भोपाल। मध्य प्रदेश में आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर को लेकर गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय (PHQ) आमने सामने आ गए हैं। गृह विभाग ने एक पत्र गुरुवार को डीजीपी विवेक जौहरी को लिखा था। जिसमें कहा था कि डीजीपी को सीनियर अफसरों की पोस्टिंग करने का अधिकार नहीं है। इस पर डीजीपी का कहना है कि किसी भी अफसर का ट्रांसफर होने के बाद पीएचक्यू में प्रभार सौंपे जाने का आदेश किया जाता है, इसकी वजह यह है कि नई पोस्टिंग से संबंधित आदेश निकलने में समय लगता है। ऐसे में अफसरों को बिना काम के खाली नहीं रखा जा सकता है। इसलिए मुख्यालय स्तर पर आदेश जारी कर अफसरों को कार्यभार सौंपा जाता है। इसके बाद गृह विभाग यह आदेश शासन स्तर पर जारी करता है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने डीजीपी को पत्र लिखकर अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आइपीएस अफसरों के तबादले करने पर आपत्ति जताई है। पत्र में कहा गया है कि उन्हें आइपीएस के तबादले करने का अधिकार नहीं है। डीजीपी अगर चाहें तो सरकार को प्रस्ताव भेज सकते हैं। जिस पर राज्य शासन आदेश जारी करेगा। इसके बाद अपर मुख्य सचिव ने डीजीपी द्वारा जारी तबादला आदेश निरस्त कर दिया। साथ ही उन्हीं पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति के नए सिरे से तबादला आदेश जारी किए हैं।
3 अफसरों की पोस्टिंग पर विवाद
डीजीपी ने 27 अक्टूबर 2020 को आइजी पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) रहे साजिद फरीद शापू का ट्रांसफर IG एंटी नक्सल (पीएचक्यू) कर दिया था। गृह विभाग की ओर से पीएचक्यू के आदेश को निरस्त कर नए सिरे से यह आदेश जारी किया। इसके बाद गृह विभाग के हाथ एक और आइपीएस का तबादला आदेश लगा। इसमें AIG पीएचक्यू तरुण नायक का तबादला कमांडेंट 7वीं बटालियन विशेष सशस्त्र बल (SAF) किया गया था। इस आदेश को भी सरकार ने निरस्त किया।
गृह विभाग को एक फरवरी 2021 को पता चला कि 9 अक्टूबर 2020 को आईपीएस विवेक शर्मा को प्रशासन PHQ के पद पर पदस्थ किया गया है। इस आदेश को भी सरकार ने निरस्त कर नए सिरे से गृह विभाग की ओर से आदेश जारी किया।
सूत्रों का कहना है कि तीनों अफसरों की कमलनाथ सरकार में प्राइम पोस्टिंग की। लेकिन शिवराज सरकार ने तीनों अफसरों को लूप लाइन में पदस्थ कर दिया था। आईपीएस विवेक शर्मा इंदौर के आईजी थे। उन्हें अक्टूबर माह में हटाया गया था। इसी तरह साजिद फरीद शापू को 14 सितंबर को आईजी होमगार्ड से ट्रांसफर कर पीएचक्यू में पदस्थ किया गया था। इसी तरह उप चुनाव के दौरान तरुण नायक को चुनाव आयोग के निर्देश पर अशोकनगर का एसपी बनाया गया था, लेकिन चुनाव की आचार सहिंता हटने के तत्काल बाद सरकार ने नायक को पीएचक्यू वापस बुला लिया था।
यह है सरकार का सकुर्लर
सरकार ने 1987 में एक सकुर्लर जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि पीएचक्यू में डीआईजी रैंक तक के पुलिस अफसरों की पदस्थापना करने का अधिकार डीजीपी को रहेगा। जबकि इससे ऊपर के पुलिस अफसरों की पदस्थापना आदेश शासन स्तर पर गृह विभाग करेगा। जबकि डीजीपी जौहरी ने आईजी रैंक के अफसरों की पदस्थापना आदेश जारी कर दिए। इसी तरह पीएचक्यू के बाहर आइपीएस अफसरों के तबादला करने का अधिकार भी डीजीपी को नहीं बल्कि सरकार को है। लेकिन डीजीपी ने एआईजी तरुण नायक की पोस्टिंग पीएचक्यू से बाहर कर दी। जबकि सरकार ने नायक को एसपी पद से हटाकर पीएचक्यू में पदस्थ किया था।