ग्वालियर। जहरीली शराब पीने के बाद ग्वालियर में भर्ती 6 लोगों में से 3 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। इनमें गुमठी से शराब बेचने वाला रामवीर राठौर भी शामिल है। इधर, बागचीनी पुलिस व आबकारी पुलिस द्वारा चलाए जा रहे सर्चिंग अभियान के तहत विसंगपुरा के एक खेत से 4 कट्टों में छिपाकर रखी गई अवैध देशी शराब बरामद की गई।
वहीं नेशनल हाईवे किनारे संचालित 6 से 7 ढाबों की तलाशी के दौरान 4 ढाबों पर शराब मिली, जो बेचने के लिए रखी गई थी। खास बात यह है कि जिले में जहरीली शराब से 24 लोगों की जान जाने के बाद भी 20 से ज्यादा गांवों में अवैध शराब कारोबार के अड्डे चल रहे हैं। चंबल किनारे बसे गांवों में राजस्थान-यूपी से तस्करी कर लाखों की शराब आ रही है। यहां बता दें कि अवैध जहरीली शराब पीने वाले मानपुर गांव के 6 लोग अभी भी ग्वालियर जेएएच में भर्ती हैं। जिनका 12 जनवरी से लगातार इलाज चल रहा है।
शराब दुकानों पर मोनोपॉली पेटर्न से अवैध शराब का सिंडीकेट खड़ा हो गया, सरकार को भी 600 करोड़ रुपए का नुकसान
प्रदेश में अवैध और जहरीली शराब का कारोबार बढ़ने के पीछे राज्य शासन की आबकारी नीति जिम्मेदार है। इस नीति के कारण के कारण ही न सिर्फ शराब महंगी हो चुकी है, वहीं सरकार को भी 600 करोड़ का नुकसान हुआ है। राजस्थान-उत्तरप्रदेश के शराब माफिया और छोटे ठेकेदारों का सिंडीकेट अवैध शराब की पेरेलल इकॉनामी खड़ी कर चुका है।
प्रदेश में अवैध शराब बढ़ने की वजह मोनोपॉली सिस्टम के चलते महंगी दरों पर शराब बिकना है। पहले सिंगल ग्रुप सिस्टम में शराब ठेकेदार एमएसपी और एमआरपी के बीच शराब बेचते थे। आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते डिस्काउंट देने से यह बाजार में कम कीमत में मिलती थी।
शराब ठेकेदार आबकारी अमले की मिलीभगत से एमआरपी और प्रमुख ब्रांड पर 100 से लेकर 400 रुपए ज्यादा तक खुलकर शराब बेच रहे है। विदेशी और देशी दोनों शराब महंगी बिक रही है। देसी पाव 150 रुपए में बिक रहा है, जो 100 रुपए तक मिल जाता था। देसी शराब की खपत विदेशी की तुलना में ढाई गुना ज्यादा है। ये गरीब और मजदूर वर्ग की वजह से है।
ये वर्ग महंगी शराब की जगह सस्ते विकल्प बतौर अवैध शराब खरीद रहा है। आबकारी और पुलिस के साथ दूसरे राज्यों का सिंडीकेट अवैध शराब खुलेआम बिकवा रहा है। यहीं पाव अवैध शराब का केवल 40 रुपए में मिलता है, क्योंकि इस पर कोई ड्यूटी और परमिट जैसे खर्च नहीं होते है।
सरकार ठेकेदार से तीन से चार तरह से राजस्व लेती है। सबसे पहले एक्साइज ड्यूटी फिक्स होती है। ठेकेदार ड्यूटी चुका देता है। इसके बाद परिमट और शराब पर सर्विस चार्ज के 8 फीसदी लिए जाते है। अगर शराब ठेकेदार 100 पेटी की एक्साइज ड्यूटी चुकाते है, लेकिन माल 65 % उठाते है। इस तरह 35 पेटी का परमिट और माल पर 8% सर्विस चार्ज नहीं दिया जाता है।
अवैध शराब बिकी तो कलेक्टर-एसपी और आबकारी अफसर जिम्मेदार
जिले में अवैध शराब का परिवहन, निर्माण, संग्रहण या बिक्री हुई तो इसकी जवाबदारी कलेक्टर, एसपी और आबकारी अधिकारी की होगी। अपर मुख्य सचिव गृह डॉ राजेश राजौरा ने इसके निर्देश जारी कर दिए। 1. आबकारी, पुलिस और राजस्व अमला संयुक्त रूप से छापामारी करेगा। 2. सीएम हैल्पलान पर अवैध शराब संबधी शिकायतों का भी निराकरण किया जाए। 3. जहरीली शराब में मिथाइल एल्कोहल मिला है। जिले में यह पदार्थ, डिनेचर स्पिरिट, ओवरप्रूफ एल्कोहल के निर्माण वाली संस्थाओं को सूची बद्ध किया जाए। इनके आने-जाने पर नजर रखी जाए।