भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मेट्रो प्रोजेक्ट का काम कछुए की चाल से चल रहा है. अब तक सिर्फ आधे पिलर बने हैं. पूरे पिलर बनने में 28 महीने लग सकते हैं. यदि भोपाल के मेट्रो प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार को समझना है तो नागपुर मेट्रो के उदाहरण से समझ सकते हैं. दोनों शहरों में 2011 में एक साथ मेट्रो प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था. नागपुर में 34 महीने में 6 किमी के रूट पर मेट्रो का संचालन शुरू हो गया था, जबकि भोपाल में 27 महीने में इतने ही लंबे रूट पर केवल आधे पिलर बन पाए हैं.
27 महीने में 225 में सिर्फ 112 पिलर बन पाए हैं
पिछले साल अगस्त में मेट्रो प्रोजेक्ट की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नागपुर की तर्ज पर भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम करने की बात कही थी. मेट्रो रूट के पिलर निर्माण के लिए गुरुदेव गुप्त तिराहे से नापतौल दफ्तर तक की सड़क पर 28 दिसंबर से बंद ट्रैफिक 8 फरवरी को सुबह शुरू हो जाएगा. 41 दिन की इस अवधि में यहां दो पिलर का काम कम्प्लीट हो पाया है. एम्स से सुभाष नगर तक के 6.22 किमी मेट्रो रूट निर्माण का काम अक्टूबर 2018 में शुरू हुआ था. इन 27 महीनों में इस रूट के 225 में सिर्फ 112 पिलर बन पाए हैं.
30 दिन में सिर्फ 4 पिलर निर्माण की गति से काम
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट पर जिस गति से काम चल रहा है उसके हिसाब से एक महीने में औसतन 4 पिलर तैयार हो पा रहे हैं. इस हिसाब से एम्स से सुभाष नगर तक के 6.22 किमी मेट्रो रूट पर बचे हुए 113 पिलर के निर्माण के लिए 28 महीने का समय लगेगा. इस मेट्रो रूट पर 18 पिलर ऐसे हैं जिनका निर्माण अभी शुरू ही नहीं हुआ है. इनमें से 13 पिलर सुभाष नगर क्रॉसिंग के पास झुग्गीबस्ती की जमीन पर बनने हैं, 3 पिलर एमपी नगर जोन-2 स्थित सज्जाद हुसैन पेट्रोल पंप और दो हबीबगंज क्रॉसिंग पर बनने हैं. डेढ़ साल से इन्हें बनाने की कोशिश चल रही है.
एमपीएमआरसी के लिए पूर्ण कालिक एमडी भी नहीं
सुभाष नगर और एम्स मेट्रो रूट के जो 112 पिलर बनकर तैयार हैं उन पर गर्डर बिछाने का काम जारी है. अब तक करीब 25 गर्डर बिछाए जा चुके हैं. अभी मेट्रो स्टेशनों का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है. पटरियां बिछाने का काम भी होना है. इन कार्यों के लिए अप्रैल में टेंडर जारी होंगे. केंद्र सरकार ने जिन राज्यों में मेट्रो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उन्हें अपने मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के लिए पूर्णकालिक एमडी नियुक्त करने की शर्त रखी है. लेकिन मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के पास अब तक पूर्णकालिक एमडी नहीं है.