अब कॉलोनी और प्लॉट के लिए बिल्डर नहीं ले पाएंगे प्राइवेट आर्किटेक्ट से मंजूरी

Posted By: Himmat Jaithwar
1/13/2021

भोपाल। बिल्डर और कॉलोनाइजर अब प्राइवेट आर्किटेक्ट से बिल्डिंग परमिशन नहीं ले पाएंगे। प्राइवेट आर्किटेक्ट से परमिशन लेकर उसका दुरुपयोग हो रहा था। भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के पास इस मामले में कुछ शिकायतें पहुंची थीं।

इस पर रेरा ने आपत्ति की और कहा था कि यह नियम आम लोगों को सुविधा देने के लिए बनाया गया है। इसका लाभ बिल्डर ले रहे हैं। इसलिए अब नगरीय प्रशासन ने भूमि विकास नियम बदल दिया है। इसके मुताबिक अब केवल अपने लिए मकान बनाने वाले लोग ही प्राइवेट आर्किटेक्ट से भवन अनुज्ञा ले पाएंगे।

अब तक यह था नियम : नगरीय प्रशासन ने वर्ष 2016 में बिल्डिंग परमिशन को आसान बनाने के लिए नियम में बदलाव करते हुए प्राइवेट आर्किटेक्ट को इसके लिए अधिकृत किया था। बिल्डिंग परमिशन देने के लिए आर्किटेक्ट की योग्यता तय की गई थी। ग्राम एवं नगर निवेश डायरेक्टर इन्हें अधिकृत करता है और इसके लिए संबंधित निकाय में आर्किटेक्ट का रजिस्ट्रेशन होता है। इसमें 300 वर्ग मीटर तक के प्लॉट पर प्राइवेट आर्किटेक्ट बिल्डिंग परमिशन दे सकता है। इसमें परमिशन लेने वाले को निकाय के चक्कर नहीं लगाना पड़ते।

बिल्डर ऐसे कर रहे थे गड़बड़ी : आम लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए इस नियम के लूप होल का फायदा कई बिल्डरों ने उठाया। उन्होंने पूरी कॉलोनी की परमिशन लेने के बजाय प्राइवेट आर्किटेक्ट से अलग-अलग प्लॉट की अलग-अलग बिल्डिंग परमिशन ली। इसमें कई जगह कॉलोनी का विकास भी नहीं हुआ, लेकिन प्लॉट पर बिल्डिंग परमिशन मिल गई। शेष | पेज 10 पर

अलग-अलग परमिशन लेने से कर्मकार कल्याण में मिलने वाली छूट का लाभ भी हुआ। इसके बाद शासन का ध्यान इस ओर गया और अब नियम में बदलाव किया गया है। संशोधन के अनुसार बेचने के उद्देश्य से मकान बनाने वाले कॉलोनाइजर को प्राइवेट आर्किटेक्ट बिल्डिंग परमिशन नहीं दे सकेंगे।

यह नियम आम लोगों के लिए

प्राइवेट आर्किटेक्ट काे बिल्डिंग परमिशन का अधिकार आम जनता की सुविधा के लिए दिया गया है। इसका दुरुपयोग न हो, इसलिए राज्य शासन ने नियमों में बदलाव किया है। अब इसके अनुसार ही आर्किटेक्ट बिल्डिंग परमिशन दे सकेंगे। बिल्डरों को भवन अनुज्ञा नगर निगम से लेना होगी। - वीएस चौधरी कोलसानी, कमिश्नर नगर निगम, भोपाल

यह अच्छा कदम है

यह एक अच्छा कदम है। यह शासन का नजरिया है कि वह क्या नियम बनाना चाहता है। शासन ने कुछ सोच समझ कर ही नियम बनाया होगा। सभी को नियमों का पालन करना चाहिए।

- नितिन अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल



Log In Your Account