बीजेपी की स्थानीय इकाई समेत जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों से आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने राज्य में सरकारी नौकरियों को लेकर नियमों में कुछ बदलाव किया है. अब सारी नौकरियों को केंद्र शासित प्रदेश के मूल निवासियों (Domiciles) के लिए आरक्षित कर दिया गया है, जो राज्य में कम से कम 15 साल रहे हैं. बुधवार को डोमिसाइल के लिए नियम तय करते हुए सरकार ने केवल समूह चार तक के लिए नौकरियां आरक्षित की थीं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीवी को बताया, "इस संशोधन से सभी संतुष्ट होंगे. सभी क्षेत्रों की सारी राजनीतिक पार्टियों ने यह मांग की थी."
जम्मू-कश्मीर की नई डोमिसाइल नीति को लेकर विभिन्न दलों ने आलोचना की थी. केंद्र की इस अधिसूचना से न सिर्फ निवासियों के लिए मानदंदों में ढील दी थी बल्ति उच्च स्तर की नौकरियों में सभी को मौका दिया गया था जबकि निचले स्तर की नौकरियों को स्थानीय लोगों के आरक्षित किया गया था. बीजेपी के जम्मू-कश्मीर इकाई के साथ-साथ संघ ने इसे लेकर गृह मंत्री अमित शाह के सामने अपनी चिंताएं जताई थीं.
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने भी जम्मू कश्मीर के नए डोमिसाइल नीति को लेकर केंद्र की आलोचना की थी. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहले से पीड़ित लोगों का अपमान है, क्योंकि वादे के मुताबिक, कोई संरक्षण नहीं दिया जा रहा है. उमर ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, '...जब हमारे सभी प्रयास और पूरा ध्यान 'कोविड-19' के संक्रमण को फैलने से रोकने पर होना चाहिए, तब सरकार जम्मू कश्मीर में नया डोमिसाइल कानून लेकर आई है. जब हम देखते हैं कि ऐसा कोई भी संरक्षण कानून से नहीं मिल रहा है, जिसका वादा किया गया था, तब यह पहले से लगी चोट को और गंभीर कर देता है.'
गौरतलब है कि सरकार ने बुधवार को एक गजट अधिसूचना जारी कर जम्मू कश्मीर के 138 अधिनियमों में कुछ संशोधन करने की घोषणा की. इनमें ग्रुप-4 तक की नौकरियां सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश के मूल निवासियों के लिए संरक्षित रखना भी शामिल है.