सरकार ने 4 महीने में रेरा के सभी बड़े अफसर हटाए, 300 परियोजनाएं अटकीं

Posted By: Himmat Jaithwar
1/28/2021

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले चार महीने में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के चेयरमैन एंटोनी डिसा, दो तकनीकी सलाहकार और एक आईटी सलाहकार को हटा दिया है। इससे पूरे प्रदेश में हाउसिंग सेक्टर ठप पड़ गया है। न तो किसी नए प्रोजेक्ट का पंजीयन हो पा रहा है और न ही ग्राहकों की उन 2000 शिकायतों पर सुनवाई हो रही है, जो बिल्डरों के खिलाफ रेरा में दी गई हैं।

रेरा चेयरमैन इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में भी शिकायत में सुनवाई के लिए जाते थे, लेकिन चार महीने से एक भी सुनवाई नहीं हो सकी। 1 दिसंबर के बाद से भोपाल स्मार्ट सिटी समेत 300 आवासीय और कमर्शियल प्रोजेक्ट की अनुमति अटक गई है। इनके जरिए करीब 12 हजार मकान बनाए जाने है। बिल्डरों के भी करीब 3000 करोड़ रु. फंसे हुए हैं।

नियमानुसार किसी भी प्रोजेक्ट के पंजीयन के लिए एक न्यायिक अधिकारी के साथ अध्यक्ष या फिर तकनीकी सलाहकार किन्हीं दो का होना जरूरी है। लेकिन रेरा में एक न्यायिक सलाहकार दिनेश नायक के अतिरिक्त सारे पद रिक्त पड़े हैं। क्रेडाई भोपाल के अध्यक्ष नितिन अग्रवाल ने बताया कि रेरा के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार यह स्थिति निर्मित हो रही है।

हमारे प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिल रही। हम न तो विज्ञापन कर सकते, न ही बुकिंग ले सकते। पूरे 10 साल बाद रियल एस्टेट सेक्टर के हालात थोड़े बेहतर हो रहे हैं। क्योंकि कोरोना संकट के बाद हर आदमी अपने घर में जाना चाहता है। हमारी सालों से खड़ी इंवेंट्री खत्म हो चुकी है।

इस तरह चार माह में हटाए गए सभी अहम पदाधिकारी

चेयरमैन: एंटोनी डीसा को नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उप सचिव डॉॅ शुभाशीष बैनर्जी ने 25 सितंबर-20 को एक आदेश जारी करके हटा दिया। शिवराज सरकार ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार से डिसा की कथित नजदीकी के चलते यह कदम उठाया।

तकनीकी सलाहकार: डीसा के बाद 26 नवंबर 2020 को नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने एक आदेश जारी करके तकनीकी सहायक अनिरूद्ध कपाले को हटा दिया। इसके बाद 1 दिसंबर-2020 को दूसरे तकनीकी सलाहकार पीएस तोमर ने विवादों से बचने के लिए खुद ही त्यागपत्र दे दिया।

आईटी सलाहकार: रेरा का आईटी सॉफ्टवेयर आईटी सलाहकार पारुल दुबे ने तैयार किया था। पूरे ऑनलाइन शिकायताें और आवेदन का जिम्मा वे ही संभाल रहीं थी। दो दिन पहले एक आदेश जारी कर उन्हें भी हटा दिया गया।

कहां-कितने प्रोजेक्ट फंसे
भोपाल- 70
इंदौर- 80
जबलपुर- 25
ग्वालियर- 20
सतना- 07
रतलाम- 08
अन्य- 90



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