भोपाल। मध्यप्रदेश में शराब की नई दुकानें खुलने को लेकर सियासत गरमाई हुई है। इस बीच आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने गुरुवार देर शाम कलेक्टरों को पत्र भेजकर नई दुकानें खोलने के प्रस्ताव मांगे हैं। इससे पहले गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने भी नई शराब की दुकान खोलने के प्रस्ताव की बात कही थी। हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि फिलहाल नई शराब की दुकानें खोलने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। प्रदेश के वित्त एवं कर्मिशल टैक्स विभाग के मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी कहा है कि सरकार स्तर पर नई शराब दुकानें खोलने को लेकर कोई विचार नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि शासन स्तर पर वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। इसी सिलसिले में आबकारी आयुक्त के कलेक्टरों को पत्र लिखकर नई दुकानें खाेलने का प्रस्ताव मांगे हैं। इससे साफ है कि सरकार नई शराब की दुकानें खोलने की तैयारी कर रही है। आयुक्त ने पत्र में कलेक्टरों से साफ तौर पर कहा है कि शहरी क्षेत्रों में कुल दुकानों की संख्या का न्यूनतम 20% तक नई शराब की दुकानें खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजें।
ये हैं प्रस्ताव के 3 मुख्य बिंदु
1. पांच हजार से ज्यादा आबादी वाले उन गांवों में शराब की दुकान खोलने का प्रस्ताव अनिवार्य रूप से दिया जाए, जहां वर्तमान में कोई दुकान नहीं है। इसके लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाए।
2. इसके अलावा भी दूसरे क्षेत्रों में राजस्व की बढ़ोतरी और अपराध नियंत्रण की दृष्टि से दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया जा सकता है।
3. शहरी क्षेत्रों में भी राजस्व बढ़ाने और अपराध के नियंत्रण की दृष्टि से नई दुकानों का प्रस्ताव दिया जा सकता है। इसके लिए विकसित किए गए उन इलाकों को प्राथमिकता दी जाए, जहां वर्तमान में दुकान नहीं है।
गांव में शराब की दुकान खोलने की तैयारी
इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में शराब दुकानें खोलने के लिए ऐसे गांव चिन्हित करने को कहा गया है, जिनकी आबादी 5 हजार से ज्यादा है, लेकिन शराब की दुकानें नहीं है। यानी सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए गांवों में भी शराब दुकानें खोलने पर विचार कर रही है। आबकारी आयुक्त ने कहा है कि गांवों में अवैध शराब की बिक्री पर नियंत्रण की दृष्टि से भी दुकानें खोलने का प्रस्ताव दिया जा सकता है। नई शराब की दुकानों को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा बीजेपी में भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर इस निर्णय की आलोचना की थी।
उमा भारती ने सोशल मीडिया पर जाहिर की थी नाराजगी
उमा भारती सोशल मीडिया पर बयान जारी कर इस प्रस्ताव पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने शराबबंदी को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपील की थी। उन्होंने लिखा - मैं सार्वजनिक अपील करती हूं कि बीजेपी शासित राज्यों में शराबबंदी की तैयारी करिए। उन्होंने बिहार में शराबबंदी को लेकर कहा कि राजनीतिक दलों को चुनाव जीतने का दबाव रहता है। बिहार की बीजेपी की जीत यह साबित करती है कि शराबबंदी के कारण ही महिलाओं ने एकतरफा वोट नीतीश कुमार को दिया।
कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय पर लगभग शराबबंदी की स्थिति रही। इससे स्पष्ट हो गया है कि अन्य कारणों एवं कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई, किंतु शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा। उन्होंने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में हाल ही में जहरीली शराब से हुई मौतों का हवाला भी दिया।
उन्होंने कहा, देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है। जैसे, मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक का पोषण करते हुए उसकी रक्षा करने की होती है। वही मां अगर बच्चे को जहर पिला दे, तो सरकारी तंत्र द्वारा शराब की दुकानें खोलना ऐसे ही है।