गैंगरेप पीड़ित को बचाने वाली श्रीबाई धानक को CM शिवराज करेंगे सम्मानित, समारोह शुरू

Posted By: Himmat Jaithwar
1/11/2021

सागर। सागर के आबचंद गांव की 50 साल की श्रीबाई धानक ने सितंबर में साहस दिखाते हुए गैंगरेप पीड़िता को बदमाशों के चंगुल से छुड़ाया था। बदमाशों ने उसे बच्चों सहित बंधक बनाकर रखा था। जब श्रीबाई धानक के साहस की कहानी पुलिस काे पता चली, ताे एसपी अतुल सिंह ने उनका नाम सम्मान के लिए भाेपाल भेजा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चाैहान प्रदेश के ऐसे रियल हीराे काे वीडियाे काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए उसी जिले में सम्मानित करने जा रहे हैं। एडिशनल एसपी विक्रम सिंह ने बताया कि साेमवार काे श्रीबाई का सम्मान हाेगा। भोपाल में समारोह शुरू हो गया है।

पेट्रोल दिखाकर बोला- चली जा वर्ना जिंदा जला दूंगा

27 सितंबर की दोपहर... मैं खेत में तिली की फसल काट रही थी। अचानक आवाज सुनी- अम्मा हमें बचा लाे। देखा तो एक महिला दाे बच्चाें काे लिए चीखती हुई मेरी तरफ आ रही थी। उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। पीछे चार लाेग आ रहे थे। मैंने चिल्लाकर कहा, ' क्यों इसे परेशान कर रहे हाे। सुनकर तीन लोग भाग गए। चाैथा एक बाेतल में पेट्राेल लिए मेरे पास आकर बाेला- ये मेरी साली है। यहां से चली जा, वरना तुझे भी जिंदा जला दूंगा।

मैंने पास में पड़ा एक डंडा उठाया और जाेर से अपने बेटे देवराज काे आवाज दी। वह दूर काम कर रहा था। देवराज जैसे ही पहुंचा ताे माेहन नाम का व्यक्ति पेट्राेल की बाेतल वहीं छाेड़कर भाग गया। इसके बाद हम लाेगाें ने गांव के काेटवार प्रहलाद राय काे बुलाया। उन्हाेंने सानाैधा पुलिस काे सूचना दी। मैंने घर से अपनी साड़ी मंगवाकर उसे शरीर ढंकने के लिए दी। उसके 2 साल व 6 महीने के बच्चे दाे दिन से भूखे थे। मैंने देवराज से 100 रुपए का दूध मंगाया और बच्चाें काे पिलाया। पीड़ित महिला को खाना भी खिलाया कराया। वह रिपाेर्ट लिखाने से भी डर रही थी। हमने उसे हिम्मत बंधाई और अगले दिन खुद भी थाने जाकर बयान दर्ज कराए।'
(जैसा श्रीबाई पति सलकू धानक ने बताया)

पीड़िता ने कहा- वे लाेग मुझे बेचना चाहते थे'

5 साल पहले मेरी शादी बलेह में हुई थी। मेरे दाे बच्चे हैं। पति मजदूरी करते हैं। झांसी से मजदूरी करके उस दिन सुबह करीब 5 बजे मैं सागर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरी थी। जब प्लेटफार्म से बलेह जाने के लिए निकली ताे बाहर मुझे एक व्यक्ति मिला। उसने पूछा कहां जाना है। मैंने कहा, बलेह। उसने कहा बस स्टैंड चली जाओ। वहां से बस मिल जाएगी। मैं बस स्टैंड पहुंची तो बस वाले ने बताया, बस 8.30 बजे आएगी।

वही व्यक्ति पीछे से फिर आ गया। बोला कि मैं गढ़ाकोटा का हूं। वहीं जा रहा हूं। मेरे साथ चलो। बलेह के लिए बस आगे से मिलती है। मैं उसके साथ चली गई। वह मुझे धोखे से आबचंद ले आया। यहां मुझे एक टपरिया में बंधक बनाकर रखा। रात में मेरे साथ गलत काम किया। वे चार लोग थे। मुझे बेचने की फिराक में थे। एक बोतल में पेट्रोल लेकर आए थे। मुझे जिंदा जलाने की धमकी दे रहे थे। पास में ही खेत में काम कर रही अम्मा ने मेरी जान बचाई।' (जैसा कि पीड़िता ने सानाैधा पुलिस काे दिए बयानाें में कहा था)

गांव पहुंचाने का झांसा देकर अपने साथ ले गया था आराेपी, सुनसान झोपड़ी में बंधक बनाया

26 सितंबर काे झांसी से लाैटी पीड़िता काे रहली निवासी आराेपी माेहन अहिरवार गढ़ाकाेटा से बलेह गांव पहुंचाने की कहकर अपने साथ ले गया था। उसे आबचंद के सुनसान इलाके में बनी झाेपड़ी में बंधक बनाकर रखा। माेहन और उसके दाे भाई समेत चार लाेगाें ने उसके साथ हैवानियत की सारी हदें लांघ दी। पूरी रात वह झाेपड़ी में रही। बच्चे भूख-प्यास से बिलखते रहे। पुलिस ने आराेपियाें के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है।



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