मध्यप्रदेश में एक बार फिर शिक्षकों के ट्रांसफर किए जाने की चर्चा हो गई है। इसके लिए कमलनाथ सरकार में बनी ट्रांसफर नीति को बदला जाएगा। अभी स्थानीय विधायक को इसके शक्तियां दी गई हैं, लेकिन अब फिर से नई नीति बनने जा रही है।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि शिक्षकों के स्थानांतरण की नवीन नीति तैयार की जाएगी। उन्होंने मंत्रालय में स्कूल शिक्षा विभाग की "आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश" क्रियान्वयन की कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को कही।
शिक्षक संघों से बात कर रूपरेखा तैयार होगी
परमार ने कहा कि स्थानांतरण की नवीन नीति बनाने के दौरान इसे सबके सामने रखा जाएगा। सभी शिक्षक संगठनों से विस्तृत चर्चा कर सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। मध्यप्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की उपलब्धता और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में यह नीति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
उन्होंने कार्य योजना के लक्ष्यों को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए। समीक्षा बैठक में प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी, आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र लोकेश कुमार जाटव, आयुक्त लोक शिक्षण जयश्री कियावत, संचालक केके द्विवेदी, संचालक प्रभात राज तिवारी सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
बच्चों को रोजगार मुखी प्रशिक्षण दिया जाएगा
परमार ने प्रमुख स्कूलों को चिन्हित करने कि प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों में स्टेम (STEM) शिक्षा को बढ़ावा देने और उसके क्रियान्वयन के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग के साथ काम करें। चयनित स्कूलों में कौशल आधारित व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित होंगे। कक्षा 6 से 8वीं के विद्यार्थियों को स्थानीय कुशल कारीगर, कलाकार, शिल्पी आदि हुनरमंद व्यक्तियों से स्थानीय कलाएं हाथ करघा, पेंटिंग, शिल्प आदि विद्या सिखाई जाएंगी।
शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दें
परमार ने कहा कि शिक्षकों के सतत व्यवसायिक विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए शिक्षकों के प्रशिक्षण की नीति तैयार की जाए। उनके प्रदर्शन का आकलन और मूल्यांकन करने के लिए एक मजबूत शिक्षक मूल्यांकन प्रणाली तैयार करें। छात्रों के मूल्यांकन, शिक्षकों के प्रदर्शन के आंकलन के लिए आईटी आधारित तृतीय पक्ष मूल्यांकन प्रणाली अपनाई जाए।
शिक्षक मूल्यांकन प्रणाली अच्छे प्रदर्शन को पहचानने, प्रोत्साहित करने तथा उनके समग्र प्रदर्शन में सुधार करने में सहायता करेगी। सामाजिक और भावनात्मक कौशल जैसे दृढ़ता, सहानुभूति, विचारशीलता, साहस और नेतृत्व को शैक्षिक गतिविधियों में समाहित करें और शिक्षकों को स्कूल नेतृत्व प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित करें।