भोपाल। ई-टेंडर घोटाले में आरोपी कंपनी जेएमसी प्रोजेक्ट ने फर्जी बिलों के जरिए करीब 20 करोड़ रु. की जीएसटी चोरी की। उसने इन बिलों से उस सप्लाई की टैक्स क्रेडिट हासिल की, जो वास्तव में हुई ही नहीं थी। भोपाल स्थित जीएसटी इंटेलीजेंस विभाग ने एक विशेष जांच अभियान में करीब 100 करोड़ रुपए की फर्जी इनवाॅइस धोखाधड़ी का पता लगाया है।
इसमें 20 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी उन बिलों के माध्यम से की गई, जो जेएमसी के लिए जारी किए गए थे। इस प्रकरण में सेंट्रल जीएसटी इंटेलीजेंस विभाग जिम्मेदार मालिक या अधिकारियों की गिरफ्तारी कर सकता है। हालांकि अभी वह यह पता लगा रहा है कि आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है। बता दें कि जेएमसी प्रोजेक्ट अहमदाबाद स्थित कल्पतरु ग्रुप की इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी है, जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध है। इसने मध्यप्रदेश में मप्र जल निगम और एमपीआरडीसी के कई प्रोजेक्ट पूरे किए हैं।
न सप्लाई, न मजदूरों से काम लिया, लेकिन कागज में सब दिखा दिया
जेएमसी ने मप्र समेत 12 राज्यों में जीएसटी का पंजीयन ले रखा है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 12% जीएसटी लगता है। साथ ही, कंपनियों को लागत सामग्री और मजदूरों के उपयोग पर अलग-अलग दर से चुकाए गए जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) मिल जाता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जेएमसी ने कुछ फर्जी इनवाॅइस लेकर प्रोजेक्ट में लागत सामग्री की सप्लाई और मजदूरों का उपयोग करना दर्शाया। जबकि हकीकत में उसने न तो सप्लाई ली और न ही मजदूरों से काम लिया।
इसकी जानकारी तब हुई, जब विभाग ने देशव्यापी अभियान में कुछ बाेगस इनवाॅइस जारी करने वालों को गिरफ्तार किया। मप्र के जबलपुर से दीपेश तिवारी नामक एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया। उक्त व्यक्ति ने कई कंपनियों को अन्य कंपनियों के नाम पर करोड़ों रुपए के इनवाॅइस जारी किए थे।
इनमें जेएमसी भी शामिल थीं। जेएमसी के साथ सरकारी ठेके लेने वाली पीएनसी इंफ्रास्ट्रक्चर को भी करीब 15 करोड़ रुपए के फर्जी इनवाॅइस जारी किए गए। इसने भी इन इनवाॅइस के जरिए करीब 15 करोड़ रुपए की टैक्स क्रेडिट लेकर उसे कंपनी की जीएसटी की देनदारियों से समायोजित करा लिया।