विशेषज्ञों ने की कोरोना वैक्सीन के सभी ट्रायल डेटा सार्वजनिक करने की मांग, कहा- अभी सब गुप्त

Posted By: Himmat Jaithwar
1/4/2021

नई दिल्ली।
पहले देसी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) के साथ-साथ ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन कोवीशील्ड को (Oxford - AstraZeneca's Covieshield) भारत में सीमित उपयोग की मंजूरी पर कांग्रेस पार्टी के एक धड़े की तरफ से सवाल तो उठाए ही गए हैं, कुछ विशेषज्ञ भी मंजूरी की प्रक्रिया को अपारदर्शी बताते हुए दोनों टीकों के क्लीनिकल ट्रायल के डेटा सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि भारत बायोटेक (Bharat Biotech) और एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) को क्रमशः कोवैक्सीन और कोवीशील्ड के क्लिनिकल ट्रायल में प्राप्त डेटा को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि उनका स्वतंत्र आकलन किया जा सके। इससे किसी भी खतरे की आशंका को लेकर दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा।

मंजूरी देने की प्रक्रिया पर भरोसा पैदा करना जरूरी

इंटरनैशनल असोसिएशन ऑफ बायोएथिक्स के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनंत भान ने कहा कि भारत के सिवा सिर्फ रूस और चीन ने ही अपने-अपने वैक्सीन का एफिकेसी डेटा सार्वजनिक किए बिना ही उपयोग की मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा, "नियामकीय प्रक्रिया (Regulatory process) में भरोसा पैदा करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यहां तो कई चिकित्सक भ्रम की स्थिति में हैं और पूछ रहे हैं कि आखिर कौन सा वैक्सीन काम करेगा। जिस तरह से मंजूरी दी गई है उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है और जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया गया है वो रचनात्मक लेखन लगता है न कि कानून पर आधारित।"

किन शर्तों पर दी गई मंजूरी, किसी ने नहीं बताया
भारतीय औषधि महानियंत्रक (DGCI) के प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिन जानकारियों के सामने आने की अपेक्षा की गई थी वो नहीं दी गईं और सवाल पूछने की भी अनुमति नहीं दी गई। ऑल इंडिया ड्रग ऐक्शन नेटवर्क (AIDAN) की मालिनी आइसोला (Malini Aisola) ने कहा, "दोनों कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में यह नहीं बताया गया है कि डीजीसीआई ने कानून के किस विशेष प्रावधान के तहत सीमित आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है। साथ ही, किन शर्तों पर यह मंजूरी दी गई, इसका भी कोई जिक्र नहीं है।" AIDAN ने बयान जारी कर डीजीसीआई से उन सभी आंकड़ों और विश्लेषणों को सार्वजनिक करने की मांग की है जिनके आधार पर कोवैक्सीन और कोवीशील्ड को सीमित उपयोग की मंजूरी दी गई है। संस्था का कहना है कि डेटा सार्वजनिक हो जाने पर उसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि हो की जा सकती है।

अमेरिका और ब्रिटेन की तरह उपलब्ध कराए जाएं दस्तावेज
AIDAN के साथ-साथ देश की प्रतिष्ठित वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ. गगनदीप कांग ने भी इस दावे पर सवाल उठाया है कि कोवैक्सीन ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस दावे की पुष्टि के लिए कोई वैज्ञानिक आंकड़े नहीं दिए गए हैं। महामारी विशेषज्ञ डॉ. गिरिधर बाबू ने सवाल किया कि जिन पैमानों पर वैक्सीन को मंजूरी दी गई, उससे संबंधित दस्तावेज मुहैया क्यों नहीं कराए गए जैसा कि अमेरिका और ब्रिटेन की नियामकीय संस्थाओं (Regulatory Institutions) ने किया। वहीं, इंडियन जर्नल ऑप मेडिकल एथिक्स के संपादक डॉ. अमर जिशानी (Dr. Amar Jesani) ने पूछा, "किन लोकल एफिकेसी डेटा के आधार पर एक्सपर्ट कमिटी ने दोनों वैक्सीन के उपयोग की मंजूरी दी है? यह चिंताजनक है कि भारत बायोटेक को तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में वॉलंटियर्स नहीं मिल रहे हैं और कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी गई।"

'क्लिनिकल ट्रायल के बीच उपयोग की मंजूरी हैरान करने वाला फैसला'
उधर फिजिशियन, रिसर्चर और स्टैफर्डशायर यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रफेसर डॉ. जेएन राव ने कहा, "हमें भारत बायोटेक के तीसरे चरण के कम-से-कम शुरुआती परिणाम आने तक इंतजार करना चाहिए थे। हां, महामारी है और हमें वैक्सीन भी चाहिए लेकिन यह भी बहुत जरूरी है कि आम जनता का वैक्सीन में भरपूर भरोसा हो। कोई वैक्सीन सिर्फ इसलिए भरोसेमंद नहीं हो जाता है कि उसे मंजूरी मिल गई है। किसी वैक्सीन को मंजूरी तभी दी जाती है जब उसने क्लिनिकल ट्रायल्स में अपनी विश्वसनीयता साबित की हो।"



Log In Your Account