इलाज
एमवाय अस्पताल के डॉ. पीएस ठाकुर ने बताया कि पुष्पा बाई पिता बाबू सिंह 22 दिसंबर 2020 को अस्पताल में भर्ती हुई थी। 17 जनवरी को इनका डिस्चार्ज कार्ड बना था और 18 जनवरी 2021 को इन्हें डिस्चार्ज किया गया था। इनका इलाज डाॅ. घनघोरिया की यूनिट में 23 दिनाें तक चला। मरीज के पांव में गहरा और संक्रमित घाव था। इस संक्रमण से मरीज को जान का खतरा था। मरीज को ऑपरेशन के साथ-साथ एंटीबाॅयोटिक एवं सपोर्टिव इलाज कर उनकी जान बचाई गई थी। उनकी तबीयत बेहतर होने और घाव सूखने के बाद उन्हें अस्पताल में नियमित दिखाने की सलाह एवं दवाइयों के साथ डिस्चार्ज किया गया था।