वैक्सीनेशन के खर्च की भरपाई नहीं कर रही हैं बीमा कंपनियां, रेगुलेटर का आदेश भी मानने से इनकार

Posted By: Himmat Jaithwar
1/23/2021

हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कोरोना के वैक्सीनेशन पर होने वाले खर्च की भरपाई करने को तैयार नहीं हैँ। इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने बीमा कंपनियों को कहा था कि वह इसका खर्च चुकाए। लेकिन इसे बीमा कंपनियां मानने से इनकार कर रही हैं।

IRDAI का कवर करने का आदेश

बता दें कि भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने कोविड-19 के वैक्सीनेशन को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज के तहत कवर करने का आदेश दिया है। रेगुलेटर ने सेवा देने वाली कंपनियों से कहा कि कोरोना के इम्युनाइजेशन को हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कवर किया जाए। पर जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) ने इस पर विरोध जताया है। उसने IRDAI के फैसले पर कहा कि इंश्योरेंस पॉलिसी में केवल हॉस्पिटलाइजेशन की लागत ही कवर की जा सकती है। यह लागत कोरोना से संबंधित होनी चाहिए।

जीआईसी ने पहले ही मानने से इनकार किया

GIC जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की एक स्टेच्यूरी बॉडी है। जीआईसी ने पहले ही यह कहा है कि कोविड वैक्सीनेशन का खर्च हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कवर नहीं किया जा सकता है। IRDAI ने 13 जनवरी को जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों से कहा था कि वे कोरोना के इलाज के खर्च को स्वास्थ्य कंपनियों के साथ एग्रीमेंट करें। इस तरह के एग्रीमेंट के बाद जीआईसी काउंसिल राज्य सरकारों के साथ एक रेट को तय कर सकती है।

कई राज्यों ने एक दर तय किया है

बता दें कि कोरोना के इलाज को लेकर कई राज्यों ने एक दर को तय किया है। हालांकि कोरोना जब अपने शीर्ष पर था तो इस तरह की दरों का जमकर अस्पतालों ने उल्लंघन किया। अस्पतालों ने एक-एक दिन में 25-25 हजार तक की बिल बनाई। अस्पतालों ने उन मरीजों को भर्ती करने से मना कर दिया जिनके पास कैश नहीं था। हेल्थ पॉलिसी लेने वालों को तो अस्पताल बाद में भर्ती करते थे। अस्पतालों का कहना था कि बीमा कंपनियां उनको पूरे बिल में 25 पर्सेंट की कटौती करके पेमेंट कर रही हैं।

बीमा कंपनियां पूरे बिल का पेमेंट नहीं करती हैं

इस पर बीमा कंपनियों का तर्क था कि अस्पताल बिल में साफ सफाई, पीपीई किट में मास्क या दस्ताने को अलग से जोड़ते हैं। वे इसके अलावा कई तरह के ऐसे चार्ज बिल में रखते हैं जो कि हमारे दायरे में नहीं था। इसी कारण से अस्पताल बीमा वाले मरीजों को भर्ती करने में आना कानी करते थे। पर अब एक बार फिर से रेगुलेटर और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के बीच मामला बिगड़ता नजर आ रहा है।



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