देश में कोरोना के टीके (वैक्सीन) के आपात इस्तेमाल का रास्ता साफ हो गया है। शुक्रवार को केंद्र सरकार की एक्सपर्ट कमेटी ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड के आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने की सिफारिश कर दी। जानकारी के मुताबिक, ड्रग कंट्रोलर से शनिवार को अंतिम मंजूरी मिल सकती है। कोवीशील्ड के 5 करोड़ डोज तैयार हैं।
इन्हें एक-दो दिन में हवाई जहाज से देशभर के रीजनल सेंटरों में पहुंचाया जाएगा। केंद्र सरकार 6 या 7 जनवरी से देशभर में टीकाकरण अभियान शुरू करने की तैयारी पूरी कर चुकी है। जिन एक करोड़ हेल्थ वर्करों को सबसे पहले वैक्सीन लगेगी, उनकी सूचियां राज्यों ने केंद्र को सौंप दी हैं।
कोवीशील्ड का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कर रहा है। उसने भारत में उपयाेग की इजाजत के लिए 6 दिसंबर को आवेदन किया था। इससे पहले ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रजेनेका के इसी टीके को मंजूरी मिल चुकी है।
वैक्सीन हम तक ऐसे पहुंचेगी
1 करोड़ हेल्थ वर्कर्स को फरवरी तक, 2 करोड़ फ्रंट लाइन वर्करों को मार्च तक टीके लग जाएंगे
अभी वैक्सीन हिमाचल में रखी है
सबसे पहले सरकार सीरम इंस्टीट्यूट से वैक्सीन खरीदेगी। 5 करोड़ वैक्सीन डोज हिमाचल की सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी ने अप्रूव कर दिए हैं। वहां से इन्हें रीजनल सेंटरों पर पहुंचाने की जिम्मेदारी भी सीरम की होगी। उसके बाद ये राज्याें के मुख्यालयों में पहुंचेंगे। फिर राज्य अपनी रणनीति के हिसाब से टीकाकरण शुरू करेंगे।
1 करोड़ लोगों की लिस्ट तैयार
सबसे पहले एक करोड़ हेल्थ वर्कर्स को टीके लगेंगे। सभी राज्यों ने इनकी सूचियां केंद्र को भेज दी हैं। फरवरी तक इन्हें टीके लग जाएंगे। उसके बाद पुलिस, नगर निगम कर्मचारी जैसे फ्रंटलाइन वर्करों को टीके लगेंगे। इनकी संख्या दो करोड़ के करीब हैं। केंद्र ने इनकी सूचियां भी मंगा ली हैं। इन्हें मार्च तक टीके लग चुके होंगे।
काेवीशील्ड 70% तक प्रभावी
क्लीनिकल परीक्षण में काेवीशील्ड काे 90% तक प्रभावी पाया गया था। हालांकि, इंसानों पर ट्रायल में ब्रिटेन और भारत में इसके अलग-अलग नतीजे आए। अब केंद्र सरकार का मानना है कि यह 70% तक प्रभावी है यानी 100 में से 70 लोगों को यह कोरोना से सुरक्षा प्रदान करेगी।
वैक्सीन के मूवमेंट पर ई-विन से नजर: कोल्ड चेन पर कौन सी बैच की कितनी वैक्सीन डोज पहुंची हैं, इसकी पूरी जानकारी ई-विन (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) पर अपडेट की जाएगी। इसी से पूरी निगरानी रखी जाएगी।
देश में अभी 6 वैक्सीन अलग-अलग चरण में, अगस्त तक सभी बाजार में होंगी
1. कोवीशील्ड: 10 करोड़ डोज इसी महीने
मंजूरी मिलने वाली है। 5 करोड़ डोज तैयार हैं। इसी महीने तक 10 करोड़ डोज और बन जाएंगे। यह देश में लगने वाली पहली वैक्सीन होगी।
2. कोवैक्सिन: फरवरी में मंजूरी संभव
भारत बायोटेक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने मिलकर बनाई है। 25 शहरों में तीसरे फेज के ट्रायल जारी हैं। अभी तक किसी भी वॉलंटियर पर साइड इफेक्ट नहीं दिखा है।
3. स्पुतनिक-V: मार्च तक मंजूरी संभव
रूसी वैक्सीन है। भारत में डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज और RDIF फेज-1/2 के ट्रायल करा रही हैं। यह 700 रु. प्रति डोज मिलेगी।
4. जायकोव-डी: मार्च के बाद आएगी
जायडस कैडिला ने बनाई है। फेज-2/3 के ट्रायल एक साथ चल रहे हैं। कीमत तय नहीं है। मार्च के बाद कभी भी बाजार में आ सकती है।
5. बायोलॉजिकल E: जुलाई तक संभव
यह अमेरिकी कंपनी डायनावैक्स टेक्नोलॉजी और ह्यूस्टन के बेयलर कॉलेज ने मिलकर बनाई है। भारत में फेज-2 के ट्रायल शुरू हो चुके हैं। यह वैक्सीन जुलाई तक आएगी।
6. HGCO-19: अगस्त में संभव
पुणे के जेनेवा फार्मा और एचडीटी बायोटेक ने बनाई है। अभी इंसानों पर ट्रायल शुरू नहीं हुए हैं। यह अगस्त में बाजार में आ सकती है।
इनके अलावा फाइजर की वैक्सीन भी: इसे ब्रिटेन में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। भारत में मंजूरी के लिए आवेदन कर रखा है। हालांकि, शुक्रवार को विशेषज्ञ कमेटी की बैठक में इस पर चर्चा नहीं हुई।
स्वदेशी वैक्सीन को मंजूरी का इंतजार: भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन के दावे पर भी विशेषज्ञ समिति ने चर्चा की। समिति ने कंपनी से कहा कि वह ट्रायल के लिए तेजी से और ज्यादा वॉलंटियर पंजीकृत करे।