एक संत गांव के बाहर छोटी सी कुटिया में रह रहे थे। संत दिनभर ध्यान में बैठे रहते और बीच-बीच में जोर से चिल्लाते थे जो चाहोगे, वो पाओगे। गांव के लोग उस कुटिया के सामने से गुजरते और संत की ये बात सुनते थे। सभी सोचते थे कि संत पागल है, इसीलिए चिल्लाते रहता है।
गांव में एक नया व्यक्ति आया, जब वह संत की कुटिया की ओर गया तो उसने भी सुना, जो चाहोगे, वो पाओगे। ये बात सुनकर वह कुटिया में पहुंच गया। उसने देखा कि एक संत ध्यान में बैठे हुए हैं। वह व्यक्ति वहीं बैठ गया। थोड़ी-थोड़ी देर में संत यही बात बोल रहे थे जो चाहोगे, वो पाओगे।
जब संत ने आंखें खोली तो सामने बैठे व्यक्ति ने उन्हें प्रणाम किया। व्यक्ति ने बोला कि गुरुदेव मैं बहुत गरीब हूं। आप जो बोल रहे हैं, क्या उससे मेरी गरीबी दूर हो सकती है, क्या मुझे धन मिल सकता है?
संत ने कहा कि अगर मेरी बातें अपने जीवन में उतार लोगे तो ये बात सच हो सकती है। मैं तुम्हें एक हीरा और एक मोती दूंगा। इनकी मदद से तुम भी धनवान बन सकते हो।
हीरे-मोती की बात सुनकर व्यक्ति बहुत खुश हो गया। संत बोले कि अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाओ।
व्यक्ति ने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए। संत ने एक हाथ में अपना हाथ रखा और बोले कि ये एक हीरा है, इसे समय कहते हैं। ये दुनिया में सबसे अनमोल है। किसी भी स्थिति में इसे हाथ से निकलने मत देना। इसे अपनी मुट्ठी में जकड़ लो।
संत ने दूसरे हाथ पर हाथ रखते हुए कहा कि ये एक मोती है। इसका नाम है धैर्य। जीवन में जब भी बुरा समय आए तो धैर्य नाम के इस मोती को धारण कर लेना। जब तक ये मोती तुम्हारे पास रहेगा, तुम्हारे जीवन में दुख नहीं आएगा।
समय और धैर्य से ही हम जीवन में सबकुछ प्राप्त कर सकते हैं।